Thursday, February 15, 2018

कपटधरी कांग्रेसी।

ब्रिटिश क्वीन एलिज़ाबेथ ने CIA की सहायता से इन्दिरा प्रियदर्शिनीजी की हत्या कारवाई क्यूंकि इंदिराजी ने ब्रिटिश क्वीन की बहुत बेज़त्ति करी और देश से सारी अमेरिकन और अलाइड MNCs और FDI हटा दी।
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(तारीखों और घटनाओं के लिए अलग अलग व्यक्तियों और घटनाओं के लिंक विकिपीडिया या फिर लिबेरारी की बुक्स से देख सकते हैं)
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इसके बाद इंदिराजी ने पाकिस्तान पे हमला किया और उसके 2 टुकड़े कर दिए। परमाणु परिक्षण किया "देश का सबसे पहला" और देश की सेना को पूर्ण स्वदेशी हथियारों से विकसित किया। इंदिराजी ने RAW की स्थापना करी क्यूंकि देश को ख़ुफ़िया जानकारी नहीं मिलने की वजह से ही शास्त्रीजी की खोना पड़ा था। अतः RAW की स्थापना एक बहुत बड़ी उपलधि रही। फिर काफी उतर चदाव आए। इंदिराजी ने सिक्किम जो की नेपाल की तरह एक अलग ही देश था और उसपे चाइना कब्ज़ा करने वाला था, वहाँ पर जनमत करवा कर इंदिराजी ने सिक्किम को भारत में मिला लिया जिससे देश की सीमा का विस्तार हुआ। उसके बाद आज तक नी हुआ।
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कपटधरी कांग्रेसी मोरारजी देसाई ने कांग्रेस त्याग के इंदिराजी का विरोध किया और सबसे बड़ी बात की विरोध भी किस लिए ??
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फिर उस ज़माने में अन्ना हजारे का पूर्वज पैदा हुआ जिसका नाम था जय प्रकाश नारायण। इसकी एंट्री बिलकुल अन्ना हजारे जैसी ही थी। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा की उसका वकील जो था उसका नाम था शान्ति भूषण। जी हाँ ये शान्ति भूषण का ही कुपुत्र प्रशांत भूषण है जो केजरीवाल गैंग में था और अभी खानाबदोश घूमता हुआ कुछ फ़िराक में है। खैर अन्ना हजारे के ही सामान काम करने वाले विदेशी एजेंट जय प्रकाश नारायण ने इंदिरा जी का विरोध किया क्यूंकि इंदिराजी ने देश में "इमरजेंसी" लगा दी थी।
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अब जुमले इमरजेंसी का नाम सुन के ऐसे खुश होते हैं जैसे ही मिठाई बंट रही हो और इनको एक की जगह 3 मिल गई हो। (ध्यान देवें की बीजेपी का जनम ही नहीं हुआ था उस समय)
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खैर इंदिराजी ने इमरजेंसी क्यूँ लगाई थी ??
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क्यूंकि इलाहाबाद की हाई कोर्ट के एक भ्रष्ट जज ने ब्रिटिश क्वीन और सीआईए से पैसे लेकर एक टुच्ची बात पे इंदिराजी पे चुनाव न लड़ने का बेन लगा दिया की इन्होने फॉर्म में गलत जानकारी दी है !!!!
