Sunday, January 21, 2018

वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष।

वियतनाम विश्व का एक छोटा सा देश है जिसने..... अमेरिका जैसे बड़े बलशाली देश को झुका दिया।

लगभग बीस वर्षों तक
चले युद्ध में अमेरिका पराजित हुआ।थ अमेरिका पर विजय के बाद वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष से एक पत्रकार ने एक सवाल पूछा.....

जाहिर सी बात है कि सवाल यही होगा कि आप युद्ध कैसे जीते या अमेरिका को कैसे झुका दिया ??

पर उस प्रश्न का दिए गए उत्तर को सुनकर आप हैरान रह जायेंगे और आपका सीना भी गर्व से भर जायेगा।
दिया गया उत्तर पढ़िये।

सभी देशों में सबसे शक्ति शाली देश अमेरिका को हराने के लिए मैंने एक महान व् श्रेष्ठ भारतीय राजा का चरित्र पढ़ा।
और उस जीवनी से मिली प्रेरणा व युद्धनीति का प्रयोग कर हमने सरलता से विजय प्राप्त की।

आगे पत्रकार ने पूछा...
"कौन थे वो महान राजा ?"

मित्रों जब मैंने पढ़ा तब से जैसे मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया आपका भी सीना गर्व से भर जायेगा।

वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने
खड़े होकर जवाब दिया...
"वो थे भारत के राजस्थान में मेवाड़ के महाराजा महाराणा प्रताप सिंह !!"

महाराणा प्रताप का नाम
लेते समय उनकी आँखों में एक वीरता भरी चमक थी। आगे उन्होंने कहा...

"अगर ऐसे राजा ने हमारे देश में जन्म लिया होता तो हमने सारे विश्व पर राज किया होता।"

कुछ वर्षों के बाद उस राष्ट्राध्यक्ष की मृत्यु हुई तो जानिए उसने अपनी समाधि पर क्या लिखवाया...

"यह महाराणा प्रताप के एक शिष्य की समाधि है !!"

कालांतर में वियतनाम के
विदेशमंत्री भारत के दौरे पर आए थे। पूर्व नियोजित कार्य क्रमानुसार उन्हें पहले लाल किला व बाद में गांधीजी की समाधि दिखलाई गई।

ये सब दिखलाते हुए उन्होंने पूछा " मेवाड़ के महाराजा महाराणा प्रताप की समाधि कहाँ है ?"

तब भारत सरकार के अधिकारी  चकित रह गए,  और उनहोंने वहाँ उदयपुर
का उल्लेख किया। वियतनाम के विदेशमंत्री उदयपुर गये, वहाँ उनहोंने महाराणा प्रताप की समाधि के दर्शन किये।

समाधी के दर्शन करने के बाद उन्होंने समाधि के पास की मिट्टी उठाई और उसे अपने बैग में भर लिया इस पर पत्रकार ने मिट्टी रखने का कारण पूछा !!

उन विदेशमंत्री महोदय ने कहा "ये मिट्टी शूरवीरों की है।
इस मिट्टी में एक महान् राजा ने जन्म लिया ये मिट्टी मैं अपने देश की मिट्टी में
मिला दूंगा ..."

"ताकि मेरे देश में भी ऐसे ही वीर पैदा हो। मेरा यह राजा केवल भारत का गर्व न होकर सम्पूर्ण विश्व का गर्व होना चाहिए।"

(अपेक्षा की जाती है कि यह पोस्ट आप अभिमान के साथ सभी के साथ शेयर करेंगे।)

Sunday, January 14, 2018

समाज में फैली कु-संस्कृती।

समाज में फैली कु-संस्कृती , व्यभिचार का कारण है मनुष्य की अज्ञानता।

मनुष्य भेड - बकरियों की तरह बच्चे पैदा करनें में लगा है

पैदा होनें बाला दुष्ट हो या सज्जन इसकी ओर किसी का ध्यान नहीं

यदि किसान पौह ( दिसम्वर-जनवरी )में बाजरा  ओर जैठ (मई -जुन)में गैहुं वीजेगा तो ना बाजरा मिलेगा ना गैहुं

हां आज विज्ञान नें इतनी तरक्की कर ली की मौसम अपनें हिसाब से कर के 24 महींने मक्की उगा ले किंतु वो Inorganic है Organic नहीं ।

मनुष्य की पैदावार भी एक फसल है जिसमें पुरुष किसान ओर स्त्री भुमीं है

दोष भुमीं का नहीं जैसा बीज वोयोगे वोही तो काटोगे ना

किसान मुर्ख हो गया गधा हो गया उसे समझ नी रही बीज की ना मौसम की

यदि बीज की समझ है तो खाद - पानी की समझ नहीं ।

बीज अच्छा वोया  किंतु खाद के रुप में युरिया ओर पेस्टीसाईड नामक जहर डाल दिया ।

अर्थात गर्भ धारण तो वैदिक पद्दती से हुया किंतु पोषण या संस्कारों में चुक गये फसल फिर खराव ।

उसके बाद जैसे ही फसल पर फल आया चोर - लुटेरे या उजाड करनें बाले पशुयों से फसल की सुरक्षा या संरक्षण नहीं किया तो भी सारी करी - कराई मेहनत वैकार ।

