Saturday, February 4, 2017

गुणी पुत्र पुत्री प्राप्ति के लिए नियम।

शादीशुदा जोड़ो के लिए परिवार नियोजन उपाय*

हमारे बच्चे स्‍वस्थ हों, तन्दरुस्त हों, मेधावी हों, उनके जीवन मे इंटेलिजेन्सी हमेशा हो, उनका
IQ अच्छा रहे, समाजसेवा का काम करें.

किसी भी माँ या पिता को अपने जीवन मे सबसे अच्छा बच्चा चाहिए तो उनका नियोजन करना पड़ेगा.

*बिना नियोजन के बच्चे दाऊद इब्राहिम होते हैं.*

माता बहन को पीटते हैं.

हम हर चीज़ के लिए नियोजन करते हैं, घर बनाने के लिए, आदि, ऐसे ही बच्चे के लिए भी नियोजन करिए.

*नियोजन में क्या करना होगा?*

*सबसे पहला नियोजन संयम पालना पड़ेगा !*

*ज़्यादा समय ब्रह्मचर्या का पालन करना.*

*स्त्री के लिए संयम रखना बहुत सरल है, पुरुषों के लिए थोडा कठिन है.*

*साल मे एक या 2 बार ही संसर्ग करें, या फिर महीने मे बस एक बार ही पत्नी के साथ समागम हो.*

*इसके लिए संकल्प मजबूत रहना चाहिए, और वो मजबूत करने के लिए अदरक काम आएगा, अदरक मुँह मे रख कर चूसते रहें.*

*ये अदरक हर तरह का संकल्प मजबूत करने मे सहायता करता है.*

*2. नियमित रूप से जीवन मे चूना का सेवन करना, दोनो स्त्री पुरुष चूना खाएँ.*
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चूना 1 व्यक्ति दिन मे बस 1 ग्राम तक ही खाए, दूध छोड़ कर किसी भी तरल पदार्थ मे घोल कर पीना है, पान वाला चूना.

जैसे पानी, दही, जूस दाल आदि.

*नोट: पथरी के रोगी के लिए चूना वर्जित है.*

*3. ख़ान पान का ध्यान रखना.*
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*– राणा प्रताप, शिवा जी जैसे बच्चे चाहिए तो सात्विक भोजन करें स्त्री पुरुष.*

*माँस, मछ्ली, अंडा, शराब सिगरेट सब वर्जित.*

*पूर्णतः शाकाहारी जीवन.*

– शाकाहारी भोजन मे कुछ चीज़ें अवश्य हों, जैसे देशी गाय का दूध, दही, मक्खन, घी, ये सब अधिक उपयोग करना. मक्खन के साथ मिश्री ज़रूर खाएँ नियमित रूप से.

मात्रा: 25 ग्राम मक्खन के साथ 10 ग्राम मिश्री.

– तिल, मूँग की दाल, मसूर की दाल, सीज़न वाले फल, जैसे गर्मी मे आम. नियमित रूप से खाना है ये सब।

– फल कभी भी भोजन के साथ नही खाना अलग से खाना फल.

खाने के 2-3 घंटे बाद फल खाना, या फिर सुबह फल का ही नाश्ता करें, रात मे फल नही खाना.

*4. शारीरिक श्रम नियमित रूप से करें दोनो पति पत्नी.*
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– शारीरिक श्रम करें दोनो पति पत्नी.

महिलाएँ ऐसा श्रम करें जिसमे गर्भाशय का मूवमेंट हो.

चटनी बनाना, कपड़े धोना, रोटी बनाना, ये सब काम हाथ से ही करें.

चक्की चलाना सबसे अच्छा है, दिन मे बस 15 मिनिट.

सबसे अच्छी संतान होगी.

– पुरुषों के लिए शरीर श्रम: नागर चलाना, नागार नही चला सकते तो, सीढ़ियाँ चढ़ना और उतरना.

या फिर ज़्यादा पैदल चलना.

*5. संतान का रंग साफ पाने के लिए.*
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– वैसे तो व्यक्ति को उसके कर्मो से जानना चाहिए रंग रूप से नहीं !

फिर भी जो लोग अपनी संतान का रंग साफ चाहते हैं, वो दोनो पति पत्नी हल्दी का दूध पीएँ, रात्रि को दूध मे हल्दी मिला कर पीएँ, संतान का रंग दोनो माता पिता से साफ होगा.

*6. संतान खूब तेज बुद्धि वाली हो इसके लिए:*
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दही चूना मिला कर खाते रहना;

देशी गाय का दूध लो, उसका दही जमाना चाँदी के बर्तन मे सुबह खाली पेट उसमे चूना मिला कर खाना, दोनो पति पत्नी.

चूना वैसे ही लेना है प्रति व्यक्ति 1 ग्राम या गेहू के 1 दाने के बराबर.

*नोट: पथरी के रोगियों के लिए चूना वर्जित है ध्यान रहे.*

*7. तेजस्वी संताप प्राप्ति हेतु समागम करने के लिए आदर्श दिन:*
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– पत्नी का मासिक शुरू होने वाले दिन से 10 दिन बाद और 18 दिन पहले, इस बीच का जो 7 दिन है वो संतान प्राप्ति के लिए सबसे अच्छा समय है.