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खैर वो गलती भी इंदिराजी की नहीं थी अपितु वो उनके असिस्टेंट की थी और इतनी बड़ी कोई गलती नहीं थी की 6 साल का बेन लगा दिया जाये वो भी उस प्रधान मंत्री पर जिसने पाकिस्तान को लडाई में हराया हो और परमाणु शक्ति दी हो , RAW की स्थापना करी हो आदि आदि आदि।
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तो इंदिराजी ने सोचा की अब वो चरों तरफ से घिर गयी हैं और इन मक्कार भ्रष्टाचारियों को सजा देने के लिए और जजों को जेल में भेजने के लिए इमरजेंसी से ही काम चलेगा। तो फिर उन्होंने इमरजेंसी लगा दी और बागियों को जेल में ठूँस दिया। बागी वही थे जिनको MNCs और FDI से लगाव था।
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फिर आता है विदेशी फंडेड सुपर हीरो जय प्रकाश नारायण जिसको JP कहा जाता है और कुछ कुछ लोग इसको दुरात्मा गाँधी का अवतार भी कहते हैं और एक महानायक की रूप से पूजा जाता है। ध्यान देवें की JP ठीक अन्ना हजारे का ही अवतार था और पैड मीडिया पे ही टिका हुआ था इनके अंधभक्तों दोनों को ही दुरात्मा गाँधी का अवतार की उपमा दे चुके हैं। उस समय पेड मीडिया अंग्रेजों द्वारा भारत में छोड़े गए टाइम्स ग्रुप आदि के रूप से थी किन्तु आज जितनी भयंकर नहीं थी। वर्तमान स्थिति के लिए सुर्पनक गाँधी और मनमोहन सिंहजी और सुब्रमण्यम स्वामी की कृपा जिम्मेदार है।
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खैर देश में लगभग दो वर्ष अर्थात की 21 महीनों तक इमरजेंसी चलती रही। इंदिराजी ने समझाने की बहुत कोशिश करी की ये सब करतूत भ्रष्ट जजों की है हाई कोर्ट आदि में ये सब मुझे रोकने की कोशिश कर रहे हैं क्यूंकि में FDI और MNCs का विरोध कर रही हूँ।
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किन्तु पैड मीडिया और JP / सुब्रमनियम स्वामी / मोरारजी देसाई ( MD पूर्व कांग्रेसी था जन्मजात और पैदाईशी कांग्रेसी एक छठा हुआ कांग्रेसी था) भैरों सिंहजी (शुरुवाती करियर), लालू यादव (शुरुवाती करियर), अटलजी (शुरुवाती करियर) आदि आदि आदि इनसब के सामने इंदिराजी ने काफी लड़ने की कोशिश करी। लेकिन फिर देश में अस्थिरता फ़ैल गई। नागरिक इधर उधर लूट खसोट करने लगे। अपराध बढ़ने लगे पुलिस बेकाबू हो गयी। इन्दिराजी ने काफी सारे लोगों को जेल में भर दिया जिससे जेलें फुल हो गई। जज सब तमाशा देखते रहे और न्याय व्यवस्था पूरी तरह से डगमगा गयी। जो लोग इमानदार थे वो सरकारी कार्यालयों को सुचारू चलते रहे किन्तु जो लोग मौके पे चौक देना चाहते थे वो आगे बढ़ते गए। राजस्थान में भी काफी सारे लोगों को जेल में भरा गया। उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री हरीदेव जोशीजी थे जो की बाँसवाड़ा जिले के खान्दू गाँव से जो बाद में डेम के पानी में डूब गया।
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अतः हरिदेव जोशीजी ने भी इंदिराजी के आदेश से राजस्थान में FDI/MNCs का समर्थन कर रहे मोरारजी देसाई के समर्थकों को जेल में भेज। राजस्थान में मोरारजी देसाई के समर्थकों में काफी लोग थे उनमे प्रमुख लोगों में भैरों सिंहजी शेखावत थे, श्रीमती गायत्री देवीजी (प्रमुख पोलो प्लेयर और ब्रिटिश क्वीन की अच्छी मित्र या राजनैतिक सहयोगी) इन्होने इमरजेंसी का विरोध किया और जेल गईं।
