Monday, October 17, 2016

वैदिक विधि से गणित के हिसाब लगाये और आत्मविश्वास बडाये..

भारत में कम ही लोग जानते हैं, पर विदेशों में लोग मानने लगे हैं कि वैदिक विधि से गणित के हिसाब लगाने में न केवल मज़ा आता है, उससे आत्मविश्वास मिलता है और स्मरणशक्ति भी बढ़ती है.
जर्मनी में सबसे कम समय का एक नियमित टेलीविज़न कार्यक्रम है विसन फ़ोर अख्त. हिंदी में अर्थ हुआ “आठ के पहले ज्ञान की बातें”. देश के सबसे बड़े रेडियो और टेलीविज़न नेटवर्क एआरडी के इस कार्यक्रम में, हर शाम आठ बजे होने वाले मुख्य समाचारों से ठीक पहले, भारतीय मूल के विज्ञान पत्रकार रंगा योगेश्वर केवल दो मिनटों में ज्ञान-विज्ञान से संबंधित किसी दिलचस्प प्रश्न का सहज-सरल उत्तर देते हैं. कुछ दिन पहले रंगा योगेश्वर बता रहे थे कि भारत की क्या अपनी कोई अलग गणित है? वहां के लोग क्या किसी दूसरे ढंग से हिसाब लगाते हैं?
भारत में भी कम ही लोग जानते हैं कि भारत की अपनी अलग अंकगणित है, वैदिक अंकगणित. भारत के स्कूलों में वह शायद ही पढ़ायी जाती है. भारत के शिक्षाशास्त्रियों का भी यही विश्वास है कि असली ज्ञान-विज्ञान वही है जो इंग्लैंड-अमेरिका से आता है.
घर का जोगी जोगड़ा
घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध. लेकिन आन गांव वाले अब भारत की वैदिक अंकगणित पर चकित हो रहे हैं और उसे सीख रहे हैं. बिना कागज़-पेंसिल या कैल्क्युलेटर के मन ही मन हिसाब लगाने का उससे सरल और तेज़ तरीका शायद ही कोई है. रंगा योगेश्वर ने जर्मन टेलीविज़न दर्शकों को एक उदाहरण से इसे समझायाः
“मान लें कि हमें 889 में 998 का गुणा करना है. प्रचलित तरीके से यह इतना आसान नहीं है. भारतीय वैदिक तरीके से उसे ऐसे करेंगेः दोनो का सब से नज़दीकी पूर्णांक एक हज़ार है. उन्हें एक हज़ार में से घटाने पर मिले 2 और 111. इन दोनो का गुणा करने पर मिलेगा 222. अपने मन में इसे दाहिनी ओर लिखें. अब 889 में से उस दो को घटायें, जो 998 को एक हज़ार बनाने के लिए जोड़ना पड़ा. मिला 887. इसे मन में 222 के पहले बायीं ओर लिखें. यही, यानी 887 222, सही गुणनफल है.”
यूनान और मिस्र से भी पुराना
भारत का गणित-ज्ञान यूनान और मिस्र से भी पुराना बताया जाता है. शून्य और दशमलव तो भारत की देन हैं ही, कहते हैं कि यूनानी गणितज्ञ पिथागोरस का प्रमेय भी भारत में पहले से ज्ञात था.
वैदिक विधि से बड़ी संख्याओं का जोड़-घटाना और गुणा-भाग ही नहीं, वर्ग और वर्गमूल, घन और घनमूल निकालना भी संभव है. इस बीच इंग्लैंड, अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में बच्चों को वैदिक गणित सिखाने वाले स्कूल भी खुल गये हैं.
नासा की भी दिलचस्पी
ऑस्ट्रेलिया के कॉलिन निकोलस साद वैदिक गणित के रसिया हैं. उन्होंने अपना उपनाम ‘जैन’ रख लिया है और ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स प्रांत में बच्चों को वैदिक गणित सिखाते हैं. उनका दावा हैः “अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण नासा
16वीं सदी के जर्मन गणितज्ञ आदम रीज़े
गोपनीय तरीके से वैदिक गणित का कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाले रॉबट बनाने में अपयोग कर रहा है. नासा वाले समझना चाहते हैं कि रॉबाट में दिमाग़ की नकल कैसे की जा सकती है ताकि रॉबट ही दिमाग़ की तरह हिसाब भी लगा सके– उदाहरण के लिए कि 96 गुणे 95 कितना हुआ….9120″.
कॉलिन निकोलस साद ने वैदिक गणित पर किताबें भी लिखी हैं. बताते हैं कि वैदिक गणित कम से कम ढाई से तीन हज़ार साल पुरानी है. उस में मन ही मन हिसाब लगाने के 16 सूत्र बताये गये हैं, जो साथ ही सीखने वाले की स्मरणशक्ति भी बढ़ाते हैं.
चमकदार प्राचीन विद्या
साद अपने बारे में कहते हैं: “मेरा काम अंकों की इस चमकदार प्राचीन विद्या के प्रति बच्चों में प्रेम जगाना है. मेरा मानना है कि बच्चों को सचमुच वैदिक गणित सीखना चाहिये. भारतीय योगियों ने उसे हज़रों साल पहले विकसित किय़ा था. आप उन से गणित का कोई भी प्रश्न पूछ सकते थे और वे मन की कल्पनाशक्ति से देख कर फट से जवाब दे सकते थे. उन्होंने तीन हज़ार साल पहले शून्य की अवधारणा प्रस्तुत की और दशमलव वाला बिंदु सुझाया. उन के बिना आज हमारे पास कंप्यूटर नहीं होता.”

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Thursday, October 13, 2016

महिलायों को गर्भधारण कराने का उचित समय...

