Tuesday, August 29, 2017

बोतलबंद पानी ज़हर ??

भारत में एक आम बात हो गई है कि हर आदमी नल के पानी को छोड़कर बोतल का पानी पीना चाहता है क्योंकि दावा किया जाता है कि वह ‘मिनरल वॉटर’ होता है और ‘शुद्ध’ भी होता है| बात कुछ ठीक भी लगती है क्योंकि पानी की बोतल ख़रीदने वाले हर व्यक्ति के मन में कहीं ये विश्वास ज़रूर होता है कि वह ऐसा पानी पी रहा है जो उसकी सेहत के लिए बहुत लाभदायक है| या यूँ भी कहें कि पानी की बोतलें बनाने वाली कंपनियों ने एक सुनियोजित प्रचार के ज़रिए लोगों के दिलों में ये बात बिठा दी है कि पैसे से ख़रीदकर पिया गया पानी ही सेहत के लिए ठीक है और आम नल का पानी सेहत के लिए बहुत ख़तरनाक़ है. लेकिन क्या हो जब आपको ये पता चले कि जो पानी की बोतल आप दूध के भाव ख़रीदते हैं उस बोतल में शुद्ध जल के बजाय ऐसा पानी होता है जो सेहत के लिए किसी ज़हर से कम नहीं| आपका भरोसा हिल सकता है और यह स्वभाविक भी है क्योंकि उसकी ठोस वजह है| वजह ये है कि आमतौर पर हर दुकान, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर बिकने वाली पानी की बोतलों की जाँच में पाया गया है कि उनमें ख़तरनाक़ हद तक कीटनाशक रसायन तक मिले होती हैं| भला हो भी क्यों नहीं, आखिर एक पानी की बोतल की एक्स्पायरी डेट 6 महीने तक होती है, अब आप ही बताइये कि गंगाजल को छोड़ कर दुनिया का ऐसा
की चीज़ों और पानी की बोतलों की क्यों न जाँच की जाए कि इनका स्तर क्या होता है| इसके बाद दिल्ली और मुंबई के बाज़ार में बिक रहे बोतलबंद पानी के कई नमूने जमा किए गए| ये नमूने न केवल बाज़ार से बल्कि उन फ़ैक्टरियों से भी लिए गए जहाँ पानी की बोतलें भरी जाती हैं| पानी की इन बोतलों की जाँच प्रयोगशाला में अमरीकी तकनीक और अत्याधुनिक पद्धति और उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए की गई| विज्ञान और पर्यावरण केंद्र के एक अन्य वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर एच बी माथुर बताते हैं कि नमूनों की कई बार और प्रामाणिक
तरीक़े से जाँच की गई| निदेशक सुनीता नारायण कहती हैं, “जाँच के बाद जो जानकारी सामने आई वो बहुत ही भयानक है|” मिनरल वॉटर और शुद्ध पेय जल के नाम पर बेची जाने वाली बोतलों में कीटनाशक पाए गए हैं| और सब जानते हैं कि कीटनाशक मनुष्य एवं सभी जीव- जंतुओं के लिए ज़हर हैं| चौंकाने वाली बात ये है कि कीटनाशक सभी कंपनियों की बोतलों में मिले है| और हर बोतल में कीटनाशकों की मात्रा सामान्य से कई गुना तक ज्यादा मिली है| 34 नमूनों की जाँच में लगभग सभी बोतलों में मुख्य रूप से लिंडेन, डीडीटी, डीडीई, एंडोसल्फान, मेलाथियान और क्लोर पायरीफ़ोस नामक कीटनाशक सामान्य से 400 गुना अधिक मात्रा तक पाये गए| पूरी दुनिया के डॉक्टर एवं वैज्ञानिक जानते है कि डीडीटी, लिंडेन, एंडोसल्फान, मेलाथियान, क्लोर पायरीफ़ोस नामक कीटनाशकों से कैंसर बहुत व्यापक पैमाने पर होता देखा गया है| और यह बहुत चिंता की बात है कि पानी की बोतलों में कैंसर की बीमारी पैदा करने वाले रसायन मिले| ये वैज्ञानिक बताते हैं कि मुम्बई से
ज्यादा दिल्ली के नमूनों में कीटनाशक रसायनों की मात्रा पाई गई| लेकिन यह हाल तो पूरे देश का है, कहीं कम, कहीं ज्यादा लेकिन कीटनाशक है तो सभी में| चिंता की बात ये है कि ग़रीब आदमी भी अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा ख़र्च करके ये पानी ख़रीदता है और उसे मिलता क्या है – कैंसर का ख़तरा| यहाँ सवाल ये भी उठता है कि सरकार इस बारे में क्या कर रही है? जब तक आम आदमी की सेहत के बारे में बनाए गए नियम क़ानून और मानक लागू नहीं किए जाते, तब तक कुछ नहीं हो सकता| मुद्दा ये भी है कि पानी की बोतलें बनाने वाली कंपनियों के स्थान पर आम आदमी की सेहत का ज़्यादा ध्यान रखा जाना चाहिए| कुछ समय पूर्व भारतीय रेल्वे ने भी रेल्वे स्टेशनों पर पेयजल की उपलब्धता एवं गुणवत्ता पर काम करने की बजाए ‘रेल नीर’ ब्रांड का बोतलबंद पानी का व्यापार आरंभ कर दिया| पिछले वर्ष सरकार ने अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1867 में बनाया गया सराय एक्ट भी समाप्त कर
दिया। इसके तहत यह बाध्यता थी कि किसी भी पड़ाव, सराय, होटल या अन्य ऐसा स्थान जहां ग्राहक आकर
रूकते हों उसके मालिक को ग्राहक के लिए आते ही पानी का गिलास पेस करना होगा और उसका कोई पैसा ग्राहक से नहीं लिया जाएगा। ऐसा न करने वाले पर जुर्माने का प्रावधान था। इस कानून के जाने को शक की निगाह से देखा जाए तो लगता है कि कहीं जानबूझ कर तो नहीं सराय कानून को मिटा दिया गया है। संदेह करने का कारण कतई स्पष्ट है कि वर्तमान में जिस प्रकार से पानी का बाजारीकरण हुआ है उसमें कहीं न कहीं सराय कानून कानूनन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के बिजनेस पर असर डाल रहा था। ये कम्पनियां उस प्रत्येक दरवाजे को बंद कर देना चाहती हैं जो कि इनकी कमाई के आड़े आता हो। सराय कानून का चले जाना इसी षड़यंत्र का नतीजा है। क्योंकि प्याऊ लगाने वाली संस्कृति के देश भारत को सराय एक्ट से नई उर्जा मिली थी कि हमारी एक
संस्कृति को अंग्रेजों द्वारा कानूनन भी बाध्य कर दिया गया है। लेकिन आजाद देश के हमारे कर्णधारों उसी संस्कृति को मिटाने के लिए उतारू हैं। आखिर ऐसा क्या नुकसान हो जाता अगर सराय कानून बना रहता?
आखिर कौन सा पहाड़ टूट पड़ता अगर इस कानून को निरस्त नहीं किया जाता, लेकिन भविष्य के बड़े बिजनेस पर निगाह गड़ाए बैठी कम्पनियों की नजर में यह कानून खटक रहा था। हमने इस कानून से अपनी संस्कृति को जोड़ लिया था लेकिन कानून की सख्ताई समाप्त होने पर हम संस्कृति से भी हाथ न धो बैठें।
कौनसा पानी है जो 6 महीने बिना कीड़े पड़े बच सकता है. भारत के माने हुए विज्ञान और पर्यावरण केंद्र यानि सीएसई ने अनेक ब्राँडों वाली पानी की बोतलों की जाँच की. केंद्र की निदेशक सुनीता नारायण बताती हैं कि सहयोगियों में ही यह विचार सामने आया कि बाज़ार में बिकने वाली खाने