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अन्य इलाकों में ज्यादा विरोध नहीं हुआ , जोधपुर उदैपुर जैसलमेर आदि इलाकों से कोई बड़ा व्यक्ति जेल नहीं भेजा गया क्यूंकि इधर सब इंदिराजी का पूरा समर्थन कर रहे हैं। जो कुछ आरएसएस के थे वो भी MNCs / FDI के हीरो मोरारजी देसाई का साथ दे रहे थे सो वो भी जेल भेजे गए। आरएसएस 1925 से ही ब्रिटिश कांग्रेस का ही साथ दे रही थी आज भी दे रही है। रूट लेवल पे कार्यकर्ता अच्छे हैं किन्तु उपर की राजनीती अमेरिकी / ब्रिटिश ही तीय करते हैं। जो सर उठता है (गोविन्दाचार्यजी) की तरह उसको आरएसएस दरकिनार कर देती है।
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खैर देश में लगभग दो वर्ष अर्थात की 21 महीनों तक इमरजेंसी चलती रही। नागरिक इधर उधर लूट खसोट करने लगे। इन्दिराजी ने काफी सारे लोगों को जेल में भर दिया जिससे जेलें फुल हो गई।अतः इंदिराजी की पराजय हो गयी। और उनपे बेन लग गया। इंदिराजी एक तानाशाह थी यह बात पूरी तरह सत्य है किन्तु वह भारत विरोधी शक्तियों से ही लड़ रही थी। 1977 में इमरजेंसी ख़तम हुयी और देशभर में चुनाव हुए।
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नया प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई बना जिसने भगवा रंग का सहारा लिया और "जनता पार्टी" की स्थापना करी (इसी को बाद में भारतीय जनता पार्टी बनाया गया) अतः कांग्रेस्सियों को आज शर्म आनी चाहिए की तुमने ही बीजेपी का निर्माण किया है
grin emoticon
और बीजेपी को ये शर्म आनी चाहिये की बीजेपी की स्थापना MNCs / FDI के समर्थक मोरारजी देसाई ने करी थी जो की एक कांग्रेसी था। अतः बीजेपी की जड़ों में कांग्रेस के दुर्गुण हैं। (गूगल/लाइब्रेरी में देख सकते हैं)
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खैर मोरारजी देसाई ने बगावत क्यूं करी इसलिए की MNCs को देश से क्यूँ निकाल रहे हो। मोरारजी देसाई ने भगवावाद की आड़ का सहारा लेकर FDI /MNCs के लिए विरोध किया और नयी पार्टी बनायीं। मोरारजी देसाई ने सबसे पहले भरी मात्र में MNCs को देश में प्रवेश दिया। (देसाई की पूरी हिस्ट्री पढ़ें) फिर मोरारजी ने गद्दारी का वो काम किया जिसके लिए उसको इतिहास हमेशा याद रखेगा। मोरारजी देसाई ने RAW के प्रोजेक्ट को बन्द कर दिया और कैबिनेट में कारण यह बताया की इसमें खर्चा बहुत हो रहा है !!!
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मोरारजी देसाई ने एक और बड़ा काम किया। उसने मीडिया में सांकेतिक रूप से पाकिस्तान के प्रधान मंत्री को धमकी दी की "भारत को मालूम है की पाकिस्तान भी परमाणु बम बना रहा है" इससे पाकिस्तानी प्रधान मंत्री जिया उल हक़ और आईएसआई जिससे भारत के कितने ही RAW एजेंट पाकिस्तान में पकडे गए और वीर गति को प्राप्त हुए। जितने फिल्मे भारत के नागरिक देखते हैं फ़ुल्ले खाते हुए वो सब उन्ही दिनों की है।
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इसके बाद मोरारजी देसाई ने वो काम किया की जो भारत को कोई प्रधान मंत्री आने वाले सौ सालों में नहीं कर सकता।
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इजराइल पाकिस्तान पे हमला करने की तय्यारी कर रहा था क्यूंकि इजराइल को भारतीय प्रधान मंत्री द्वारा दिए गए बयान से चिन्ता होने लगी की कहीं इस मुर्ख पाकिस्तान ने बोम बना लिया तो इजराइल खतरे में पड़ जायेगा। अतः इसरायली राष्ट्रपति ने मोरारजी देसाई को कहा की हमारी वायु सेना पाकिस्तान के परमाणु स्टेशन पे हमला करने वाली है लेकिन दिक्कत ये है की हमारे हवाई जहाज (उस ज़माने के) इतनी दूरी तय नहीं कर सकते तो यदि भारत हमको केवल रीफ्युलिंग / पेट्रोल भरने के लिए हवाई अड्डे की सहायता कर देवे तो बड़ी कृपा होगी।