गर्भधारण के लिए सही समय पर सहवास करना है जरुरी।
ओवयूलेशन के पहले यौन क्रिया करने से बढ़ती हैं गर्भधारण की संभावनाएं।
गर्भधारण करने के लिए सहवास की स्थिति भी है महत्वपूर्ण।
सहवास के वक्त ओर्गास्म प्राप्त करने से भी मिलती है मदद।
कई बार कोई महिला गर्भवती नहीं होना चाहती है, फिर भी वो गर्भवती हो जाती है। ठीक इसके विपरीत कई मामलों में कोई महिला गर्भवती होकर मातृत्व सुख प्राप्त करना चाहती है लेकिन लाख चाहने के बावजूद वो गर्भवती नहीं हो पाती। लेकिन कई बीर कुछ सही जानकारियां आपकी मदद कर सकती हैं। इसी के मद्देनजर हम आपको बता रहे हैं गर्भधारण करने के कुछ कारगर उपाय।
अगर आप कई सालों तक परिवार नियोजन अपनाने के बाद अब गर्भधारण करना चाहती हैं  तो निम्नलिखित उपायों को अपनाकर आप सफलतापूर्वक गर्भधारण कर सकती हैं।
गर्भधारण करने के आसान से टिप्‍स:
सही समय पर यौन क्रिया :-
गर्भवती होने के लिए सिर्फ सहवास करना ही सब कुछ नहीं होता बल्कि सही समय पर सहवास करना जरुरी होता है। एक बात ध्यान देने योग्य है कि पुरुष के शुक्राणु हमेशा लगभग एक जैसे ही होते हैं जो महिला को गर्भवती कर सकते है, लेकिन महिला का शरीर ऐसा नहीं होता जो कभी भी गर्भधारण कर सके। उसके गर्भधारण का एक निश्चित समय होता है। आप उस अवधी को पहचाने और उस समय सहवास करें।
ओवयूलेशन के पहले यौन क्रिया :-
यूं तो आप महीने भर हर दिन अपने पति के साथ सहवास कर सकती हैं लेकिन गर्भवती होने के लिए ओवयूलेशन के पहले यौन क्रिया करना जरुरी होता है। आप ओवयूलेशन के पहले यौन क्रिया शुरू करें और आने वाले कुछ दिनों तक नियमित रूप से या एकाध दिन बाद सहवास जारी रखें। सहवास के बाद कुछ देर आप उसी अवस्था में लेटे रहे यानि खड़े न हो एवं अपनी योनी को साफ न करें, ताकि आपके पति के शुक्राणु सही जगह पहुंच सकें।
यौन क्रिया के वक्त तनाव में न रहे:-
यौन क्रिया के वक्त जरा भी तनाव में न रहे। गर्भवती होने के लिए यौन क्रिया के वक्त आपको उसका आनंद उठाना चाहिए ताकि आपकी योनी से उचित मात्रा में तरल पदार्थों का स्राव होता रहे जो शुक्राणु को गर्भधारण करने में सहयोग दे सके।
यौन क्रिया में पुरुष की भूमिका:-
ऐसा देखा गया है कि जो पुरुष अपनी पत्नी की कामोत्तेजना का ख्याल नहीं करते उनकी पत्नियों को गर्भधारण करने में मुश्किलें आती हैं। अगर स्त्री सहवास के वक्त ओर्गास्म प्राप्त कर लेती है तो गर्भधारण के चांसेस काफी हद तक बढ़ जाते हैं क्योंकि तब पुरुष के शुक्राणु को तैरने का यानि सही जगह जाने का समय और वैसा माहौल मिलता है तथा शुक्राणु ज्यादा समय तक  जीवित रहते हैं।
सहवास की स्थिति:-
गर्भधारण करने के लिए यौन क्रिया सेक्स की स्थिति भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यहाँ तक की कुछ लोगों का मानना है कि आपकी यौन क्रिया की स्थिति भी काफी हद तक यह निश्चित करती है कि आपको लड़का होगा या लड़की। कुछ यौन क्रिया स्थिति ऐसी होती हैं जिनमें यौन क्रिया करने से लड़का होने की संभावना ज्यादा रहती है जबकि अगर आपको बेटी चाहिए तो दूसरी स्थिति में सेक्स करना होगा।
संतुलित आहार लें:-
गर्भवती होने के लिए संतुलित आहार का लेना जरूरी है। फोलिक एसिड गर्भधारण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए ऐसी चीजे खाए जिसमें फोलिक एसिड की अधिक मात्रा पाई जाती हों। फोलिक एसिड दालों में पाया जाता है। दाल प्रोटीन का भी बहुत अच्छा स्रोत होता है। हरी पत्तेदार शाक सब्जियों में भी फोलिक एसिड प्रचूर मात्रा में होता है। सूर्यमुखी के बीज, सेम के बीज, संतरे, टमाटर का जूस में भी फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। साथ हीं इसमें लाइकोपिन एवं विटामिन सी भी होता हैं जो आपको तंदरुस्त बनाते हैं और गर्भधारण में मदद करते हैं। इनके अलावा आप साबुत अनाज एवं फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जरूर खाएं। गर्भवती होने के लिए पर्याप्त मात्रा में कैल्सियम का सेवन भी जरुरी होता है।
इनका सेवन ना करें:
सिगरेट:-
अगर आप सिगरेट पीने की शौक़ीन हैं तो इसे पीना छोड़ दें। सिगरेट किसी भी व्यक्ति के लिए नुकसानदेह होता है, लेकिन अगर आप गर्भधारण करना चाहती हैं तो सिगरेट आपके लिए ज्‍यादा नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए आप सिगरेट ना पिये। अगर आप गर्भवती हो भी जाती हैं तो सिगरेट आपके पेट में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालेगा और इससे आपका गर्भपात भी हो सकता है। अतः  इसका पूरी तरह से त्याग कर दें।
शराब एवं कुछेक दवाइयों को कहे ना
इसी तरह से शराब एवं कुछेक दवाइयां बिल्‍कुल ना ले, जो आपके गर्भधारण में बाधक बन सकती हैं।
कैफीन से बचे
कैफीन युक्त खाद्य पदार्थों या पेय का सेवन भी एकदम कम कर दे या बिल्कुल न करें, क्योंकि इससे आपके शरीर की आयरन एवं कैल्सियम ग्रहण करने की क्षमता काफी हद तक घट जाती है। जिससे आपके गर्भवती होने के चांसेस 27 प्रतिशत कम हो जाते हैं।
मीठी चीजों को कहे ना:-
मीठी चीजों से परहेज करें। कोशिश करें कि मीठी चीजें बिल्‍कुल ना खाएं या कम से कम खाएं। इस दौरान मीठी चीजें ज्यादा खाने ना सिर्फ आपको बल्कि आपके होने वाले बच्‍चे को भी नुकसान को सकता है
Source :- http://www.sehatnama.com

Tuesday, October 11, 2016

अगर किसी को लकवा/पक्षाघात (Paralysis) हो गया है, तो यह पोस्ट उसके लिए वरदान साबित होगी..

  • लकवा (Paralysis) को हिन्दी में पक्षाघात होना अथवा लकवा मारना भी कहा जाता है। लकवा मारना मस्तिष्क में होने वाली एक प्रकार की बहुत ही गंभीर तथा चिंताजनक बीमारी है। शरीर के अन्य अंगों की तरह हमारे मस्तिष्क को भी लगातार रक्त आपूर्ति की आवश्यकता होती है। रक्त में ऑक्सिजन तथा विभिन्न प्रकार के पोषकतत्व पाये जाते है जो हमारे मस्तिष्क को सही रूप से कार्य करने में काफी मदद करते है।
  • जब हमारे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह रूक जाता है, तो एक या अधिक मांसपेशी या समूह की मांसपेशियाँ पूरी तरह से कार्य करने में असमर्थ हो जाती है। तब ऐसी स्थिती को पक्षाघात अथवा लकवा मारना कहते हैं। यह बीमारी प्रायः वृद्धावस्था में अधिक पाई जाती है। इस बीमारी में शरीर का कोई हिस्सा या आधा शरीर निष्क्रिय व चेतनाहीन होने लगता है।
  • यह बीमारी होने की वजह से व्यक्ति की संवेदना शक्ति समाप्त हो जाती है, तथा वह चलने फिरने तथा शरीर में कुछ भी महसूस करने की क्षमता भी खोने लगता है। शरीर के जिस हिस्से पर लकवा मारता है, वह हिस्सा काम नहीं करता। पक्षाघात कभी भी कहीं भी तथा किसी भी शारीरिक हिस्से में हो सकता है।

  • पक्षाघात होने के विभिन्न कारण होते हैं। आइये हम देखें वे कौन से कारण है, जिसकी वजह से लोगों को पक्षाघात होता है :
    • 1) किसी भी दुर्घटना के होने से, संक्रमण, अवरूप्ध रक्तवाहिकाओं तथा टयूमर की वजह से पक्षाघात होने की संभावना बनी रहती है।
    • 2) जब हमारे मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति नहीं होती तब भी लकवा मारने जैसी समस्या हो सकती है। हमारे रक्त में ऑक्सीजन तथा विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते है जो हमारे मस्तिष्क के सही रूप से कार्य करने में सहायक होते हैं। जब हमारे मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा में रक्त की आपूर्ति नहीं होती या रक्त के थक्के जमा हो जाते हैं तब इसकी वजह से पक्षाघात होने का खतरा बढ़ जाता है।
    • 3) जब हमारे मस्तिष्क का कोई हिस्सा जो किसी विशेष मांसपेशियों को नियंत्रित करता है, और वह क्षतिग्रस्त हो जाता है, तब भी लकवा मारने की स्थिती उत्पन्न होने लगती है।
    • 4) जिन लोगों में उच्चरक्तचाप, मधुमेह तथा कोलेस्ट्रॉल अधिक मात्रा में पाया जाता है तथा जिन लोगों का शारीरिक वजन अधिक है, उन लोगों में स्ट्रोक होने का खतरा बना रहता है।
    • 5) रीढ की हड्डी पर चोट लगने से जब मेरूदंड पर इसका प्रभाव पडता है तब ऐसी स्थिती में पक्षाघात हो सकता है।