Friday, August 25, 2017

क्या है सत्यार्थप्रकाश जानिये ?

*** सत्यार्थ प्रकाश ***
सत्यार्थ प्रकाश एक महान ग्रन्थ है | सत्यार्थ प्रकाश एक दार्शनिक ग्रन्थ है, ठीक-ठीक समझने के लिए अनेक ग्रंथो को अध्यन की आवश्यकता है, सत्यार्थ प्रकाश ऐसा सरल ग्रन्थ है की साधारण शिक्षित भी उससे लाभ उठा सकते है और उसका अनुसरण करके अपने जीवन-केंद्र को परिवर्तित कर सकते है |
स्वामीजी भूमिका मे लिखते है – “ मेरा इस ग्रन्थ के बनाने का मुख्य प्रयोजन सत्य-असत्य अर्थ का प्रकाश करना है अर्थात जो सत्य है उसको सत्य और जो मिथ्या है उसे प्रतिपादन करना, सत्य अर्थ का प्रकाश समझा है | वह सत्य नहीं कहाता जो सत्य के स्थान मे असत्य और असत्य के स्थान मे सत्य का प्रकाश किया जाय |” अब आगे हम यह बताएँगे सत्यार्थ प्रकाश ग्रन्थ मे स्वामीजी ने
चौदह समुल्लासो मे किन-किन विषयो पर प्रकाश डाला है |
प्रथम समुल्लास –
पहला समुल्लास कुछ अजीब-सा मालुम होता है | इसमें संस्कृत व्याकरण का इतना भाग है की नये पढ़नेवाले को यह समुल्लास बड़ा शुष्क प्रतीत होता है, परन्तु पहले समुल्लास मे यह सब इसलिए दिया की आगे का मार्ग साफ़ हो जाय | उस समय भी, जैसा आजकल है, सैकडो देवि-देवताओ की पूजा होती थी | ईश्वर विषय को इस समुल्लास मे स्वामीजी ने स्पष्ट किया है |
द्वितीय समुल्लास –
दूसरा समुल्लास मे स्वामीजी ने बालको की शिक्षा पर बल दिया है | भारतीय समाज मे जन्म से सम्बन्ध रखनेवाली अनेक भ्रान्तिया है जिनका आधार अज्ञान है | इसमें सुधार की आवश्यकता है | स्वामीजी का विश्वास है की बच्चो की शिक्षा का आरम्भ उनके जन्म लेने से बहोत पहले आरम्भ हो जाता है | इसलिए माता-पिता के स्वास्थ और आचार-विचार का बड़ा ध्यान रखना चाहिये |
तृतीय समुल्लास –
इस समुल्लास मे स्वामीजी ने पाठशाला मे शिक्षा का क्या क्रम होना चाहिये इसका विस्तृत वर्णन किया है | ब्रह्मचर्य आश्रम मे जिन-जिन नियमों का पालन होना चाइये उसका वर्णन इस अध्याय मे किया गया है | हमारे जीवन का चौथाई भाग अर्थात २५ वर्ष की शिक्षा मे व्यथित होने चाहिये | गृहस्थ आश्रम का प्रश्न २५ वर्ष से पूर्व नहीं उठना चाहिये |
चतुर्थ समुल्लास –
इस समुल्लास मे गृहस्थ आश्रम के सम्बन्ध मे शिक्षा दी गयी है अर्थात किस प्रकार विवाह करके स्त्री-पुरुष को परिवार के कार्यों को करना चाहिये | जिस प्रकार हमारे माता-पिता ने हमको जन्म दिया, पालन किया उसी प्रकार हमारे उपर यह ऋण है की हम भी अपने संतान का पालन करे | यह हमारा कर्त्तव्य है की जब हमारी बारी आई है तो हम अपने उत्तम अधिकारी छोड़कर जावे | समाज का यही नियम है |
पंचम समुल्लास –
इस समुल्लास मे स्वामीजी ने वानप्रस्थ और सन्यास के कर्तव्यों का वर्णन किया है | पहले बताया की मानवीय जीवन के ४ भाग है १. ब्रहमचर्य आश्रम २. गृहस्थ आश्रम ३. वानप्रस्थ आश्रम ४. सन्यास आश्रम | साधारणतः यह विचार किया जाता है की मनुष्य की आयु १०० वर्ष होती है |
षष्ट समुल्लास –
इस समुल्लास मे स्वामीजी ने राजा और प्रजा के सम्बन्ध का वर्णन किया है | कोई समाज बिना राजा के नहीं रह सकता, परन्तु राजा कही प्रकार के होते है | कही-कही तो जिसकी तलवार मे जोर है राजा बन जाता है और जब तक उसमे या उसके परिवार की तलवार मे जोर रहता है वह राजा रहता है | कही-कही प्रजा राजा का निर्वाचन करती है | इस समुल्लास मे स्वामीजी ने राज धर्म पर अपने विचार शास्त्रों के आधार पर व्यक्त किये जो पढ़ने योग्य है |
सप्तम समुल्लास –
इस समुल्लास मे स्वामी दयानन्द जी ईश्वर और उनके गुणों का वर्णन किया है | कोई धर्म ऐसा नहीं जिसका आधार ईश्वर पर न हो | जैन और बौद्ध ईश्वर के अस्तित्व मे विश्वास नहीं करते फिर भी वे पूजा धर्म मे विश्वास रखते है | सारे धर्म ईश्वर को मानते है पर उसके गुणों मे वे सर्वसम्मत नहीं, उसमे विभिन्नता पाई जाति है | गुण का समबन्ध गुनी से होता है | मनुष्य को गुनी से कुछ लेना नहीं, उसके गुणों से काम है | इसलिए ईश्वर पर विश्वास करते हुये यदि हमारे मष्तिष्क मे उसके गुणों की एकता नहीं तो धर्मिज झगडे पैदा हो सकते है |
अष्ठम् समुल्लास –
इस समुल्लास में सृष्टि उत्पत्ति, प्रलय आदि विषयों एवं ईश्वर को सृष्टि का रचियता बताया गया है।
नवम समुल्लास –
इस समुल्लास मे स्वामीजी ने मुक्ति और मोक्ष का वर्णन किया है – मुक्ति क्या है ? कैसे प्राप्त होती है ?
दशम समुल्लास –
सत्यार्थ प्रकाश के दसवे समुल्लास मे स्वामीजी ने मनुष्य-जीवन की साधारण बातो पर विचार किया है, जैसे क्या खाना चाहिये ? क्या न खाना चाहिये ? आपस मे कैसे व्यवहार करना चाहिये ? दैनिक जीवन किस प्रकार होना चाहिये ? आदि-आदि |
एकादशसमुल्लास
इस समुल्लास मे स्वामीजी ने हिंदू धर्म मे सम्मलित अन्धविश्वास और कुरीतियों की आलोचना की है | हिंदू धर्म क्या है यही एक पहली है | हरेक अपने को हिंदू कहता है और अपने को हिंदू धर्म का अनुयायी मानता है | गैर लोग भी समझते है की यह हिंदू है और उसी का अनुयायी है |
द्वादश समुल्लास
इस समुल्लास मे स्वामीजी ने तीन और मतों की आलोचना की है जिन्होंने हिंदू धर्म के समान भारत मे जन्म लिया, परन्तु उनकी गणना हिंदू धर्म मे नहीं है ; इसलिए उनका वर्णन ११ वे समुल्लास मे नहीं आया | उनके अनुयायियो की संख्या भी बहोत कम है उनमे एक है चार्वाक | उनका सिद्धान्त है – न ईश्वर का अस्तित्व है, न ईश्वर की आवश्यकता है | जब तत्व एक दूसरे से मिलते है, तो जीवन आरम्भ हो जाता है |
त्रयोदश और चतुर्दश समुल्लास –
इन दो समुल्लास १३ और १४ समुल्लास मे स्वामीजी ने ईसाइयत और इस्लाम की आलोचना की है, क्यों की कई सौ वर्ष से इन दोनों का संघर्ष वैदिक धर्म से चलता रहा | यद्यपि इन दोनों ने भारतवर्ष मे प्रभुता नहीं प्राप्त कर सखे, तो भी इनका प्रभाव बढ़ रहा है | भारत के राजनैतिक और सांस्कृतिक बातो मे भी इस्लाम और ईसाइयत का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है |
इत्यादि इन सारे विषयों पर सत्यार्थ प्रकाश रूपी सूर्य ने प्रकाश डाला है | इच्छुक, स्वाध्यायी और अस्वाध्याई मनुष्य भी अपने ज्ञान की वृद्धि, संस्कार, संस्कृति, को जानने और इनको बचाने हेतु पूर्वाग्रह से दुर होकर इस कालजयी ग्रन्थ का इस समूह के माध्यम से अवश्य स्वाध्याय करे यह प्रार्थना | अपने जीवन को उन्नत बनाने मे इसका पूर्ण सहयोग ले और यही इस ग्रन्थ का मुख्य प्रतिपादित विषय है |