अर्थात जैसे युवावस्था आई भटकाव स्वभाविक है उस समय किसान की ही जिम्मेवारी बनती है की वो उसका मार्गदर्शन या दुष्ट तत्वों से रक्षा करे ।

इतना काफी है वाकी फिर कभी

समाज में फैली कु- संस्कृती ओर व्यभिचार से जो भी बहुत हतास हो वो याद रखे जागरुक किसान बनो ना की मुर्ख - गधे ।

बीज , खाद - पानीं , सुरक्षा ये सभी किसान की जिम्मेवारी है भुमीं कार्य सिर्फ अपनी मिट्टी की पोषकता देकर फसल को पुष्ट करना है ।

हमारे पुर्वज एक जागरुक किसान थे इसिलिऐ भारत महा योगियों ओर महां- तपस्वियों की धरती रही है । अपने पुर्वजों के ज्ञान का लाभ उठाओ ओर इस धरती को स्वर्ग की तरह सुंदर बनाओ ।

आपका दिन मंगलमय हो।

Wednesday, January 3, 2018

नॉनस्टिक बर्तनों में खाना पकाने के 10 खतरे ..

*नॉनस्टिक बर्तनों में खाना पकाने के 10 खतरे *
क्‍या आप अपने किचेन को नए तरीके से सेट करना चाहती हैं औ्र आप नए बर्तनों को खरीदने को लेकर काफी उत्‍साहित हैं।
आपको लगता है कि आप अपनी किचेन में सारे बर्तन नॉनस्टिक ही रखेगी, जो दिखने में एक ही जैसे होगे। नॉनस्टिक बर्तनों की बाजार में धूम मची हुई है।
लेकिन इस तरह के बर्तनों के इस्‍तेमाल के लाभ और हानि, दोनों होते हैं।
खाना पकाने के 20 सही तरीके नॉनस्टिक बर्तनों का इस्‍तेमाल करने से ऑयल कम लगता है, खाना जलता नहीं है और भी बहुत कुछ।
लेकिन क्‍या आपको पता है कि ऐसे बर्तनों के इस्‍तेमाल से आपके स्‍वास्‍थ्‍य को कई प्रकार की गंभीर समस्‍याओं से जूझना भी पड़ सकता है।
इन बर्तनों की नॉनस्टिक परत आपके स्‍वास्‍थ्‍य को बदहाल करने के लिए बहुत होता है।...
1. थॉयराइड: पीएफओए (पेरु्लूरोटोननिक एसिड), एक प्रकार का घटक होता है और इसके शरीर में पहुंचने पर थॉयरायड होने का खतरा बढ़ जाता है। नॉनस्टिक बर्तनों में खाना बनाने से ये घटक शरीर में पहुंच ही जाता है।
2. कॉग्‍नीटिव डिस्‍ऑर्डर: नॉनस्टिक बर्तनों में खाना बनाने से व्‍यक्ति के शरीर में ऐसे तत्‍व पहुंच जाते हैं जिससे कई प्रकार के कॉग्‍नीटिव डिस्‍ऑर्डर होने का खतरा हो जाता है।
3. हड्डियों की बीमारी: नॉनस्टिक बर्तनों में खाना पकाने से शरीर में आयरन की कमी हो सकती है जिससे हड्डियां कमजोर हो सकती है।
4. कैंसर: नॉनस्टिक बर्तन में अधिक पका हुआ खाना ऐसे तत्‍व रिलीज करता है जिसकी मात्रा शरीर में अधिक होने पर कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है।
5. हार्टअटैक: कई शोध से पता चला है कि लोहे की बजाय नॉनस्टिक में खाना बनाना दिल के लिए घातक हो सकता है। शरीर में हाई ट्राईग्‍लेसिराइड बढ़ने से हार्टअटैक आ सकता है जो नॉनस्टिक बर्तनों में भोजन बनाने से शरीर में पहुंच ही जाता है।
6. प्रजजन समस्‍या: जी हां, मजाक नहीं है। नॉनस्टिक बर्तनों में खाना बनाने से पीएफओए बढ़ जाता है जिससे प्रजनन क्षमता में कमी आ सकती है या बच्‍चे में स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बंध कई विकार हो सकते हैं।
7. इम्‍यून प्रणाली: चौंक गए, पर ये सच हैं। शरीर की इम्‍यून प्रणाली को नॉनस्टिक में बना भोजन बहुत घटा देता है।
8. लिवर: नॉनस्टिक बर्तन में खाना बनाने से टॉक्सि फ्यूम्‍स निकलती हैं जो पेट को खराब करने में सक्षम होती हैं।
9. किडनी: नॉनस्टिक बर्तन के इस्‍तेमाल से अप्रत्‍यक्ष रूप से किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कुछ मामलों में आपकी किडनी खराब भी हो सकती है।
10. कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर: पीएफओए की मात्रा बढ़ने से शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल भी बढ़ जाता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप लोहे की कढ़ाई और तवे व स्‍टील के बर्तनों का भी इस्‍तेमाल करें।