    •  पक्षाघात के लिए किये जाने वाले उपाय :
      • 1) 250 ग्राम रिफाइन्ड तेल में 50 से 60 ग्राम काली मिर्च मिलाकर कुछ देर तक पकायें। अब इस तेल से लकवे से प्रभावित अंग पर हल्के हल्के हाथों से लगायें। इस तेल को उसी समय बनाकर गुनगुना करके लगायें। इस इलाज को लगभग एक महीने तक प्रतिदिन नियमित रूप से करें।
      • 2) पक्षाघात के लिए 4 से 5 लहसुन की कलियों को पीसकर उसे 2 चम्मच शहद में मिलाकर चाट लें। इसके अलावा लहसुन की 4 से 5 कलियों को दूध में उबालकर उसका सेवन करने से रक्तचाप भी ठीक रहता है तथा लकवा से ग्रसित अंगों में भी हलचल होने लगती है।
      • 3) देसी गाय के शुद्ध घी की 3 बूदों को हर रोज सुबह शाम नाक में डालने से माइग्रेन की समस्या खत्म हो जाती है। बाल झडना बंद हो जाते हैं तथा लकवा मारने के इलाज में भी बहुत फायदा होता है।
      • 4) आधा लीटर सरसों के तेल में 50 ग्राम लहसुन डालकर पका लें। अब इसे ठंडा करके इसे अच्छी तरह निचोड लें और एक डिब्बे में रख दें। रोजाना इस तेल से लकवा ग्रस्त प्रभावित क्षेत्र पर मालिश करने से काफी लाभ पहुँचता है।
      • 5) कुछ दिनों तक लकवा से पीडित रोगी को खजूर को दूध में मिलाकर देने से लकवा ठीक होने लगता है।
      • 6) सोंठ तथा उडद को पानी में मिलाकर हल्की आंच पर गर्म करके नियमित रूप से यह पानी रोगी को पिलाने से पक्षाघात में काफी लाभ पहुँचता है।
      • 7) रोजाना, योगासन , प्राणायम तथा कपालभाती जैसी क्रिया नियमित करने से भी पक्षाघात में लाभ पहुँचता है।
      • 8) लकवाग्रस्त पीडितों को केला, नारंगी, आम – ये ही फल खाने चाहिए।
      • 9) उनके आहार में नियमित रूप से भिंडी, बीट, गाजर, जैसी पौष्टिक सब्जियों का समावेश होना चाहिए।
      • 10) 5 ग्राम बारीक पीसी हुई अदरक, 10 ग्राम काली उडद की दाल को 50 ग्राम सरसों के तेल में मिलाकर 5 मिनट तक गर्म करें। अब इसमें लगभग 2 ग्राम पिसा हुआ कपूर का चूरा डालकर इस तेल को गुनगुना कर पर प्रभावित क्षेत्र में मालिश करने से पक्षाघात काफी फायदा होता है।
      • लकवा जैसे रोग का यदि सही समय पर इलाज न किया जाए तो वह रोगी एक प्रकार से अपाहिज की जिंदगी जीने लगता है। इसलिए समय रहते ही इस बीमारी का इलाज करना बहुत ही आवश्यक है। इन आयुर्वेदिक उपायों को यदि नियमित रूप से अपनाया तो पक्षाघात में अवश्य ही लाभ पहुँचने लगता है।

यूरिक एसिड से छुटकारा पाने के 16 सरल घरेलु उपाय.

कुछ वर्ष पहले तक यूरिक एसिड की समस्या कम ही लोगों को हुआ करता था और सबसे बड़ी बात जो उस समय देखने में आती थी कि यह बीमारी पहले नंबर में तो केवल वृद्धावस्था वालों में ही दिखलाई पड़ती थी। और दूसरे नंबर में यह बीमारी केवल अमीर, गरिष्ट भोजन करने वालों, शारीरिक परिश्रम न करने वाले आलसी और अनुवांशिक दोषों वालों को ही होती थी।परंतु आज यह बीमारी अपनी पुरानी सीमाएं तोड़ते हुए समाज हर वर्ग, हर आयु और लगभग सभी को पीड़ित करने लगी है।इस बीमारी में प्रारंभिक अवस्था में शरीर में जकड़न देखी जाती है। बाद में छोटे जोड़ों में दर्द शुरू होता है। आलस्य करने पर जब जोड़ों के स्थान में हड्डियां प्रभावित होने लग जाती हैं तो इलाज मुश्किल होना शुरू हो जाता है।एलोपैथी में इस के लिए प्रयोग की जाने वाली औषधियां शरीर में गुर्दो आदि अवयवों के लिए काफी नुकसानदेह होती है।इस बीमारी में घुटनों, एड़ियों और पैरों की उंगलियों आदि में दर्द होने की सबसे बड़ी वजह यूरिक एसिड का बढ़ना है।इस बीमारी को गठिया या गाउट ( Gout ) भी कहते हैं।