क्या है डेरा सच्चा सौदा?

उस रात डेरे में साधु गुरजोत ने कहा -तुम्हें डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने बुलाया है अपने कमरे में। मुझे लगा हो सकता है, कोई जरूरी बात हो। मैं सिर नीचा कर चली गई। बाबा जी को प्रणाम किया। उन्होंने बिस्तर के एक तरफ बैठने का इशारा किया। मुझे बहुत संकोच हो रहा था। पहले कभी बाबा के सामने इस तरह पेश नहीं हुई थी। वो भी रात का वक्त। बाबा के प्रति पूरी श्रद्धा होते हुए भी मन में अजीब सी आशंकाएं उमड़-घुमड़ रहीं थी। आखिर महिला जो मैं ठहरी।  जब मेरी नजर कमरे में चल रही टीवी पर पड़ी तो बड़ा झटका लगा।  पैरों तले जमीन खिंसक गई। जिसे प्रभु का अवतार मानकर श्रद्धा में सिर झुकाती चली आई, वह बाबाजी गंदी  फिल्म चलाए बैठे थे। मेरी तरफ कुटिल मुस्कान फेरकर बाबा ने कुछ यूं इशारा किया कि मेरी नजर बिस्तर पर रखे रिवॉल्वर पर पड़ गई। मैं डरने लगी। अचानक  बाबा ने मुझे मेरी मर्जी के विपरीत पकड़ लिया। अश्लील हरकतें करने लगे। मैने चिल्लाने की कोशिश की तो मुंह दबा दिया। रिवाल्वर दिखाकर मुझे व घर वालों को जान से मारने की धमकी दी।  पूरी रात गुरमीत राम रहीम ने रेप किया। एक बार बाबा राम रहीम रेप करने में सफल रहे तो फिर कई बार सिलसिला चला।
कुछ यही मजमून है दुष्कर्म पीड़िता की उस चिट्ठी का। जिस चिट्ठी के दम पर उत्तर-पश्चिमी भारत में बड़ी ताकत के रूप में खड़ा गुरमीत राम रहीम का डेरा सच्चा सौदा साम्राज्य ढहता नजर आ रहा है। कुछ इसी तरह साध्वी ने डेरे की उस  काली रात की दर्दनाक दास्तां अपनी उस गुमनाम  चिट्ठी में दर्ज की।  यह वही चिट्ठी रही, जिसे साध्वी ने मई 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को लिखकर दुष्कर्म के मामले में इंसाफ की गुहार लगाई थी। यह पत्र हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट को भी भेजा गया था। प्रधानमंत्री ने भले ध्यान नहीं लिया, मगर इसी पत्र को संज्ञान में लेकर हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच का आदेश दिया। साध्वी ने पत्र में लिखी बातें हुबहू बयान के रूप में भी सीबीआई के सामने दर्ज कराई।  जिसके चलते बाबा राम रहीम साध्वी के साथ और कई महिलाओं के यौन शोषण में बुरी तरह फंस गए। अब डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर पंचकूला की सीबीआई अदालत 25 अगस्त को रेप केस में फैसला सुनाने रही है..
#चिट्ठी_से_खफा_रहिम_ने_करा_दी_साध्वी_के_भाई_की_हत्या..
यौन शोषण के खिलाफ चिट्ठी लिखने के बाद मामले की जांच शुरू हुई तो गुरमीत राम रहीम भड़क उठे। चिट्ठी लिखने के बाद साध्वी ने डेरा छोड़ दिया था। बहन के यौन शोषण से खफा होकर डेरा सच्चा सौदा प्रबंध समिति के सदस्य रणजीत सिंह ने गुरमीत के पापों की  कलई खोलने की धमकी दी। इस पर गुरमीत का शक पुख्ता हुआ कि यह चिट्ठी रणजीत सिंह ने ही लिखवाई।  इससे खफा होकर गुरमीत रहीम के आदेश पर डेरा समर्थकों ने 10  जुलाई 2002 को रणजीत सिंह की हत्या कर दी।  डेरे को शक था कि कुरुक्षेत्र के गांव खानपुर कोलियां के रहने वाले रणजीत ने अपनी ही बहन से वह पत्र प्रधानमंत्री को लिखवाया है।
रणजीत का उस वक्त मर्डर हुआ, जब वह घर से कुछ ही दूरी पर  रोड किनारे अपने खेतों में नौकरों के लिए नाश्ता लेकर जा  रहे थे। हत्यारों ने अपने गाड़ी को जीटी रोड पर खड़ा रखा और गोलियों से भूनने के बाद फरार हो गए। यौन शोषण के खुलासे के दो महीने बाद साध्वी के भाई का मर्डर हुआ। चूंकि गुरमीत राम रहीम सियासत में रसूखदार रहे तो पुलिस ने जांच में लीपापोती कर दी।  इस पर जनवरी 2003 में रणजीत के पिता व गांव के तत्कालीन सरपंच जोगेंद्र सिंह ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।  सीबीआई जांच की मांग की। 24 सितंबर 2002 को हाई कोर्ट ने साध्वी यौन शोषण मामले में गुमनाम पत्र का संज्ञान लेते हुए डेरा सच्चा सौदा की सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। अब जबकि इस मामले में फैसला आ गया है, मगर अफसोस की बात है कि रणजीत सिंह के याची पिता जोगिंद्र सिंह इस दुनिया में नहीं हैं।
#खबर_छपने_पर_पत्रकार_का_करा_दिया_कत्ल
यौन शोषण के मामले को दबाने के लिए गुरमीत राम रहीम हत्याएं कराने से नहीं चूका। साध्वी से दुष्कर्म के मामले को सिरसा के लोकल सांध्य दैनिक पूरा सच के संपादक रामचंद्र छत्रपति ने प्रमुखता से छापा जिससे हड़कंप मच गया। इतना ही नहीं जब साध्वी के भाई रणजीत सिंह की हत्या हुई तो उस खबर को बड़े अखबारों ने भी ठीक से कवर नहीं किया। मगर रामचंद्र ने अपने अखबार में डेरा सच्चा सौदा मुखिया गुरमीत पर हत्या कराने का खुलासा कर तहलका मचा दिया। इस खबर से सिंहासन डोलता नजर आया तो  फिर गुरमीत राम रहीम ने एक और हत्या करने का फैसला कर लिया।
बस फिर क्या था कि डेरा के गुर्गे धमक पड़े रामचंद्र छत्रपति के ठिकाने पर। 24 अक्टूबर 2002 को  घर के बाहर बुलाकर  पांच गोलियां मारकर छत्रपति को बुरी तरह घायल कर दिया गया। चूंकि छत्रपति सच्चाई लिखने से नहीं चूकते थे, उनकी धारदार पत्रकारिता की तूती बोलती थी। लोकप्रिय थी। इस नाते 25 अक्टूबर 2002 को घटना के विरोध में सिरसा शहर बंद रहा। 21 नवंबर 2002 को सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की दिल्ली के अपोलो अस्पताल में मौत हो गई। एक बार फिर पुलिस ने रसूख के आगे घुटने टेक दिए और गुरमीत राम रहीम का नाम केस से बाहर कर दिया। जिस पर दिसंबर 2002 को छत्रपति परिवार ने पुलिस जांच से असंतुष्ट होकर मुख्यमंत्री से मामले की जांच सीबीआई से करवाए जाने की मांग की। जनवरी 2003 में पत्रकार छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर छत्रपति प्रकरण की सीबीआई जांच करवाए जाने की मांग की। याचिका में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह पर हत्या किए जाने का आरोप लगाया गया।
हाई कोर्ट ने पत्रकार छत्रपति व रणजीत की हत्या में डेरा सच्चा कनेक्शन होने पर एक साथ सुनवाई शुरू की। हाईकोर्ट ने 10 नवंबर 2003 को सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश जारी किए। दिसंबर 2003 में सीबीआई ने छत्रपति व रणजीत हत्याकांड में जांच शुरू कर दी। दिसंबर 2003 में डेरा के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच पर रोक लगाने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका पर जांच को स्टे कर दिया।
नवंबर 2004 में दूसरे पक्ष की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने डेरा की याचिका खारिज करते हुए सीबीआई जांच जारी रखने को कहा। इस पर सीबीआई ने फिर से  मामलों में जांच शुरू कर डेरा प्रमुख सहित कई अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की।  जांच में बुरी तरह फंसने पर गुरमीत राम रहीम ने डेरा समर्थकों को खूब उकसाया। जिस पर सीबीआई के अधिकारियों  खिलाफ चंडीगढ़ में हजारों की संख्या में डेरावालों ने प्रदर्शन किया। यह देखकर  सुनवाई कर रहे जज भी डर गए। जुलाई 2007 को सीबीआई ने हत्या मामलों व साध्वी यौन शोषण मामले में जांच पूरी कर चालान न्यायालय में दाखिल कर दिया।