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मोरारजी देसाई ने इजराइल को पूरी तरह मना कर दिया की हम इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहते पाकिस्तान हमारा पडोसी मुल्क है। मतलब की भारत ने पाकिस्तान को पिछली लडाई में हराया था और तोडा भी था वैसा कम करना तो दूर यहाँ बिना कुछ करे केवल एअरपोर्ट सहायता देने के एवज में पाकिस्तान का इतना बड़ा नुक्सान हो रहा था वो भी ये निकम्मा नहीं कर पाया। इजराइल को बड़ा झटका लगा किन्तु उसने कहा की चलो कोई बात नहीं हम कोई दूसरा रास्ता देख लेंगे पर इतना निवेदन है की ये बात अपने तक ही रखना। तो इस्पे मोरारजी देसाई ने सीधा पाकिस्तान को फ़ोन लगा के बता दिया की इजराइल तुमपे हमला करने वाला है तुम सावधान हो जाओ। पाकिस्तान को भी यकीन नहीं हुआ की आखिर भारत ऐसी खबर क्यूँ देगा और कैसे दे सकता है। तो उन्होंने अपने परमाणु रिएक्टर में उधर थोड़ी अधिक सिक्यूरिटी बड़ा दी जिससे वहां इजराइल की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद के कितने ही एजेंट पकडे गए और पाकिस्तान को इतनी ख़ुशी हुई की इसके बदले में पाकिस्तान ने मोरारजी देसाई को एक अवार्ड दिया जिसका नाम है "निशान-ए-पाकिस्तान" (यकीन न आये और विश्वास ना हो तो गूगल करें लाइब्रेरी से देखें पर देखें जरुर)
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इस प्रकार मोरारजी देसाई भारत का पहला और इकलौता प्रधान मंत्री हुआ जिसको "निशान-ए-पाकिस्तान" नामक अवार्ड मिला। जबकि इसको "गद्दार-ए-हिन्द" का अवार्ड मिलना चाहिए।
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अतः इमरजेंसी उठने के बाद ये सब काम हुआ।
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खैर ये सब देख के नई पार्टी "जनता पार्टी" में भारी विरोध हुआ पर फिर भी जैसे तैसे मोरारजी अपना काम करता रहा। किन्तु अततः मात्र एक साल में सरकार गिर गई। नया प्रधान मंत्री चरण सिंहजी बने जो जैसे तेसे टिके रहे और सरकार का कार्यकाल पूरा हुआ। 1980 में पुनः चुनाव हुए जिसमे लोगों को पता चल गया की ये सब MNCs / FDI के लोग हैं और इंदिराजी सही थी। अतः दुसरे कार्यकाल में इंदिराजी को 400 से अधिक सीटें मिली।
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उसके बाद पुनः इन्होने MNCs को भागने का कम शुरू किया किन्तु तब तक देश भर में बहुत सारे सीआईए के लोग घुस चुके थे RAW पहले से ही बंद थी और जो थी उसमे कौन किधर का था किसीको मालूम नहीं चलता था।
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बब्बर खालसा का आतंकवाद नई मुसीबत बनके उभरा जिनको पाकिस्तान अमेरिका और सीआईए पूरी तरह से सहायत दे रहा था। इंदिराजी ने बिन्द्रावाला को समझाने की काफी कोशिश करी , एक बार जेल भी भेज और साथ देने की बात पर जेल से वापिस छुड़वाया। किन्तु बब्बर खालसा बढता ही गया। शिरोमणि अकाली दल जिसने मोरारजी देसाई की सर्कार बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया था उसको भी इंदिराजी रोकना चाहती थी। इनसब कारणों से इंदिराजी ने अपनी तानाशाही आदतों के चलते और उन हालातों में आपा खोकर ऑपरेशन ब्लू स्टार करवाया जो की उनकी सबसे बड़ी गलती साबित हुआ। उनको चाहिए था की वो गुरुद्वारा प्रबंधकों से शांति से बात करती। किन्तु जैसे आज यदि किसी मस्जिद में कोई आतंकवादी घुस जाए या किसी मंदिर में कोई उल्टा कम करे तो प्रधान मंत्री क्या कर सकता है। वही काम उन्होंने किया।
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हमले के बाद देशभर में इंदिराजी की काफी बेज्जती हुई की पुराने सारे अच्छे काम लोग भूल गए लेकिन ये नहीं देखा की इसमें सीआईए / MNCs / FDI लॉबी / मिशनरियों / अमेरिका / ब्रिटिश क्वीन आदि कई लोग जिम्मेदार हैं। किन्तु पेड मीडिया की वजह से सिखों में इंदिराजी का काफी विरोध हुआ। जो की जायज था।