इस बीमारी का उपचार आरम्भ में ही सही समय पर न किया जाये तो मरीज का न् केवल उठना बैठना और चलना फिरना भी दुश्वार होता ही है। बल्कि समय बीत जाने पर यह रोग जड़ जमा कर दुस्साध्य भी हो जाता है। वैसे अभी भी ये समस्या 40 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों में ही अधिक होती दिखलाई पड़ती है और और यदि यह कहा जाये कि 40 से ऊपर उम्र के अधिकांश लोग इससे पीड़ित होते देखे जाते है परंतु यह बात भी एकदम सही है यदि खाने पीने के मामले में यदि प्राकृतिक स्वास्थ्य नियमों का ख़याल न रखा जाए और उनका पालन न किया जाये तो यह बीमारी 40 वर्ष की उम्र से पहले भी किसी भी उम्र में हो सकती है। इसके लिए आपको अपना रोजाना खाने में ऐसा भोजन करना चाहिए जिससे शरीर में पाचन के दौरान आवश्यकता से अधिक प्यूरिन न बने। क्योंकि प्यूरिन ‌‌_ Purine के टूटने जाने की वजह से शरीर में यूरिक एसिड बनता है, यह बात भी जग जाहिर है कि जो ख़ून गुर्दों पास पहुंचता है उस खून में से फालतू और बेकार तत्वों को छान कर हमारे गुर्दे उन्हें पेशाब के द्वारा शरीर से बाहर निकाल देते है। परंतु जब किन्ही गलत आचरणों के के कारण ये प्यूरिन टूट कर टुकड़ों के रूप में खून के साथ गुर्दों के पास पंहुचते है तब हमारे शरीर में स्थित गुर्दे इनको खून में से छान कर पेशाब के रूप में शरीर से बाहर नहीं निकल पाते है और ये टुकड़े शरीर के अंदर क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगते है। बॉडी में इसका लेवल बढ़ने से यह परेशानी का सबब बन जाता है। और इसके बाद जोड़ों का दर्द शुरु हो जाता है। घुटनों, एड़ियों और पैरों की उंगलियों में दर्द होने लगता है हममें से अधिकांश लोगों को तो इस बीमारी के लक्षण ही मालूम नही होते हैं। मोटापे की वजह से शरीर में प्यूरिन जल्दी टूटता है, जिससे यूरिक एसिड ज़्यादा बनने लगता है। इसलिए अपना वज़न बढ़ने न दें। वज़न कम करने के लिए डायटिंग न करके सही और शुद्ध भोजन करें। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बंद करना जरूरी होता है। साग, पालक जैसे पदार्थ भी नहीं लेने चाहिए। विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएँ। इसके अलावा आप ये निम्न 16 ऐसे घरेलु उपाय हैं जिनको अपनाकर इस बीमारी से बहुत आसानी से छुटकारा पा सकते हैं.
1.) 1 चम्मच अश्वगंधा पाउडर में 1 चम्मच शहद मिलाकर 1 गिलास गुनगुने दूध के साथ पिएँ।
2.) रोज़ रात में सोने के पूर्व 3 अखरोट खाये।
3.) एलो वेरा जूस में आंवले का रस मिलाकर पीने से भी आराम आता है।
4.) नारियल पानी रोज पिए।
5. ) खाना खाने के आधे घंटे बाद 1 चम्मच अलसी के बीज चबाकर खाने से फ़ायदा मिलता है।
6.) बथुए का जूस खाली पेट पिएँ। दो घंटे तक कुछ न खाएँ पिएँ।
7.) अजवाइन भी शरीर में हाइ यूरिक एसिड को कम करने की अच्छी दवा है। इसलिए भोजन पकाने में अजवाइन का इस्तेमाल करें।
8.) हर रोज दो चम्मच सेब का सिरका 1 गिलास पानी में मिलाकर दिन में 3 बार पिएँ। लाभ दिखेगा।
9.) सेब, गाजर और चुकंदर का जूस हर रोज़ पीने से बॉडी का pH लेवल बढ़ता है और यूरिक एसिड कम होता है।
10.) एक मध्यम आकार का कच्चा पपीता लें, उसे काटकर छोटे छोटे टुकड़े कर लें। बीजों को हटा दें। कटे हुए पपीते को 2 लीटर पानी में 5 मिनट के लिए उबालें। इस उबले पानी को ठंडा करके छान लें और इसे दिन में चाय की तरह 2 से 3 बार पिएँ।
11.) नींबू पानी पिएँ। ये बॉडी को डिटॉक्सिफ़ाइ करता है और क्रिस्टल को घोलकर बाहर कर देता है।
12.) कुकिंग के लिए तिल, सरसों या ऑलिव ऑयल का प्रयोग करें। हाइ फ़ाइबर डाइट लें।
13.) अगर लौकी का मौसम हो तो सुबह खाली पेट लौकी (घीया, दूधी) का जूस निकाल कर एक गिलास इस में 5-5 पत्ते तुलसी और पुदीना के भी डाल ले, अब इसमें थोड़ा सेंधा नमक मिला ले। और इसको नियमित पिए कम से कम 30 से 90 दिन तक।
14.) रात को सोते समय डेढ़ गिलास साधारण पानी में अर्जुन की छाल का चूर्ण एक चम्मच और दाल चीनी पाउडर आधा चम्मच डाल कर चाय की तरह पकाये और थोड़ा पकने पर छान कर निचोड़ कर पी ले। ये भी 30 से 90 दिन तक करे।
15.) चोबचीनी का चूर्ण का आधा आधा चम्मच सवेरे खाली पेट और रात को सोने के समय पानी से लेने पर कुछ दिनों में यूरिक एसिड खत्म हो जाता है।
16.) दिन में कम से कम 3-5 लीटर पानी का सेवन करें। पानी की पर्याप्‍त मात्रा से शरीर का यूरिक एसिड पेशाब के रास्‍ते से बाहर निकल जाएगा। इसलिए थोड़ी – थोड़ी देर में पानी को जरूर पीते रहें।

यूरिक एसिड में परहेज.

दही, चावल, अचार, ड्राई फ्रूट्स, दाल, और पालक बंद कर दे।
ओमेगा 3 फैटी एसिड का सेवन न करें।
पैनकेक, केक, पेस्ट्री जैसी वस्तुएँ न खाएँ।
डिब्बा बंद फ़ूड खाने से बचें।
शराब और बीयर से परहेज़ करें।
रात को सोते समय दूध या दाल का सेवन अत्यंत हानिकारक हैं। अगर दाल खातें हैं तो ये छिलके वाली खानी है, धुली हुयी दालें यूरिक एसिड की समस्या के लिए सब से बड़ी बात खाना खाते समय पानी नहीं पीना, पानी खाने से डेढ़ घंटे पहले या बाद में ही पीना हैं।
फ़ास्ट फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्स, पैकेज्ड फ़ूड, अंडा, मांस, मछली, शराब, और धूम्रपान बिलकुल बंद कर दे। इन से आपकी यूरिक एसिड की समस्या,
हार्ट की कोई भी समस्या, जोड़ो के दर्द, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में बहुत आराम आएगा।

