Tuesday, January 26, 2016

फायदे के कोक और पेप्सी।

बहुत "फायदे" के हैं कोक और पेप्सी

शौचालय की सफाई के लिए

शौचालय की सीट पर कोक/पेप्सी का एक कैन उड़ेलें। एक घंटा इंतजार करें और बस, पानी से धो दें। कोक में मौजूद सिट्रिक एसिड शौचालय सीट पर जमी तमाम गन्दगी और दाग मिटा देगा।

कार के कलईयुक्त बम्परों से जंग के दाग हटाने में

कोक/पेप्सी में एल्युमिनियम फायल का एक टुकड़ा डुबाकर बम्पर पर रगड़ें। बम्पर शीशे सा चमक उठेगा।

कार बैटरी टरमिनलों पर जमा नमक साफ करने में

बैटरी के टरमिनलों पर थोड़ा-थोड़ा कोक/पेप्सी उड़ेलें। टरमिनलों पर जमा नमक बुलबुलों के साथ हट जाएगा।

जंग लगे पेंच को ढीला करने में

कोक/पेप्सी में कपड़ा भिगोकर कुछ समय के लिए जंग लगे पेंच पर रखें। अब पेंच खोलने में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी।

कपड़ों से ग्रीस के दाग हटाने में

ग्रीस लगे कपड़ों पर कोक/पेप्सी की एक कैन उड़ेलें, थोड़ा डिटरजेंट पाऊडर लगाएं और अच्छी तरह रगड़ कर धोयें। कोक/पेप्सी ग्रीस का दाग जड़ से मिटा देगा। कार के शीशों पर जमी गन्दगी भी इससे से साफ हो सकती है।

आपकी जानकारी के लिए

शीतल पेय, जैसे कोक और पेप्सी का औसत पीएच 3.4 है। इतनी अम्लता आपके दांतों और हड्डियों को गला देने के लिए काफी है! हमारा मानव शरीर करीब 30 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते हड्डियां बनाना बन्द कर देता है। इसके बाद जो खाना हम खाते हैं उसमें मौजूद अम्लता हमारी हड्डियों को पेशाब के जरिए गलाती रहती है। भोजन में मिश्रित कैल्शियम तत्व हमारी धमनियों, नसों, त्वचा, तन्तुओं और अंगों में इकट्ठा हो जाते हैं, जो किडनी में पत्थर बनाकर किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं।

शीतल पेयों का कोई स्वास्थ्यकारी महत्व (विटामिन और खनिजों के सन्दर्भ में) नहीं होता। उनमें शक्कर, एसिड और अन्य कई तरह के एडिटिव व रंग होते हैं। कुछ लोग खाने के बाद ठंडा शीतल पेय लेने के आदी होते हैं। जानते हैं इसका क्या असर होता है?

घातक असर
हमारे शरीर में पाचक एन्जाइम्स के सही असर के लिए औसत तापमान 37 डिग्री होता है। ठंडे शीतल पेय का तापमान 37 डिग्री से कहीं कम होता है और कभी-कभी तो यह 0 डिग्री होता है। इससे एन्जाइमों का प्रभाव कम हो जाता है और हमारे पाचन तंत्र पर जोर पड़ता है, भोजन हजम नहीं हो पाता। खाया गया भोजन खमीर बनता है। खमीर बना भोजन दुर्गंध, गैस, टाक्सिन निर्माण करता है, जो अन्तड़ियों द्वारा सोख लिया जाता है और खून के साथ मिलकर पूरे शरीर में फैलता है। टाक्सिन के फैलने से तरह-तरह के रोग होते हैं।

दो उदाहरण

1. कुछ समय पहले दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कालेज में ज्यादा से ज्यादा कोका कोला पीने की एक प्रतियोगिता हुई थी। जीतने वाले ने 8 बोतलें पीं और वहीं दम तोड़ गया। उसके खून में आक्सीजन की तुलना में कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। इसके बाद से उस कालेज के प्रधानाचार्य ने अपने कालेज की कैंटीन में विदेशी शीतल पेयों पर प्रतिबंध लगा दिया था।

2. किसी ने पेप्सी की बोतल में एक टूटा दांत रख दिया। 10 दिन में ही वह दांत घुल गया! मानव शरीर में दांत और हड्डियां ही ऐसी चीजें हैं जो मृत्यु के वर्षों बाद तक जस की तस रहती हैं।

हम यही सब पी रहे हैं।..... शायद अपने शरीर के भीतरी तंत्र की सफाई के लिए! आखिर हम इसे पैसा देकर खरीद रहे हैं। नहीं क्या!

सोचिए !

ये शीतल पेय आपकी कोमल अंतड़ियों और पेट के भीतरी भाग को किस तरह प्रभावित कर रहे हैं।

एक अनुरोध

शीतल पेयों के प्रति जागरूकता लाने के लिए कृपया इन बातों का ज्यादा से ज्यादा प्रसार करें।

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