सीबीआई ने तीनों मामलों में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया। न्यायालय ने डेरा प्रमुख को 31 अगस्त 2007 तक अदालत में पेश होने के आदेश जारी कर दिया। डेरा ने सीबीआई के विशेष जज को भी धमकी भरा पत्र भेजा जिसके चलते जज को भी सुरक्षा मांगनी पड़ी। न्यायालय ने हत्या और बलात्कार जैसे संगीन मामलों में मुख्य आरोपी डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को नियमित जमानत दे दी जबकि हत्या मामलों के सहआरोपी जेल में बंद थे। तीनों मामले पंचकूला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में थी
#क्या_है_डेरा_सच्चा_सौदा
उत्तर-पश्चिमी भारत में डेरा सच्चा सौदा की तूती बोलती है। वजह है संख्या बल और सियासी रसूख। यही वजह है कि डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम एक बड़ी ताकत माने जाते हैं। 1948 में  शाह सतनाम सिंह मस्ताना ने डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की थी।  उनकी  विरासत को पिछले तीन दशक से गुरमीत  राम रहीम संभाल रहे हैं। गुरमीत के कई रूप हैं। कभी वे #संत बने नजर आते हैं तो कभी #फिल्मस्टार। कभी महंगी कारें दौड़ाते नजर आते हैं तो कभी बिजनेस टायकून की तरह दिखते हैं। देश-विदेश में अरबों का साम्राज्य ह..!!
#देखने_से_ये_कहीं_से_भी_संत_दिखता_है..?






Monday, August 21, 2017

म्यांमार से भागा रोहिंग्या मुसलमान।

म्यांमार से भागा रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश क्यों नहीं जाता, भारत क्यों आता है?

सीरिया से भागा मुसलमान सऊदी अरब या ईरान क्यों नहीं जाता, यूरोप और इंग्लैंड कैसे पहुँच जाता है?

फिलिस्तीन पर रोने वाले इतने मुस्लिम देशों में कोई भी इस फिलिस्तीनियों को कभी शरण क्यों नहीं देता?

दुनिया भर में कहीं भी मार-काट मचा कर भागे मुसलमानों को शरणार्थी बनने के लिए कोई यहूदी, हिन्दू या ईसाई पश्चिमी देश ही क्यों याद आते हैं?
यह शरण मांगना भी एक लड़ाई है. ये भागे हुए लोग नहीं हैं...ये जहाँ भी हैं, अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं और ज्यादा सफल तरीके से लड़ रहे हैं. आखिरी मकसद है ज़मीन पर कब्ज़ा...काफिरों की ज़मीन पर अल्लाह के बंदों का कब्ज़ा. यह रिफ्यूजी-जिहाद है...शरण में आये लोग नहीं...भूखा बच्चा, बदहाल औरत, लाचार आदमी...ये सभी इनके हथियार है.. एक्सपैंशन केअमरीका की NRA अक्सर याद दिलाती रहती है: Guns do not kill people, persons do.

स्पेन के लोगों को आज पता चला, बहुत दर्दनाक तरीक़े से, कि हत्या का इरादा हो तो हथियार तो हवा में से पैदा हो जाते है।

स्पेन ने कभी अपने यहाँ से मुसलमानो को vacuum clean किया था।
पाँच सौ साल में अपना इतिहास भूल गए वे लोग। वामपंथी आए और मुसलमानो को वापिस बूला लिया।

परिणामस्वरूप बार्सिलोना में तेरह लोग सड़क पर मृत पड़े है।
NRA लेकिन ग़लत है। मनुष्य भी नहीं मारते। विचार मारता है।

अफ़ग़ानिस्तान में आज भी सारे हिंदू होते तो........
सबसे बड़ा उदाहरण है भारत। उसी जाति के लोग हिंदू भी है व मुसलमान भी। मुसलमान हो गए उसी जाति के लोग अरब के क़बिलाई व्यक्ति की तरह ही बन गए है।

बदला क्या? विचार। हिंदू ऑपरेटिंग सिस्टम की जगह इस्लाम ऑपरेटिंग सिस्टम इंस्टॉल हो गया।
विचार मारते है।

इस्लाम नाम के विचार को जब तक समाप्त नहीं किया जाता, ऐसे ही फ़ुट्पाथ से अपनो के शव खुरचते रहेंगे काफ़िर।

और समाप्त करने का एक मात्र तरीक़ा है कि मज़हब के बुर्क़े में छुपे इस माफ़िया गैंग का सच जाने, सच फैलायें।
ख़ून पीने वाली जोंक पर नमक छिड़क दो वो मर जाती है।

सच इस्लाम के विरुद्ध नमक हथियार हैं... महर्षि चरक ने चरक संहिता में लिखा है "जो रोग जहाँ उत्पन्न होता है उसकी औषधि वहीँ मौजूद होती है"..आतंकवाद का रोग ७२ हूरों वाले अंधविश्वास की वजह से जन्म लेता है और इसका इलाज भी अन्धविश्वास से ही होगा..आतंकियों के शवों को कूड़े के ढेर में जलाना पड़ेगा जिससे उनकी जन्नत वाली फ्लाइट पंक्चर हो..हमें पता है ऐसा कुछ नहीं होता पर उनके लिए तो ७२ हूरे कलश सजाकर बैठी है न ......अपने को विश्वगुरु कहते घूमते हैं हम तो 'गुरूजी' दो न आतंकवाद का इलाज दुनिया को...नैतिकता वैतिकता के चक्कर में वही गलती मत दोहराना जो पृथ्वीराज चौहान ने 'धर्मयुद्ध' के चक्कर में १६ बार हराकर छोड़ दिया था गौरी को..??

भाड़ में गया धर्मयुद्ध
और
नैतिकता का पाठ..??
ईस्लाम के जानवर समाज के कैंसर हैं और इसका सर्जरी अनिवार्य है !!