*सर्वगुण सम्पन्न पुत्र के लिए*

*10,12,14 व 16 वीं रात को समागम करें।*

*सर्वगुण सम्पन्न पुत्री के लिए*

*9 वीं व 15 वीं रात को समागम करें।*

*उसमें भी चतुर्थी, अष्टमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी,चतुर्दशी व अमावस्या और पूर्णिमा व और कोई
भी व्रत व त्यौहार का दिन नहीं आना चाहिये।*

*इतना अगर आप पालन कर लेते हैं तो आपके घर अवश्य ही तेजस्वी और गुणी संतान होगी.*

– इसमे 2 तरह के दिन आएँगे सम और विषम; जैसे 10 सम, 11 विषम, 12 सम, 13 विषम…. आदि;

यदि सम दिन मे समागम करेंगे तो 99% पुत्र होगा, और विषम वाले दिन संसर्ग करेंगे तो पुत्री होगी.

महिलाओं मे X और X गुण सूत्र
हैं, और पुरुषों मे X और Y होते हैं, सम वाले दिन, Y अधिक सक्रिय हो जाता है, तब Y और X मिल कर पुत्र होते हैं, विषम दिन X सक्रिय होता है तो X और X मिल कर पुत्री होती है.
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*8. शुकलपक्ष के दिनो मे समागम करने से पुत्र या पुत्री 99% प्रतापी, तेजस्वी, लड़ने भिड़ने वाले होंगे, कृष्णपक्ष मे अच्छे साहित्यकार, वैग्यानिक, डॉक्टर्स, इंजिनीयर्स, सीए होंगे.

*– छत्रपति शिवाजी, राणा प्रताप, भगत सिंग, उधम सिंग, आज़ाद. ये सब शुकलपक्ष वाले हैं.*

शुक्लपक्ष माने चंद्रमा लगातार बढ़ता हुआ होता है.

– न्यूटेन, गगदीश चंद्रा खुराना, जगदीश चंद्र बोस आदि, सब कृष्नपक्ष वाले हैं.

– चंद्रमा के शरीर पर पड़ने वाली ऊर्जा का सब चक्कर है, आप जानते हैं कृष्णपाक्ष मे चंद्रमा नही होता और शुकलपक्ष मे चंद्रमा बहुत तीव्र होता है.

चंद्रमा का प्रकाश अपना नही है.

वो सूर्य से आता है, शुकलपक्ष मे सूर्य की तीव्रता है, तो सूर्य का तेज आता है संतानों मे.

– कृष्णपाक्ष मे सूर्य का प्रताप नही है तो वो दिमाग़ वाली संतान होंगी.

– अगर आप 2 बच्चे कर रहे हैं तो इस प्रकार नियोजन करें की एक संतान शुक्लपक्ष की और एक संतान कृष्णपक्ष की हो.

*9. मंदबुद्धि बच्चे कहाँ से आते हैं?*
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– ये बच्चे उन माता पिता के हैं जिनके शरीर मे कॅल्षियम बहुत कम है.

इनके बच्चे मतिमन्द होने ही वाले हैं, विकलांग होने ही वाले हैं.

कॅल्शियम का टेस्ट होता है, पेथॉलजी मे हो जाएगा.

सस्ते मे हो जाता है कॅल्षियम टेस्ट शरीर का.

*चुना कैल्शियम का सबसे अच्छा स्त्रोत है !*

– महाराष्ट्र मे कोंकण बेल्ट के बच्चे खूब तेज बुद्धि वाले होते हैं, उनकी आँखे भी दुनिया मे सबसे सुंदर होती हैं.

आई क्यू सबसे अधिक होता है।

उनका, वहाँ की मिट्टी लाल है, हर अनाज और फल मे कॅल्शियम और आइरन अधिक होता है.

लाल मिट्टी मे भरपूर कॅल्शियम और आइरन है.

*गर्भवती माता को भक्तिभाव व  आध्यात्मिक,ज्ञान वाली किताबें पढ़नी चाहिए !*

*बच्चे पर उसका प्रभाव होता है !*

*कहा जाता है अर्जुन पुत्र अभिमन्यु ने गर्भ मे चक्रव्यू भेदने की विधि सीखी थी !!*

– नाड़ी और गोत्र का मिलान होता है ताकि ‘डी एन ए’ एक ना हो.

प्रेम विवाह भी करें तो इन बातों का ध्यान रखें, नही तो प्रेम छूट जाएगा और विवाह घिसट घिसट कर चलेगा.

डोपमाइन केमिकल के प्रभाव से प्रेम भाव उत्पन्न होता है, वो शीघ्र ही समाप्त हो जाता है.

*10. पति पत्नी का ब्लड ग्रूप अलग रहे तो अच्छा.*

*11. पति पत्नी सर्वदा दक्षिण दिशा मे सिर करके सोएँ.*

*12. यदि गर्भाधान हो गया तो अब क्या करें?*

उपरोक्त जानकारी के बिना | ऐसे मे हमे उत्तम संतान प्राप्त हो इसके लिए क्या करें?

