Saturday, November 4, 2017

राजा नरसिम्हादेवा।

इतिहास जो हमें जानना चाहिए ....
बंगाल (बांग्लादेश सहित) आज इस्लामी हो गया, वहीँ ओडिसा आज भी 95% हिन्दू है .... कैसे ?

सन 1248 ( 13वी शताब्दी ) बादशाह तुगन खान ने उडीसा पर हमला किया । उस समय वहां पर राजा नरसिम्हादेवा का राज था ।

राजा नरसिम्हादेव ने फ़ैसला किया कि इस्लामी हमलावर को इसका जवाब छल से दिया जाना चाहिये । उन्होने तुगन खान को ये संदेश दिया कि वो भी बंगाल के राजा लक्ष्मणसेन की तरह समर्पण करना चाहते हैं, जिसने बिना युद्ध लडे तुगन खान के सामने हथियार डाल दिये थे।

तुगन खान ने बात मान ली और कहा कि वो अपना समर्पण "पूरी" शहर में करे, इस्लाम कबूल करे और जगन्नाथ मंदिर को मस्जिद में बदल दे ।

राजा नरसिम्हादेव राज़ी हो गए और इस्लामिक लश्कर "पूरी" शहर की तरफ़ बढने लगा, इस बात से अन्जान कि ये एक जाल।है। राजा नरसिम्हादेव के हिंदू सैनिक शहर के सारे चौराहों , गली के नुक्कड़ ओर घरों में छुप गये ।

जब तुगन खान के इस्लामिक लश्कर ने जगन्नाथ मंदिर के सामने पहुंचे, उसी समय मंदिर की घंटिया बजने लगी और 'जय जगन्नाथ' का जयघोष करते हिंदू सैनिको ने इस्लामिक लश्कर पर हमला कर दिया। दिनभर युद्ध चला, ज्यादातर इस्लामिक लश्कर को कब्जे में कर लिया गया और कुछ भाग गये । इस तरह की युद्धनीति का उपयोग पहले कभी नहीं हुआ था । किसी हिंदू राजा द्वारा जेहाद का जवाब धर्मयुद्ध के द्वारा दिया गया ।

राजा नरसिम्हादेवा ने इस विजय के उपलक्ष्य में " कोनार्क" मंदिर का निर्माण किया ।

गूगल पर कम से कम ज़रूर देखिये इस शानदार मंदिर को ।

अगर लड़ोगे तो जीतने की गुंजाइश तो होगी ही, मुर्दे लड़ नहीं सकते इसीलिए वो धर्मनिरपेक्षता के खोल में घोगे की तरह छिपने का का ढोंग करते हैं  ।

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