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ऐसा कहा जाता है की इंदिराजी को मरवाने में सीआईए ने सूर्पनखा गाँधी की सहायता ली की जब 2 सिख गार्ड जो की गोल्डन टेम्पल हमले से नाराज थे वो इंदिराजी को खाफी भला-बुरा कहते थे। तो किसीको को भी शक न हो ऐसा काम करने की लिए सुर्पनका गाँधी की सहायत से उनकी ड्यूटी बार बार आगे के दरवाजे पे लगवाई जबकि इंदिराजी के सेक्रेटरी ने उनकी ड्यूटी 2-3 बार पीछे की तरफ लगायी। सेक्रेटरी उनकी बातों को ध्यान में रखते हुए उनको नौकरी से हटाना चाहता था, किन्तु इंदिराजी ने कहा की विपक्ष इसको मुद्दा बना लेगा पहले ही अपन अमृतसर हमले में बदनाम हो रखे हैं।
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सूर्पनखा गाँधी मिशनरियों की साथी रही है अतः उसने इंदिराजी को मरवाने में पूरी सहायत करी और कांग्रेस-2 में आने के बाद उसने पूरे भारत को मिशनरियों और MNCs में इतना फसाया की आज मोदीजी अकेले कुछ नहीं कर सकते देश के सभी नागरिकों को पार्टियाँ त्याग के योगदान देने की जरुरत है।
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अतः जब गार्ड्स को मौका मिला तो उन्होंने सही अवसर देख कर इंदिराजी को गोली से मर दिया। इंदिराजी के मरने के बाद देश भर में एक एक कर एक के पाकिस्तान / इंग्लैंड / अमेरिका विरोधी भारतीयों की सीआईए ने हत्या करवा दी जो इंदिराजी की सहायता कर रहे थे। 31 अक्टूबर 1984 में इंदिराजी की हत्या हुयी और उसके 2 दिन बाद अर्थात की 3 नवम्बर 1984 को महाराणा भगवत सिंहजी की भी मृत्यु हो गयी। मुझे उनकी मृत्यु पे शंका है। शायद उनको भी ब्रिटिश क्वीन ने विष दिलवाकर मरवाया हो ऐसी सम्भावना है। भगवत सिंहजी फ्रंट राजनीती में नहीं थे किन्तु इंदिराजी के समर्थक थे और इमरजेंसी के दौरान उनको कुछ नहीं हुआ क्यूंकि वो पाकिस्तान पे भारत के दुसरे हमले के समर्थक थे और इमरजेंसी लगने के भी समर्थक रहे होंगे क्यूंकि इलाहबाद हाई कोर्ट के जजों ने बहुत भ्रष्टाचारी वाला काम किया था।
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खैर 1984 में इंदिराजी की मृत्यु सेे काफी सारे लोग नाराज हो गये और नए मुर्ख प्रधान मंत्री राजीव गाँधी ने 1984 का शर्मनाक दंगा करवाया जिसके लिए काफी बदनामी हुयी और भी के सारे फैसले घटिया लिए वो अंततः लिट्टे द्वारा बम से उदा दिए गए।
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1984 के बाद देश पूरी तरह से विदेशी ताकतों पे टिका हुआ है कांग्रेस पूरी देशद्रोही हो चुकी है। पीवी नरसिम्हा राव आया जो साथ में मनमोहन सिंह जी को लाया और ऐसा लूटा देश को की मीडिया से लेकर सेना में और न मालूम कहाँ कहाँ FDI घुसाई। फिर अट्टलजी आये जिनसे लोगों को काफी आशायें थी क्यूंकि वो कवितायेँ बहुत अच्छी सुनते थे। जिनको रोकने के लिए कारगिल हुआ, प्लेन हाईजैक हुए , सुब्रमण्यम स्वामी ने सूर्पनखा गाँधी के साथ मिलकर टी पार्टी करी और जयललिता जो उनको समर्थन दे रही थी उसपे केस कर के उसको धमकाया की अटलजी की सर्कार गिराओ जिससे अटलजी की सरकार गिर गयी। और अंततः फिर जब दूसरी बार वो जीते तो उन्होंने भी FDI / MNCs को देश में घुसना और कवितायेँ गाना। बस यही सब किया। ऐसा मन जाता है की वो इतने निराश हो गए थे की दारू पीना और दही वाला चिकन खाना उनका प्रिय शौक बन गया था। फिर आये मनमोहन सिंहजी जो वर्ल्ड बैंक और ब्रिटिश क्वीन के चपरासी हैं उन्होंने देश को लूटने में इसे कीर्तिमान बांये की जिनको तोड़ने में मोदीजी को बहुत मेहनत करनी पद रही है।