– माता का भोजन अच्छा होते ही जाना चाहिए.

दूध, ताक, दही, मक्खन, लोनी, छ्छाच्छ भरपूर खाना है.

याद रखिए, देशी गोमता का ही.

घबराएँ नही वजन नही बढ़ेगा.

– भरपूर कॅल्षियम आपके शरीर मे रहे, मतलब चूना बराबर खाते रहना, केला, मूँगफली दाना, तिल.

इन चीज़ों मे भरपूर कॅल्षियम है.

– समय से भोजन समय से आराम.

लंच करिए 10 बजे भरपेट, डिन्नर शाम 5-6 बजे, बीच मे भूख लगे तो जूस, फल, मूँगफली दाना, गुड, तिल पट्टी, दही खाना. सुबह शाम भोजन भरपेट.

– पहले महीने से सातवे महीने तक थोड़ा थोड़ा श्रम करते रहें, जाता चलाना, चटनी बनाना, कपड़े धोना, झाड़ू पोंच्छा, सब हाथ से करें, मशीन से नही.

– पहले दिन से 9 महीने, 9 दिन, 9 घंटे तक गर्भवती माता को कोई मानसिक तनाव नही देना नही तो दुष्परिणाम 10 गुना तक बच्चे को मिलेगा.

– गर्भवती माता को जो जो पसंद नही है वो उतने दीनो तक घर मे नही होना चाहिए.

*– यदि इन बातों का ध्यान नही दिया तो बच्चा बाहर आकर जिंदगी भर आपको त्रास देगा.*

– सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का असर गर्भवती महिला पर होता है, सूर्य ग्रहण बच्चे के लिए बड़ा तकलीफ़ वाला होता है, चंद्र ग्रहण उतना नही होता.

सूर्य ग्रहण मे ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ होता है, तो ऐसे मे माता को आराम करना चाहिए
                             💐हमारे पुराने आयुर्वेद ग्रंथों में पुत्र-पुत्री प्राप्ति हेतु दिन-रात, शुक्ल पक्ष-कृष्ण पक्ष तथा माहवारी के दिन से सोलहवें दिन तक का महत्व बताया गया है। धर्म ग्रंथों में भी इस बारे में जानकारी मिलती है।
यदि आप पुत्र प्राप्त करना चाहते हैं और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुविधा के लिए हम यहाँ माहवारी के बाद की विभिन्न रात्रियों की महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।

* चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र अल्पायु और दरिद्र होता है।

* पाँचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या भविष्य में सिर्फ लड़की पैदा करेगी।

* छठवीं रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु वाला पुत्र जन्म लेगा।

* सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होगी।

* आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र ऐश्वर्यशाली होता है।

* नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है।

* दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर पुत्र का जन्म होता है।

* ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है।

* बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र जन्म लेता है।

* तेरहवीं रात्रि के गर्म से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है।

* चौदहवीं रात्रि के गर्भ से उत्तम पुत्र का जन्म होता है।

* पंद्रहवीं रात्रि के गर्भ से सौभाग्यवती पुत्री पैदा होती है।

* सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण संपन्न, पुत्र पैदा होता है। 

व्यास मुनि ने इन्हीं सूत्रों के आधार पर पर अम्बिका, अम्बालिका तथा दासी के नियोग (समागम) किया, जिससे धृतराष्ट्र, पाण्डु तथा विदुर का जन्म हुआ। महर्षि मनु तथा व्यास मुनि के उपरोक्त सूत्रों की पुष्टि स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपनी पुस्तक 'संस्कार विधि' में स्पष्ट रूप से कर दी है।प्राचीनकाल के महान चिकित्सक वाग्भट तथा भावमिश्र ने महर्षि मनु के उपरोक्त कथन की पुष्टि पूर्णरूप से की है।

* दो हजार वर्ष पूर्व के प्रसिद्ध चिकित्सक एवं सर्जन सुश्रुत ने अपनी पुस्तक सुश्रुत संहिता में स्पष्ट लिखा है कि मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है।

* 2500 वर्ष पूर्व लिखित चरक संहिता में लिखा हुआ है कि भगवान अत्रिकुमार के कथनानुसार स्त्री में रज की सबलता से पुत्री तथा पुरुष में वीर्य की सबलता से पुत्र पैदा होता है।

* प्राचीन संस्कृत पुस्तक 'सर्वोदय' में लिखा है कि गर्भाधान के समय स्त्री का दाहिना श्वास चले तो पुत्री तथा बायां श्वास चले तो पुत्र होगा।

* यूनान के प्रसिद्ध चिकित्सक तथा महान दार्शनिक अरस्तु का कथन है कि पुरुष और स्त्री दोनों के दाहिने अंडकोष से लड़का तथा बाएं से लड़की का जन्म होता है।

* चन्द्रावती ऋषि का कथन है कि लड़का-लड़की का जन्म गर्भाधान के समय स्त्री-पुरुष के दायां-बायां श्वास क्रिया, पिंगला-तूड़ा नाड़ी, सूर्यस्वर तथा चन्द्रस्वर की स्थिति पर निर्भर करता है।

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