source :- http://onlyayurved.com/

गिलोय – आयुर्वेद की अमृत – अमृता ।

गिलोय या गुडुची, जिसका वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कोर्डीफोलिया है, गिलोय का आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसके पत्ते पान के पत्ते कि तरह होते हैं। आयुर्वेद मे इसको कई नामो से जाना जाता है जैसे अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा,चक्रांगी, आदि। ये एक दिव्या औषिधि हैं, मधुपर्णी मराठी में गुलवेल। इसके सेवन से आपको नयी ज़िन्दगी मिल सकती हैं। ये पुरे देश में उपलब्ध होती हैं।  इसके खास गुणों के कारण इसे अमृत के समान समझा जाता है और इसी कारण इसे अमृता भी कहा जाता है। हिन्दू शास्त्रो में ये कहा गया हैं के सागर मंथन के समय जो अमृत मिला तो वह अमृत की बूंदे जहाँ जहाँ गिरी वहां से ये अमृता (गिलोय) पैदा हुयी। प्राचीन काल से ही इन पत्तियों का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक दवाइयों में एक खास तत्व के रुप में किया जाता है।
आयुर्वेद में यह बुखार की सर्वोत्तम औषधि के रूप में मानी गई है,  कैसा भी और कितना भी पुराना बुखार हो, इसके रोज़ाना सेवन से सब सही होता हैं। गिलोय की लता पार्क में, घरो में, जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर सामान्यतया कुण्डलाकार चढ़ती पाई जाती है। यह पत्‍तियां नीम और आम के पेड़ों के आस पास अधिक पाई जाती हैं। जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनती है, उसके गुण भी इसमें समाहित रहते हैं । इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है।
गिलोय की पत्तियों और तनों से सत्व निकालकर इस्तेमाल में लाया जाता है। गिलोय को आयुर्वेद में गर्म तासीर का माना जाता है। यह तैलीय होने के साथ साथ स्वाद में कडवा और हल्की झनझनाहट लाने वाला होता है।
अगर आप सुबह उठ कर इसकी छोटी सी डंडी को चबा चबा कर खा लेंगे तो आपके लिए ये संजीवनी की तरह काम करेगी। और कैसा भी असाध्य रोग हो ये उस को चुटकी बजाते हुए खत्म कर देगी।   
गिलोय में अनेका अनेक गुण समाये हुए हैं। गिलोय शरीर के तीनो दोषों (वात, पित्, और कफ) को संतुलित करती है और शरीर का कायाकल्प करने की क्षमता रखती है। इसमें सूजन कम करने, शुगर को नियंत्रित करने, गठिया रोग से लड़ने के अलावा शरीर शोधन के भी गुण होते हैं। गिलोय के इस्तेमाल से सांस संबंधी रोग जैसे दमा और खांसी में फायदा होता है। गिलोय का उल्टी, बेहोशी, कफ, पीलिया, धातू विकार, सिफलिस, एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार, चर्म रोग, झाइयां, झुर्रियां, कमजोरी, गले के संक्रमण, खाँसी, छींक, विषम ज्वर नाशक, टाइफायड, मलेरिया, डेंगू, पेट कृमि, पेट के रोग, सीने में जकड़न, जोडों में दर्द, रक्त विकार, निम्न रक्तचाप, हृदय दौर्बल्य,(टीबी), लीवर, किडनी, मूत्र रोग, मधुमेह, रक्तशोधक, रोग पतिरोधक, गैस, बुढापा रोकने वाली, खांसी मिटाने वाली, भूख बढ़ाने वाली पाकृतिक औषधि के रूप में खूब प्रयोग होता है। इसे नीम और आंवला के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी रोग जैसे एग्जिमा और सोराइसिस दूर किए जा सकते हैं।  इसे खून की कमी, पीलिया और कुष्ठ रोगों के इलाज में भी कारगर माना जाता है।
गिलोय एक रसायन है, यह रक्तशोधक, ओजवर्धक, ह्रुदयरोग नाशक ,शोधनाशक और लीवर टोनिक भी है। यह पीलिया और जीर्ण ज्वर का नाश करती है अग्नि को तीव्र करती है, वातरक्त और आमवात के लिये तो यह महा विनाशक है।
गिलोय का चूर्ण शहद के साथ खाने से कफ और सोंठ के साथ आमवात से सम्बंधित बीमारीयां (गठिया) रोग ठीक होता है।
सूजन कम करने के गुण के कारण, यह  गठिया और आर्थेराइटिस से बचाव में अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय के पाउडर को सौंठ की समान मात्रा और गुगुल के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से इन बीमारियों में काफी  लाभ मिलता है। इसी प्रकार अगर ताजी पत्तियां या तना उपलब्ध हों तो इनका ज्यूस पीने से भी आराम होता है।
गिलोय की जड़ें शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है। यह कैंसर की रोकथाम और उपचार में प्रयोग की जाती है।
गिलोय का रस और गेहूं के जवारे का रस लेकर थोड़ा सा पानी मिलाकर इस में तुलसी और नीम के 5 – 7 पत्ते पीस कर मिला लीजिये इस की एक कप की मात्रा खाली पेट सेवन करने से ये रक्त कैंसर के विनाश के लिए अमृत सामान औषिधि बन जाती हैं। अगर आपकी कोई अलोपथी चिकित्सा चल रही हैं तो  आप उसके साथ में इसको कर सकते हैं। उसके साथ इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं हैं। ये प्रयोग अनीमिया के रोगियों (जिनको बार बार खून चढ़ाना पड़ता हैं) के लिए भी अमृत सामान हैं।
गिलोय उच्च कोलेस्ट्रॉल (LDL) के स्तर को कम करने के लिए, शर्करा का स्तर बनाए रखने में मदद करता है। यह शरीर को दिल से संबंधित बीमारियों से बचाए रखता है।
गिलोय के 6 इंच के तने को लेकर कुचल ले उसमे 4 -5 पत्तियां तुलसी की मिला ले इसको एक गिलास पानी में मिला कर उबालकर इसका काढा बनाकर पीजिये। और इस काढ़े में तीन चम्मच एलोवेरा का गूदा मिला कर नियमित रूप से सेवन करते रहने से जिन्दगी भर कोई भी बीमारी नहीं आती। और इसमें पपीता के 3-4 ताज़ा पत्तो का रस मिला कर दिन में तीन चार बार (हर तीन चार घंटे के बाद) लेने से रोगी को प्लेटलेट की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है प्लेटलेट बढ़ाने का इस से बढ़िया कोई इलाज नहीं है यहचिकन गुनियां डेंगू स्वायन फ्लू और बर्ड फ्लू में रामबाण होता है
गैस, जोडों का दर्द ,शरीर का टूटना, असमय बुढापा वात असंतुलित होने का लक्षण हैं। गिलोय का एक चम्मच चूर्ण को घी के साथ लेने से वात संतुलित होता है ।
गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर नियमित खिलाने से बाँझपन से मुक्ति मिलती हैं।
क्षय (टी .बी .) रोग में गिलोय सत्व, इलायची तथा वंशलोचन को शहद के साथ लेने से लाभ होता है।
गिलोय और पुनर्नवा का काढ़ा बना कर सेवन करने से कुछ दिनों में मिर्गी रोग में फायदा दिखाई देगा।
दस्त पेचिश और आंव में इस की ताज़ा डंडी को थोड़ा कूट कर इसको थोड़े से पानी के साथ पिए। आपको बहुत आराम आएगा।
एक चम्मच गिलोय का चूर्ण खाण्ड या गुड के साथ खाने से पित्त की बिमारियों में सुधार आता है और कब्ज दूर होती है
प्रतिदिन सुबह-शाम गिलोय का रस घी में मिलाकर या शहद गुड़ या मिश्री के साथ गिलोय का रस मिलकर सेवन करने से शरीर मेंखून की कमी दूर होती है।
हिचकी आने पर गिलोय के काढ़े में मिश्री मिला कर देने से हिचकी सही होती हैं।
फटी त्वचा के लिए गिलोय का तेल दूध में मिलाकर गर्म करके ठंडा करें। इस तेल को फटी त्वचा पर लगाए वातरक्त दोष दूर होकर त्वचा कोमल और साफ होती है।
इसका नियमित प्रयोग सभी प्रकार के बुखार, फ्लू, पेट कृमि, खून की कमी, निम्न रक्तचाप, दिल की कमजोरी, टीबी, मूत्र रोग, एलर्जी, पेट के रोग, मधुमेह, चर्म रोग आदि अनेक बीमारियों से बचाता है।
गिलोय भूख भी बढ़ाती है। एक बार में गिलोय की लगभग 20 ग्राम मात्रा ली जा सकती है।
मुंहासे, फोड़े-फुंसियां और झाइयो पर गिलोय के फलों को पीसकर लगाये मुंहासे, फोड़े-फुंसियां और झाइयां दूर हो जाती है।
मट्ठे के साथ गिलोय का 1 चम्मच चूर्ण सुबह शाम लेने से बवासीर में लाभ होता है।
गिलोय का रास शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पेट का दर्द ठीक होता है।
गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानो में दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है। और गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके इस रस को कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
गिलोय और पुनर्नवा मूल को कूट कर इसका रस निकाल लीजिये इस में शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है। यकृत(LIVER) में अगरSGOT या SGPTABNORMAL हैं या BILIRUBIN बढ़ा हैं तो भी इस से ये ठीक होता हैं।
प्रमेह,प्रदर, कमज़ोरी व् धातु क्षीणता होने पर इसको कूट कर रात में पानी मिला कर रख दीजिये और सुबह इसको निचोड़ कर इस पानी को पी लीजिये, ये थोड़ा कड़वा होगा, कड़वापन दूर करने के लिए आप इसमें मिश्री या शहद मिला कर इसको पीजिये। इसको पीने से आपके चेहरे से झुर्रिया व् झाइयां खत्म होंगी और चेहरे पर कांति आएगी। मधुमेह के रोगी इसमें शहद या मिश्री ना मिलाये।
ये बुढ़ापे को रोकने वाली, जवानी को बना कर रखने वाली दिव्या औषिधि हैं। अगर आपको किसी भी प्रकार का दाद, खाज, खुजली, एक्ज़िमा, सीरोसिस, चाहे लिवर के अंदर ट्यूमर, फाइब्रोसिस में भी ये लाभकारी हैं।
मधुमेह के रोगी अगर सुबह इसकी ६ इंच की ताज़ा डंडी को चबा चबा कर चूसे तो कुछ दिनों में उनका मधुमेह का रोग सही हो जाता हैं।
गिलोय में शरीर में शुगर और लिपिड के स्तर को कम करने का खास गुण होता है। इसके इस गुण के कारण यह डायबीटिज टाइप 2 के उपचार में बहुत कारगर है।
गिलोय रसायन यानी ताजगी लाने वाले तत्व के रुप में कार्य करता है। इससे इम्यूनिटी सिस्टम में सुधार आता है और शरीर में अतिआवश्यक सफेद सेल्स की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। यह शरीर के भीतर सफाई करके लीवर और किडनी के कार्य को सुचारु बनाता है। यह शरीर को बैक्टिरिया जनित रोगों से सुरक्षित रखता है। इसका उपयोग सेक्स संबंधी रोगों के इलाज में भी किया जाता है।
वैज्ञानिक विश्लेषण के अनुसार इसमें एल्केलाइड गिलोइन नामक कड़वा ग्लूकोसाइड, वसा, अल्कोहल, ग्लिस्टरोल, अम्ल व उडऩशील तेल होते हैं। इसकी पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस और तने में स्टार्च पाया जाता है। वायरसों की दुश्मन गिलोय रोग संक्रमण रोकने में सक्षम होती है। यह एक श्रेष्ठ एंटीबयोटिक है।
टाइफायड, मलेरिया, डेंगू, एलीफेंटिएसिस, विषम ज्वर, उल्टी, बेहोशी, कफ, पीलिया, तिल्ली बढऩा, सिफलिस, एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार, झाइयां, झुर्रियां, कुष्ठ आदि में गिलोय का सेवन आश्चर्यजनक परिणाम देता है। यह शरीर में इंसुलिन उत्पादन क्षमता बढ़ाती है। गिलोय बीमारियों से लडऩे, उन्हें मिटाने और रोगी में शक्ति के संचरण में यह अपनी विशिष्ट भूमिका निभाती है।
शरीर में पाचनतंत्र को सुधारने में गिलोय काफी मददगार होता है। गिलोय के चूर्ण को आंवला चूर्ण या मुरब्बे के साथ खाने से गैस में फायदा होता है। गिलोय के ज्यूस को छाछ के साथ मिलाकर पीने से अपाचन की समस्या दूर होती है साथ ही साथ बवासीर से भी छुटकारा मिलता है।
गिलोय एडाप्टोजेनिक हर्ब है अत:मानसिक दवाब और चिंता को दूर करने के लिए उपयोग अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय चूर्ण को अश्वगंधा और शतावरी के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। इसमें याददाश्त बढ़ाने का गुण होता है। यह शरीर और दिमाग पर उम्र बढ़ने के प्रभाव की गति को कम करता है।
अगर ये आपके घर में नहीं है तो आप इसको अपने घर में ज़रूर लगाये। ये भारत के असली मनी प्लांट हैं, नकली मनी प्लांट को घर से निकाल कर बाहर करे। अगर आप इसकी डंडी काट कर अपने घर में किसी गमले में या मिटटी में लगा देंगे तो ये वहां अपने आप ही उग आएगी।
गर्भवती महिलाओं को बिना चिकित्सकीय सलाह के इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए। 
इसमें अनंत गुण हैं, हमारा सामर्थ्य इतना नहीं हैं के हम इनके सम्पूर्ण गुणों को आपको बता सके।