किस मौसम में कौन सा पानी पिए।

पानी और बर्तन का ये अधभुत विज्ञानं आपको कोई नहीं बताएगा- 
नमस्कार दोस्तों! यहाँ आपको राजीव जी के बताये घरेलू नुस्खे एवं औषधियां प्राप्त होंगी. तो दोस्तों आज की हमारी चर्चा का विषय है कि किस मौसम में कौन-से बर्तन में पानी पीना ठीक रहता है. गर्मियों का सीजन शुरू होता है होली के बाद से और बारिश के पहले दिन तक मिट्टी के बर्तन में रखे हुए पानी को ही पीना अच्छा रहता है. रात हो या दिन हमेशा जब बारिश शुरु हो जाती है तो उस दिन से लेकर बारिश के अंतिम दिन तक तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना हमेशा अच्छा रहता है।

इसके बाद जब बारिश खत्म होती है तब जाकर सर्दियां शुरु होती है. उस दिन से लेकर फिर होली के दिन तक सोने के बर्तन में रखा हुआ पानी सबसे अच्छा होता है. अब सवाल ये उठता है कि भाई सोने के बर्तन कहां से आएंगे इतनी महंगाई के जमाने में? तो जवाब है कि आप कोई भी बर्तन रख लीजिए उसमें एक सोने की अंगूठी डाल दीजिए या फिर सोने की एक चैन डालकर छोड़ दीजिए।

इससे आपको कुछ फायदा होगा ही पर नुकसान बिलकुल नहीं होगा. सोना बहुत गर्म धातु है और चांदी बहुत ठंडी. तो गर्मियां है तो सोने का पानी जहर है लेकिन वहीं पानी अमृत है जब ठंड का मौसम है. तो ठंड के समय में सोने की अंगूठी में पड़ा हुआ पानी इस्तेमाल करें. राजीव जी ने बताया की वह इस पानी को मेडिसिन के रूप में इस्तेमाल करते हैं. जिनको चक्कर आते हैं, हाथ-पैर टेढ़े हो जाते हैं, मिर्गी के मरीज हैं, जिनको मेंटल डिप्रेशन बहुत होता है, ये सोने का बर्तन उनके लिए सबसे बेस्ट मेडिसिन है. जिनको हमेशा बुरे-बुरे विचार आते रहते हैं कि “अभी मैं मर जाऊंगा”, “अभी वह मर जाएगा” या ऐसा कुछ भी जो पॉजिटिव नहीं है तो उनके लिए भी ये सोने के बर्तन में रखा पानी बेस्ट मेडिसिन है।

जिनको कभी भी अच्छी नींद नहीं आती या रात में वह हमेशा शिकायत करते हैं कि वह सोये नहीं, उनके लिए भी ये बेस्ट मेडिसिन है. जिनका माइंड कभी डेवलप नहीं हो पाया, बहुत बार ऐसा होता है ना कि इन्सान का शरीर बढ़ जाता है, लेकिन माइंड बच्चे का ही रहता है. ऐसे बहुत सारे केस आपके जीवन में आ सकते हैं उनके लिए बेस्ट मेडिसिन है सोने के बर्तन में रखा हुआ पानी।

और आखिरी बात कह दूं के हर बीमारी की बेस्ट मेडिसिन है सोने के बर्तन में रखा हुआ पानी. भले वो कफ हो या सर्दी हो या फिर खांसी-जुकाम, माइग्रेन है तो उनके लिए भी ये बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है. 4 महीने जब सर्दियां है तो सोने के बर्तन में रखा पानी पिए और 4 महीने जब गर्मी है तो मिट्टी के घड़े का पानी पीये. और 4 महीने जब बारिश है तो तांबे के बर्तन का पानी पीना है।

पानी पीने का सबसे अच्छा तरीका है सबसे पहले गर्म कर लें या उबाल लें, फिर उसको रुम टेंपरेचर पर ठंडा हो जाने दीजिए. उसके बाद उसको बर्तन में डाल दीजिए चाहे वह मिट्टी का बर्तन हो चाहे तांबे का हो या फिर सोने का हो. फिर उसी को दिनभर पीते रहिए हर समय गर्म करके पीने की जरूरत नहीं है एक बार गर्म करके रूम टेंपरेचर पर ठंडा कर दीजिए फिर उसको किसी भी बर्तन में डालकर सवेरे से शाम तक यूज करते रहिए।