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2009 तक काम चलता रहा और दूसरी बार मनमोहन सिंहजी फिर जीते। इस बीच देशभक्तों की एक नई सेना तैयार हो रही थी। स्वदेशी समर्थक और राईट टू रिकोल के प्रवर्तक राजीव दिक्षितजी एक बड़ी तय्यारी से देश में एक नई पार्टी लाकर 2014 में कांग्रेस-बीजेपी से देश को आजाद करने की सोच रहे थे। उनका साथ रामदेवजी भी दे रहे थे। किन्तु ये सब देख कर ब्रिटिश क्वीन और सीआईए ने मिलकर नवम्बर 2010 में उनकी हत्या करवा दी उसी प्रकार जैसे की शास्त्रीजी को जहर दिया था। फिर जैसे ही 2010 में उनकी हत्या हुयी। MNCs और FDI लॉबी ने एना केजरीवाल का आन्दोलन किया जिसमे बड़े धोकेबाज और अच्छे बुरे सब फंस गए। अंततः मोदीजी को इशारा मिल गया की बिना MNCs और FDI के देश का प्रधान मंत्री क्या मुख्य मंत्री बन के भी टिके रहना मुमकिन नहीं है। अतः देश पूरी तरह से ब्रिटिश क्वीन के कब्जे में है जो मोदीजी का इस्तेमाल कर के चाइना पे हमला करवाने की तय्यारी में है। ऐसी सम्भावना दिख रही है।
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1984 के बाद से कांग्रेस पूरी तरह खत्म है और जो है वो एक दम देशद्रोही है, मोदीजी देश की आखरी आशा है , किन्तु अकेले मोदीजी MNCs और FDI को नहीं भगा सकते बल्कि और एक एक कर करके घुसते जा रहे हैं। ऐसे में नागरिकों को सकरात्मन विरोध करते हुए अपने सांसदों और विधायकों को SMS भेजकर सिस्टम बदलने में योगदान देना चाहिए क्यूंकि केवल पीएम बदलने से कुछ नहीं होगा। देश में डायरेक्ट पीएम / सीएम चुनाव और राईट टू रिकोल , जजों पे चुनाव और राईट टू रिकोल , MRCM , पब्लिक नार्को टेस्ट , आदि समाधानों का प्रचार करें SMS द्वारा माँग करें क्यूंकि देश का घटिया सिस्टम ही ब्रिटिश क्वीन की ताकत है और अमेरिका/चाइना का सहयोगी भारत का बकवास सिस्टम ही है। प्रधान मंत्री मोदीजी को वोट तो 2019 में भी दे सकते हैं पर आज नर टोपी भक्ति परेड से क्या होगा ?? यह सत्य है की वर्तमान समय मोदीजी सबसे कम बुरे या सबसे अच्छे राजनेता हैं किन्तु वो अकेले काफी नहीं है। सिस्टम को सुधारना नागरिकों को योगदान देना चाहिए 5 साल के बीच में यही काम होना चाहिए और कार्यकाल के अंत में वोटिंग के दिन सिर्फ एक दिन अच्छा व्यक्ति चुन जाता है।
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प्रधान मंत्री बनने के बाद से मोदीजी ने इतनी MNCs घुस दी है की रामदेवजी के हाथ से सबकुछ धीरे धीरे छूटता जा रहा है। भारतीय व्यवसायी धीरे धीरे ख़तम होते जा रहे हैं और क्वीन के मिशिनरी धीरे धीरे नागालैंड मिजोरम केरेला की तरह भारत के सभी हिस्सों में दंगा करवा कर नाक्सालवाद फैला कर आदि रास्तों से हिन्दू मुस्लिमों को लडवा कर अंततः ईसाई बनवा रही है और देश को टुकड़े कर के अफ़्रीका जैसा कमजोर और भिखारी कॉन्टिनेंट बनाने की मंशा है। जिसको रोकने के लिए मोदीजी को मज़बूरी में मीडिया और जजों के सामने टुकड़े रोकने के लिए FDI की शर्तों को मानना पड़ रहा है।
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अब ऐसे में जो जो नागरिक पार्टियों की अंधभक्ति कर रहे हैं और नेताओं की अंधभक्ति कर रहे हैं वो सब या तो अंधभक्त है या फिर पैसा छपने में और आगे बढ़ने के लिए किसी भी हद तक देश को धोका देने वाला काम कर रहे हैं।
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आरएसएस बीजेपी कांग्रेस विहिप बीएसटी और बड़े लोगों के अंधभक्त नागरिक फेसबुक और उसके बहार सब जगह दुसरे नागरिकों और भारत माता को धोका दे रहे हैं।

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