source :- http://onlyayurved.com/

Sunday, October 9, 2016

आयोडिन युक्त नमक....





आज से करीब 40 साल पहले सरकार ने पश्चिम बंगाल के 5 जिलों यथा मालदा, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, मुर्शिदाबाद एवं नदिया को घेंगा रोग से ग्रसित घोषित किया था और उन जिलों मे आयोडिन युक्त नमक लोगों को जबर्दस्ती खिलाया गया, बिना आयोडिन वाले नमक की बिक्री पर पतिबंध लगा दिया गया, जब विरोध मे किसी ने कोई आवाज नहीं उठाई तो उसके कुछ साल बाद पूरे देश मे ही बिना आयोडिन वाले नमक की बिक्री पर पाबंदी लगा दी गयी और पूरे देश कि जनता को जबर्दस्ती आयोडिन युक्त नमक खिलाया जाने लगा, और इसको राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया गया, टीवी मीडिया हर जगह आयोडीन आयोडीन नमक कर दिया गया जो आज तक बदस्तूर जारी है, अब आयोडिन युक्त नमक या आयोडिन कि स्वल्प सिर्फ उसी के लिए जरूरी है जिसे घेंगा रोग हुआ है, और जिसे ये रोग हुआ ही नहीं है वो अगर आयोडिन खाएगा तो उसके शरीर मे उल्टा रोग जन्म ले लेगा और यही हमारे देश मे हो रहा है, आज अधिकतर लोग घेंघा (थायरोइड) की समस्या से ग्रस्त हैं और इस बात पर किसी का भी ध्यान बिलकुल नहीं गया है. आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप ,डाइबिटीज़,लकवा आदि गंभीर बीमारियो का भय भी बना रहता है ।
बाबा राम देव अब आयोडीन नमक बेच कर क्या करना चाहते है देश के लोगो के साथ 

Friday, October 7, 2016

कोंग्रेस की काली नीयत और काले इतिहास का काला सच ...अवश्य जानिये.....




1. यह पार्टी पूरी तरह से एक मुस्लमान परस्त पार्टी हैं.
2. अपने जन्म से ही यह पार्टी हिंदु विरोधी पार्टी हैं.
3. भगत सिंह को फांसी लगानेका विरोध नहीं किया.
4. खिलाफत आन्दोलन को समर्थन किया.
5. क्रांतिकारियों को आतंकवादी बताते थे.
6. सुभाष चन्द्र बोस को कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने को मजबूर किया.
7. देश का बंटवारा मंज़ूर किया.
8. यदि बंटवारा हो ही गया था तो पूरी तरह से होना चाहिए था, परन्तु नेहरु-गाँधी के कारन से नहीं हो पाया.
9. कश्मीर समस्या नेहरु परिवार की दें हैं.
10. धारा 370 नेहरु परिवार की देन हैं.
11. जब भारतीय सेना आगे बढ़रही थी तो युद्ध विराम घोषित किया.
12 पूरा कश्मीर भारत के पास आ रहा था, तो नेहरु ने पाकिस्तान के पास एक हिस्सा छोड़ दिया.
13एक हिस्सा चीन के पास जाने दिया.
14. तिब्बत तश्तरी में उठा के चीन को दे दिया.
15. पाकिस्तान को 56 करोड़ रूपये दिए.
16. देश के विभाजन की जिम्मेदार मुस्लिम लीग को सरकार में साझा किया.
17. कश्मीर में श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जेल मेंडाल दिया, जहाँ पर उनकी संदेहास्पद अवस्था में मौत हो गयी.
18. 1962 में चीन के सामने शर्मनाक रूप में समर्पण किया.
19. 1971 की जीत को इंदिरा ने 1973 में भुट्टो के सामने हार में बदल दिया.
20. देश में आपातकाल लागू किया.
21. इंदिरा के मरने प् देश में 2०००० सिक्खों का दर्दनाक क़त्ल कर दिया गया.
22. स्वर्ण मंदिर पर हमला किया, और उसे नस्ट कर दिया गया.
23. राजीव गाँधी ने अपने हीतमिल/हिंदु भाइयो पर हमला करने के लिए
श्रीलंका में सेना भेजी, जिसमे हमारे 3००० जवान मारे गए.
24. मुस्लिमो को आरक्षण देना शुरू किया.
25. रामजन्म भूमि का विरोध शुरू किया.
26. राम सेतु को तुडवाना चाहा.
27. साधू संतो का व हिंदु प्रतीकों का अपमान करना शुरू किया
28 हिंदु को गाली और दुसरे को समर्थन किया.
29. एक लाख औरतो और बच्चो पर रात के समय लाठी व गोली चलवाई.
30. भृष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए.
31. महंगाई ने लोगो से भोजनभी छीन लिया.
32. एक विदेशी औरत को हमारेसर पर बैठा दिया.
33. प्रधानमंत्री की कुर्शी पर एक ही परिवार का राज हो गया.
34. ओसामा को ओसामा जी व संतो को ठग बताते हैं.
35. मुस्लिम्परस्ती के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए.
36. हिंदु होना इस देश में एक गाली के समान हो गया हैं.