Sunday, August 20, 2017

स्वामी श्रद्धानन्द और मोहनदास करमचंद गाँधी।

हिन्दू-मुस्लिम दंगे फैले थे। गाँधी जी स्वामी श्रद्धानन्द जी से मिलने के लिए उनके आवास पर जाते है।
दोनों में अभिवादन हुआ।
गाँधी जी - स्वामी जी आपसे कुछ बात करनी थी, एकांत में।
स्वामी जी - आइये
फिर दोनों के सेवक बाहर रुकते है और स्वामी जी गाँधी जी को अंदर ले जाते है।
गाँधी जी - स्वामी जी दंगो के कारण हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बड़ा बुरा असर पड़ रहा है। आपके कहने से दंगे रुक सकते है। आप हिन्दुओ को कहिये कि वो मुसलमानो को न मारे। हिन्दू-मुस्लिम एकता आवश्यक है।
स्वामी जी - और इस हिन्दू-मुस्लिम एकता का स्वरुप क्या होगा गाँधी जी?
एकता परस्पर होती है। प्रेम और एकता एक दूसरे के भावनाओ के सम्मान पर टिकी होती है।
गाँधी जी - स्वामी जी हिन्दू-मुस्लिम एकता के बिना "स्वराज" नहीं मिल पायेगा।
स्वामी जी - ये भ्रम क्यों फैलाया जा रहा है गाँधी जी?
गाँधी जी - स्वामी जी आप अपने संगठन "भारतीय हिन्दू शुद्धि सभा" (घर वापसी के लिए स्थापित) को बंद कर दीजिये।
स्वामी जी - ठीक है!
यदि आप चाहते है की मैं "भारतीय हिन्दू शुद्धि सभा" को बंद कर दूँ, शुद्धि सभा का अभियान बंद कर दूँ, तो मैं कर देता हूँ, किन्तु क्या आप इतने ही अधिकारपूर्वक मुसलमानो से ये बात कह पाएंगे कि वो ज़बरदस्ती हिन्दुओ का धर्म-परिवर्तन बंद कर दें।
गाँधी जी - स्वामी जी हमे आपका सहयोग चाहिए।
स्वामी श्रद्धानन्द - मैंने तो सदैव ही आपके साथ सहयोग किया है। जब आप साऊथ अफ्रीका में आंदोलन चला रहे थे उस समय हमने और हमारे गुरुकुल के बच्चों ने सर पर मिटटी ढो के आपके आंदोलन के सहयोग के लिए पैसे भेजे थे। बच्चों ने घी-दूध तक पीना-खाना छोड़ दिया था।
गाँधी जी - इस बात के लिए मैं सदैव आपका ऋणी रहूँगा।
स्वामी जी - तो आपके साथ तो असहयोग की कोई बात ही नहीं है, किन्तु आज आवश्यकता इस बात की है कि इस देश की बहुसंख्यक जनता की भावनाओ को भी समझा जाए।
गाँधी जी लौट गए। फिर समाचार पत्रो में छपा की "गाँधी जी अनशन पर गए"। 21 दिन के बाद गाँधी जी ने अनशन तोडा। गाँधी जी इसी प्रकार "ब्लैकमेल" की राजनीति करते थे।
इस बात पर स्वामी श्रद्धानन्द जी बहुत दुखी हुए और गंगा किनारे संध्या के समय ईश्वर से प्रार्थना की और कहा- "हे ईश्वर! मुझे शक्ति दो। मुझे शक्ति दो की मैं राजनितिक अवसरवादिता से लड़ सकूँ। तुम्हारी सृष्टि में पल रहे मानवमात्र की सेवा कर सकूँ। अपने जीवन की हर सांस उनके उत्थान में अर्पित करूँ। चाहे जितना भी षड्यंत्र हो, जितना भी विरोध हो मैं सत्य के मार्ग से कभी न डिगु और सदैव मानवता की सेवा करता रहूँ। मुझे शक्ति दो ईश्वर, मुझे शक्ति दो।"
कुछ कुछ अज्ञानी लोग गाँधी जी के लेख दिखाकर कहते है कि गाँधी जी कहते थे कि आर्य समाज साम्प्रदायिकता और झगड़ें फैलाता है। क्या वो सभी गाँधी जी के प्रत्येक कार्य से सहमत है। गाँधी जी एक सर्वमान्य नेता बनने की चाह में बहुसंख्यको की भावनाओ को नज़रअंदाज़ करते थे। उन्होंने हिन्दू समाज, दलितों, विधवाओ की आवाज ही नहीं उठाई सहारा भी दिया, फिर भी स्वामी जी को गाँधी जी की अवसरवादिता भरी राजनीति का शिकार होकर मुसलमानो से सीने में गोली खानी पड़ी और बलिदान दिया। स्वामी