अटल बिहारी वाजपायी कविता - हिन्दू तन मन हिन्दू

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार क्षार
डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं जिसमे नचता भीषण संहार
रणचंडी की अतृप्त प्यास मै दुर्गा का उन्मत्त हास
मै यम की प्रलयंकर पुकार जलते मरघट का धुँवाधार
फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती मे आग लगा दूं मै
यदि धधक उठे जल थल अंबर जड चेतन तो कैसा विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै आज पुरुष निर्भयता का वरदान लिये आया भूपर
पय पीकर सब मरते आए मै अमर हुवा लो विष पीकर
अधरोंकी प्यास बुझाई है मैने पीकर वह आग प्रखर
हो जाती दुनिया भस्मसात जिसको पल भर मे ही छूकर
भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन
मै नर नारायण नीलकण्ठ बन गया न इसमे कुछ संशय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै अखिल विश्व का गुरु महान देता विद्या का अमर दान
मैने दिखलाया मुक्तिमार्ग मैने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान
मेरे वेदों का ज्ञान अमर मेरे वेदों की ज्योति प्रखर
मानव के मन का अंधकार क्या कभी सामने सकठका सेहर
मेरा स्वर्णभ मे गेहर गेहेर सागर के जल मे चेहेर चेहेर
इस कोने से उस कोने तक कर सकता जगती सौरभ मै
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै तेजःपुन्ज तम लीन जगत मे फैलाया मैने प्रकाश
जगती का रच करके विनाश कब चाहा है निज का विकास
शरणागत की रक्षा की है मैने अपना जीवन देकर
विश्वास नही यदि आता तो साक्षी है इतिहास अमर
यदि आज देहलि के खण्डहर सदियोंकी निद्रा से जगकर
गुंजार उठे उनके स्वर से हिन्दु की जय तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

दुनिया के वीराने पथ पर जब जब नर ने खाई ठोकर
दो आँसू शेष बचा पाया जब जब मानव सब कुछ खोकर
मै आया तभि द्रवित होकर मै आया ज्ञान दीप लेकर
भूला भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जगकर
पथ के आवर्तोंसे थककर जो बैठ गया आधे पथ पर
उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढनिश्चय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मैने छाती का लहु पिला पाले विदेश के सुजित लाल
मुझको मानव मे भेद नही मेरा अन्तःस्थल वर विशाल
जग से ठुकराए लोगोंको लो मेरे घर का खुला द्वार
अपना सब कुछ हूं लुटा चुका पर अक्षय है धनागार
मेरा हीरा पाकर ज्योतित परकीयोंका वह राज मुकुट
यदि इन चरणों पर झुक जाए कल वह किरिट तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै वीरपुत्र मेरि जननी के जगती मे जौहर अपार
अकबर के पुत्रोंसे पूछो क्या याद उन्हे मीना बझार
क्या याद उन्हे चित्तोड दुर्ग मे जलनेवाली आग प्रखर
जब हाय सहस्त्रो माताए तिल तिल कर जल कर हो गई अमर
वह बुझनेवाली आग नही रग रग मे उसे समाए हूं
यदि कभि अचानक फूट पडे विप्लव लेकर तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

होकर स्वतन्त्र मैने कब चाहा है कर लूं सब को गुलाम
मैने तो सदा सिखाया है करना अपने मन को गुलाम
गोपाल राम के नामोंपर कब मैने अत्याचार किया
कब दुनिया को हिन्दु करने घर घर मे नरसंहार किया
कोई बतलाए काबुल मे जाकर कितनी मस्जिद तोडी
भूभाग नही शत शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै एक बिन्दु परिपूर्ण सिन्धु है यह मेरा हिन्दु समाज
मेरा इसका संबन्ध अमर मै व्यक्ति और यह है समाज
इससे मैने पाया तन मन इससे मैने पाया जीवन
मेरा तो बस कर्तव्य यही कर दू सब कुछ इसके अर्पण
मै तो समाज की थाति हूं मै तो समाज का हूं सेवक
मै तो समष्टि के लिए व्यष्टि का कर सकता बलिदान अभय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

क्या बॉलीवुड हमे मुसलमान बना देगा...

आपने देखा कि पिछले २ ढाई वर्षों में लगभग प्रत्येक फिल्म में एक न एक खुदा , अल्लाह का गीत अवश्य होता है।
वैसे क्या अंतर पड़ता है जबकि सब एक ही ईश्वर के अलग नाम हैं? परन्तु जब यह किसी साज़िश के अंतर्गत हो रहा हो तो अंतर पड़ता है।
आपने यह बात अनुभव की या नहीं मुझे पता नहीं परन्तु भारतीय टीवी, समाचार पत्र भरपूर अवस्था में हिंदी के शब्दों के स्थान पर उर्दू का प्रयोग अनावश्यक रूप से कर रहे हैं। महत्वपूर्ण को अहम और परिश्रम को मशक्कत बना दिया गया है। यदि यही दशा रही तो कुछ दिनों में हिंदी “एक समय की बात है” बन जायगी। ठीक वैसे ही जैसे आज संस्कृत है।

एक छोटा सा उदाहरण पढ़िए और फिर बाकि फिल्मे देखिये… फिल्म “भाग मिल्खा भाग” तो आपने देखि होगी? उस फिल्म में जो पंजाब की पृष्ठभूमि पर बनी है अल्लाह के गीत कहाँ फिट बैठता है? वहीँ दूसरी ओर हिन्दुओं के लिए “हवन करेंगे, हवन करेंगे, हवन करेंगे” . ऐसे उदाहरण आपको हर दूसरी तीसरी फिल्म में देखने को मिल जायगा।
फिल्म हैदर में तो सुना है कि भारतीय सेना पर ही उंगली उठाई गई है। सिंघम में एक कबरवासी को महान बनाया गया क सारी मुंबई की पुलिस उसके यहाँ प्रार्थना करती है।
ऐसे अनगिनत उदाहरण आपको फिल्मो में दिख जायेंगे। अतिश्योक्ति तो वहां देखी जब एक फिल्म में परेश रावल जी हाथ में पूजा का थाल लिए मंदिर की ओर जा रहे हैं और पृष्ठभूमि में अल्ला का गीत बज रहा है। मित्रों! अब क्या करना है यह आप पर निर्भर करता है।
आज दुनिया के किसी भी देश को ले लो, उस देश में बनने वाली या प्रदर्शित होने वाली फिल्मे देश की संस्कृति पर गहरी छाप छोड़ देती हैं. फिल्मे जो केवल मनोरंजन का एक साधन समझी जाती हैं, किसी भी देश को बना या बिगाड़ सकती हैं. कुछ रुपयों की टिकट लेकर आप जब फिल्म देखने जाते हैं और दो से तीन घंटे उस अँधेरे हाल में बिताने के बाद जब बाहर निकलते हैं तो आप अनजाने ही काफी समय तक उन पात्रों से जुड़े रहते हैं. और इसका सीधा मनोवैज्ञानिक कारण है कि आप फिल्म को एकटक अँधेरे हाल में देख रहे होते हैं और वह सीधे आपके मस्तिष्क पर असर डालती है.
आइये अब देखते हैं क कैसे इन अभिनेताओं, कहानियों तथा गीतों ने प्रारम्भ से हमारी सनातन संस्कृति का सत्यानास किया.
एक समय था जब एक मुस्लिम अभिनेता को सफल होने के लिए हिन्दू नाम का सहारा लेना पड़ता था. युसूफ खान (दिलीप कुमार) से अच्छा उदाहरण और कोई नहीं मिल सकता. संजय ने बहुत लम्बे समय तक खुद के नाम के आगे खान लिखने से परहेज़ किया.लेकिन आज? आज शाहरुख़ खान बड़े गर्व से कहता है कि वह पठान है और उस पर तुर्रा यह कि एक हिन्दू लड़की से विवाह करके बड़ी शान से जी रहा है. एक वही क्यों? जिस भी मुस्लिम कलाकार या क्रिकेटर को देखो, हिन्दू लड़कियों से प्रेम सम्बन्ध बनाना या विवाह करना अपना धर्म समझता है.
क्या यह सब अचानक हो रहा है? क्या यह एक सोची समझी साज़िश नहीं है? शर्मीला टैगोर /पटौदी से आरंभ हुई यह कहानी आज घर घर में दोहराई जा रही है. लव जिहाद की सफलता का बड़ा कारण यही है. यह अभिनेता आज लोगों के ideals हैं और इन्ही की देखा देखी हिन्दू लड़कियां भी मुस्लिम लड़कों के चंगुल में फंसती जा रही हैं.एक समय जब एक धर्म के लड़के की शादी किसी दूसरे धर्म के लड़के से दिखाई जाती थी तो दंगे फसाद हो जाते थे, जब कि आजकल तो फ़िल्मी कहानियों में हिन्दू लड़कियों कि शादी मुसलमानों से बड़ी शान से दिखाई जा रही है और कहा जा रहा है कि वह आंतंकवादी नहीं है.
जब से मैंने फिल्मे देखना आरम्भ किया है, मैंने देखा है कि हर फिल्म में एक मुसलमान सच्चा मुसलमान होने का दावा करता है और किसी हिन्दू की जान बचाता है. हिन्दू साधुओं को केवल ढोंगी ही दिखाया गया. कोई फिल्म याद नहीं जिसमे हिन्दू ने मुसलमान बच्चे को अपना बच्चा बना कर पाला हो. क्या कारण था कि केवल ऐसी ही कहानियां लिखी जाती थी? हर अच्छा पुलिस वाला, सैनिक, आम आदमी या फिर कसाई भी सच्चा मुसलमान होता था और चोर , गुंडे आदि केवल हिन्दू?
हर हिंदी फिल्म के गीत में “खुदा खैर करे,/ अल्लाह जाने क्या होगा आगे” आदि शब्दों कि भरमार होती थी और है. क्या हिंदी के व्याकरण के सभी , रस तथा अलंकार देवी-देवताओं के नाम आदि कम पड़ जाते हैं ? क्या हिंदी भाषा इतनी अशक्त है कि उसमे कुछ शब्द ही नहीं मिलते थे गीत लिखने के लिए ? क्या आपको इस सबके पीछे कोई षड़यंत्र नज़र नहीं आता? एक सोचा समझा षड्यंत ! क्या इस तरह धीरे-२ इस्लाम को तथा उर्दू को भारत में फैलाया जाना किसीको नहीं दिख रहा? जिस नेता को उत्तर प्रदेश के भैये दीखते हैं, यह मुल्ले नहीं दीखते? या फिर उनसे लड़ने की ताकत नहीं है ?
आज तो फ़िल्मी दुनिया में इन खान`स की पूरी दादागिरी है. जो नायिका उनका कहा नहीं मानती, वह चल ही नहीं सकती. जो हिन्दू कलाकार इनके बारे में एक शब्द भी कह दे, फ़िल्मी दुनिया से बहार का रास्ता दिखा दिया जाता है. विवेक ओबेरॉय इसका एक उदाहरण है. पिछले दिनों हृतिक रोशन से नाराज़गी की वजह से उसे बिग बोस में सलमान खान ने अपनी फिल्म अग्निपथ का प्रोमो नहीं करने दिया. यहाँ तक कि संजय दत्त की भी एक न चली. जब तक ताकत नहीं है भाई बन कर रहो और जैसे ही ताकत हाथ में आई, तानाशाही शुरू. कोई बड़ी बात नहीं कि हिन्दू कलाकारों को फ़िल्मी दुनिया में टिके रहने के लिए जजिया भी देना पड़ता हो ! क्यों न हो ? आखिर financer तो दुबई तथा पाकिस्तान में बैठे हैं.
आपमें से कितनो को यह पता है क केवल हिन्दू धर्म का मज़ाक उड़ाने के लिए धारावाहिक रामायण की नायिका सीता माता (दीपिका) को एक बहुत ही गंदे रोल में दिखाया गया था और यह कहा गया था क देखो ! यह है तुम्हारी सीता.
पाकिस्तानी कलाकारों का भारतीय फिल्म नगरी में हो रहा स्वागत इसका प्रमाण नहीं है?
२०११ के अंत में एक फिल्म का बड़े जोर शोर से ऐलान हो रहा था जिसमे एक मुस्लिम बेटी अपने बाप से पूछती है क “यदि पाल नहीं सकते थे तो पैदा ही क्यों किया ७ लड़कियों को ?” कहाँ गई फिल्म? फिल्म अज़ान कहाँ गम हो गई सभी websites से, सोचो क्यों? यदि एक फिल्म से कुछ असर न पड़ता हो तो क्यों बंद करवाते हाँ यह फिल्मे? कितना पैसा और ताकत खर्च करते हैं यह एक फिल्म को डिब्बे में बंद करवाने में ? क्यों ?
आप लोगों को पता ही नहीं चला कि कब दूसरी भाषा उर्दू भारत कि मुख्य भाषा हिंदी में विलीन होकर हिंदी को खाती चली गई और आज किसी बच्चे तो क्या, बड़े से भी पूछो तो उसे विशुद्ध हिंदी बोलनी नहीं आती. . यहाँ तक कि शुद्ध हिंदी में वार्ता करने वाले का उपहास ही किया जाता है. समाचार पत्र जो पहले विशुद्ध हिंदी में लिखते थे , अब अपने भाषा भूल कर उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का समावेश करने लगे हैं. नवभारत टाइम्स में एक बार ही उर्दू कि इतनी तारीफ़ कि गई थी कि आग लग गई. क्या आपको खतरे कि घंटी सुनाई नहीं देती?
आज आपकी भाषा, संस्कृति धीरे-२ लुप्त होती जा रही है और आप हैं कि कुछ भी नहीं कर रहे. आप पूछेंगे, “क्या कर सकता हूँ मैं? मैं अकेला क
र ही क्या सकता हूँ? “तो मेरे मित्रों, मेरे बच्चों, मेरे बुजुर्गों ! आज के बाद किसी खान की फिल्म सिनेमा हाल पर दिखना बंद.
जिस CD के किसी एक भी गाने में हिन्दू को अल्लाह या खुदा के नाम पर गाते हुए कोई भी गाना हो, उस CD को खरीदना बंद. जिस फिल्म में किसी हिन्दू लड़की को मुस्लिम लड़के से विवाह करते या प्रेम करते दिखाया गया हो, उस फिल्म का सार्वजनिक बहिष्कार.
हर वह वस्तु जिसका विज्ञापन कोई मुस्लिम कलाकार कर रहा हो, का बहिष्कार.
यह मत सोचो क एक आपके न खरीदने से या फिल्म न देखने से क्या होगा ! जब उन्हें ७० साल लगे हैं हमें खुद में विलीन करने में तो हमें भी कुछ समय तो लगेगा ही. उपहास भी किया जायगा आपका. पर जब पक्के हो तो पक्के रहो. केवल बातों से, नारे लगाने से, सरकार मुर्दाबाद कहने से कुछ नहीं होगा !
यदि अपने धर्म को, अपने देश को बचाना है, अपनी संस्कृति को बचाना है तो कट्टर बनो. कट्टर बनने का अर्थ यह नहीं है कि दुसरे धर्मो से घृणा करो, अपितु यह है कि अपने धर्म से प्रेम करो. इतना ही काफी है. नहीं तो आज तो एक मंदिर में घंटा बजाना बंद हुआ है, कल सभी मंदिर ऐसे ही सूने रहेंगे और गूंजेगी तो सिर्फ अज़ान.
अपने इस छोटे से त्याग पर एक दिन आपको गर्व होगा......