श्रद्धानन्द जी ने अछूत शब्द को जातिसूचक मानते हुए दलित शब्द को प्राथमिकता देते हुए कहा कि आर्थिक स्थिति का सूचक शब्द दलित है अतः अछूतों को दलित कहा गया। स्वामी श्रद्धानन्द, पंडित लेखराम, महाशय राजपाल, महात्मा फूल सिंह ये महापुरुष वैदिक धर्म की रक्षा करते हुए मुसलमानो की गोली और खंजर का शिकार हुए। यदि हिन्दू समाज उसी समय सचेत होता और आर्य समाज का साथ देता तो केरल, बंगाल, कश्मीर, कैराना जैसी स्थिति कभी न आती।

Friday, August 18, 2017

मिटटी के बर्तन एवम आपका भाग्य।

जानिए कैसे मिटटी के बर्तन द्वारा आप अपना किस्मत/भाग्य संवार सकते हैं .

जिंदगी में हमें कई ऐसी चीजें हैं जो बहुत प्रिय होती हैं और हम चाहते हैं कि वो हमेशा हमारे पास रहें। लेकिन बहुत कुछ कर लेने के बाद भी वो चीजें हमारे पास नहीं रहती हैं।

क्या आप जानते हैं की आपके घर में रखे मिट्टी के बर्तन भी आपका भाग्य चमका सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार मिट्टी के बर्तनों को बहुत पवित्र माना गया है। पहले मिट्टी के बने बर्तनों में खाना खाया जाता था। घर में रखें मिट्टी के बर्तन एक तरफ जहां आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं बल्कि इनके घर या ऑफिस में होने से गुडलक, धन-वैभव, सफलता सब कुछ हासिल किया जा सकता है। पूजा घर से लेकर विवाह के मौके पर पूजा के लिए इस्तेमाल किए जानें वाले सभी बर्तन मिट्टी के होते हैं।

जानिए क्यों नहीं रखें खंडित बर्तन अपने घर में—
घर में इस्तेमाल होने वाले बर्तन हमारे जीवन स्तर को इंगित करते हैं। इसी कारण इन दिनों सुंदर डिजाइन वाले बर्तनों का चलन बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। इसी चलन के कारण कई घरों में पुराने या टूटे-फूटे बर्तनों को संभालकर स्टोर रूम में रख दिया जाता है, जो कि वास्तु की दृष्टि से अशुभ है तथा इसे वास्तु विज्ञान में एक दोष की भांति देखा जाता है। टूटे-फूटे बर्तन दरिद्रता की ओर संकेत करते हैं तथा इन्हें घर में जगह देने से घर में दरिद्रता बढ़ती है और कई तरह की आर्थिक हानि भी हो सकती है।

राहू ग्रह अशुभता का परम सूचक माना जाता है। टूटे-फूटे तथा खंडित चीनी मिट्टी के बर्तन राहू का प्रतीक हैं। ज्योतिषशास्त्र की लाल किताब में हमेशा से ही इस बात पर जोर दिया जाता है कि घरों में टूटे-फूटे बर्तन नहीं रखने चाहिए, न ही कभी ऐसे बर्तनों में भोजन करना चाहिए। जो व्यक्ति टूटे-फूटे बर्तनों में खाना खाता है उससे धन की देवी लक्ष्मी रूठ जाती हैं और उसके घर में अलक्ष्मी अर्थात दरिद्रता का निवास होता है। ऐसा होने पर कई प्रकार के नुकसान का सामना करना पड़ता है।

जानिए कैसे करें सरल समाधान — आपको अपने घर से सभी टूटे-फूटे, खंडित, दरार पड़े हुए तथा बेकार बर्तनों को हटा देना चाहिए। इससे वास्तु दोष का परिहार हो जाता है तथा घर में लक्ष्मी पुनः वास करती हैं। खंडित बर्तन में खाना खाने से हमारी जीवनशैली नकारात्मक बनती है। जैसे बर्तनों में हम भोजन करते हैं हमारा स्वभाव और स्वास्थ्य भी वैसा ही बन जाता है। इसी वजह से अच्छे और साफ बर्तनों में भोजन करें। इससे आपके विचार भी शुद्ध होंगे और सकारात्मक ऊर्जा का शुभ प्रभाव आप पर पड़ेगा और आप सफलता के शिखर पर पहुचने में सफल होंगे।

01-वास्तुशास्त्र में बताया गया है की अगर घर की उत्तर पूर्व दिशा में मिटटी के बर्तन में पानी भरकर रखा जाये तो घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता है. इसके अलावा स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी यह फायदेमंद होता है. वास्तुशास्त्र में बताया गया है है तनाव या फिर किसी मानसिक समस्या का शिकार होने पर घड़े में रखा पानी पीने से तनाव दूर हो जाता है | अथवा घर में उत्तर पूर्व दिशा में मिटटी के घड़े में पानी भरकर रखें इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। सेहत के लिहाज से देखा जाए तो और भी फायदेमंद है। वास्तु के अनुसार अगर कोई तनाव या फिर किसी मानसिक समस्या का शिकार है तो उसे घड़े में रखा पानी पीना चाहिए।

02— आप ये भी जान ले की घर में पूजा के लिए भगवान की मूर्ति अगर मिट्टी के लाएंगो तो इससे आपके घर में हमेशा बरकत रहेगी क्यों की मिटटी को शुद्ध माना जाता है यही नहीं घर में मिट्टी के सजावटी बर्तन जैसे कटोरी, फ्लावर पॉट को दक्षिण-पूर्व दिशा में रख सकते हैं। कहते हैं इससे घर में सौभाग्य तो आता है।
03 .– अमावस्या के दिन मिट्टी के बर्तन में काले तिल और पानी लें। दक्षिण की तरफ बैठकर इस मंत्र का जाप करें ‘ओम पित्र देवाय नमः ओम शांति भवाह’। ऐसा करने से आपको फायदा होगा। इसके अलावा आप अमावस्या के दिन गाय या किसी गरीब को खाना खिलाएं।
04 .– भारतीय सभ्यता में प्राचीन काल से ही मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने की प्रथा रही है |आज भले ही साइंस ने कितनी भी तरक्की क्यों न कर ली हो, लेकिन स्वास्थ्य के नजरिए से देखा जाए तो मिट्टी की हांडी में खाना पकाना आज के प्रेशर कुकर की तुलना में कई गुना ज्यादा लाभकारी सिद्ध होता है |
05 .– घर में समृद्धि लाने हेतु घर के उत्तरपश्चिम के कोण (वायव्य कोण) में सुन्दर से मिट्टी के बर्तन में कुछ सोने-चांदी के सिक्के, लाल कपड़े में बांध कर रखें। फिर बर्तन को गेहूं या चावल से भर दें। ऐसा करने से घर में धन का अभाव नहीं रहेगा।
06 .– भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष भरणी नक्षत्र के दिन चार घड़ों में पानी भरकर किसी एकान्त कमरे में रख दें। अगले दिन जिस घड़े का पानी कुछ कम हो उसे अन्न से भरकर प्रतिदिन विधिवत पूजन करते रहें। शेष घड़ों के पानी को घर, आँगन, खेत आदि में छिड़क दें। अन्नपूर्णा देवी सदैव प्रसन्न रहेगीं।
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जानिए मिटटी के बर्तनों द्वारा कैसे होगा स्वास्थ्य लाभ—
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त है मिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।इंसान के शरीर को रोज 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व मिलने चाहिए. जो केवल मिट्टी से ही आते हैं. एल्यूमीनियम के प्रेशर कूकर में खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं. पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं. कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं. केवल मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं. और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है. लेकिन प्रेशर कूकर एल्यूमीनियम का होता है, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है. जिससे टी.बी., डायबिटीज, अस्थमा हो सकता है. प्रेशर कूकर के भाप से भोजन पकता नहीं है बल्कि उबलता है. आयुर्वेद के अुनसार खाना पकाते समय उसे हवा का स्पर्श और सूर्य का प्रकाश मिलना जरूरी है |मिट्टी के बर्तनों में प्लास्टिक, डाई, माइका आदि नहीं होता है। इसमें पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम, फासफोरस जैसे प्राकृतिक रूप से लाभकारी खनिज पाए जाते हैं। जिसका प्रकृति और पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। यानि शुद्ध मिट्टी का कम्पोजीशन ऐसा होता है जो आप खा भी सकते हैं और इसका कोई नुकसान भी नहीं होता।

मिट्टी के बर्तनों में पकी दाल-सब्जी में धातु विषैले तत्व और चमक पैदा करने वाले रसायनों की मिलावट भी नहीं होती है। मिट्टी उष्णता की कुचालक है अत: इस तरह के बर्तनों में भोजन पकाने से उसे धीरे-धीरे उष्णता प्राप्त होती है, जिसके परिणामस्वरूप दालसब्जी में प्रोटीन शतप्रतिशत सुरक्षित रहता है। यदि कांसे के बर्तन में खाना पकाया जाए तो कुछ प्रोटीन का क्षरण हो जाता है व एल्युमिनियम के बर्तन में पकाने से 87 प्रतिशत प्रोटीन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाता है। भोजन में कुछ एल्युमिनियम चले जाने से एल्जाइमर, पार्किन्सन आदि अनेक बीमारियां हो जाती हैं।

मिट्टी के ये बर्तन कई तरह के मिलते हैं. जिनमें सिरेमिक, क्ले, क्रीमवियर पॉट्स और पैन्स या टेराकोटा के बने हुए बर्तन मिल जाएंगे. इनकी कई तरह की रेंज आपको मिल सकती है. आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से इनका चुनाव कर सकते हैं और इनसे मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ हासिल कर सकते हैं |

अगर आप भी जीना चाहते हैं स्वस्थ जीवन तो ज्यादा से ज्यादा मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करें. बहुत ही कम लोग इस बात को मानेगें लेकिन ये बात तो सच है कि यदि शरीर को रोगमुक्त और लंबी उम्र तक जीना है, तो मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने की आदत डालें |

क्या होगा ऐसा करने से ..??
मिट्टी के बर्तनों की उपयोगिता को समझकर उसमें खाना पकाने से मिट्टी से जुड़े लोगों को काम मिलेगा और हमें स्वास्थ्यकर भोजन।
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जानिए सोने चांदी के बर्तन का प्रभाव — चांदी के बर्तनों में भोजन करना तन, मन और धन के लिए अनुकुल माना गया है क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है जिससे शरीर की गर्मी का नाश होता है। सोने के बर्तनों में भोजन करने से शरीर ठोस, सशक्त और पराक्रमी बनता है। पुरूषों के लिए सोने के बर्तनों में भोजन करना लाभदायक माना गया है।