Friday, September 25, 2015

!!! आखिर कौन है श्री राजीव दीक्षित ???

आपने श्री राजीव दीक्षित जी के बारे में कई बार सुना होगा पर क्या आप उनके कार्यों के बारे में भी जानते है ??

अगर आपके ह्रदय में अपने देश के लिए थोडा सा भी प्रेम है तो कृपया थोडा सा समय निकाल कर एक बार श्री राजीव दीक्षित जी के बारे में अवश्य जाने।
यहाँ श्री राजीव दीक्षित जी द्वारा किये गए कुछ कार्य
* भोपाल गैस हत्याकांड की गुनाहगार कंपनी (UNION CARBIDE – एक अमेरिकी कंपनी) जिसकी वजह से २२,००० लोगो की जान गयी, उस कंपनी को हमारी सरकार ने माफ़ कर दिया था लेकिन श्री राजीव दीक्षित जी को यह बात नहीं जमी और उन्होंने इस २२,००० बेगुनाह भारतीयों की हत्या करने वाली कंपनी को इस देश से भगाया।
* श्री राजीव दीक्षित जी ने १९९१ में डंकल प्रस्ताव के खिलाफ घूम-घूम कर जन-जागृति की और रैलियाँ निकालीं।
* उन्होंने विदेशी कंपनियों द्वारा हो रही भारत की लूट, खासकर कोका कोला और पेप्सी जैसे प्राण हर लेने वाले, जहरीले कोल्ड ड्रिंक्स आदि के खिलाफ अभियान चलाया और कानूनी कार्यवाही की।
* १९९१-९२ में राजस्थान के अलवर जिले में केडिया कम्पनी (जो हर दिन चार करोड़ लीटर दारू बनाने वाली थी) के शराब-कारखानों को बन्द करवाने में श्री राजीव भाई जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
* १९९५-९६ में टिहरी बाँध के खिलाफ ऐतिहासिक मोर्चे में उन्होंने बहुत संघर्ष किया और वहाँ पर हुए पुलिस लाठी चार्ज में उन्हें काफी चोटें भी आई।
* इसी प्रकार श्री राजीव दीक्षित जी ने CARGILL, DU PONT, केडिया जैसी कई बड़ी विदेशी कंपनियों को भगाया जो इस देश को बड़े पैमाने पर लूटने की नियत से इस देश में अपना डेरा जमाना चाहती थी।
* उसके बाद १९९७ में सेवाग्राम आश्रम, वर्धा में प्रख्यात् इतिहासकार प्रो० धर्मपाल के साथ अँग्रेजों के समय के ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन करके समूचे देश को संगठित और आन्दोलित करने का काम किया। अपने व्याख्यानों से देश के स्वाभिमान को जगाने, देश को संगठित करने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान निभाया। राजीव भाई ने स्वदेशी आंदोलन तथा आजादी बचाओ आंदोलन की शुरुआत की तथा इनके प्रवक्ता बने।
* मजबूत तथ्यों और दमदार आवाज के साथ उनके व्याख्यानों में इतनी सच्चाई और चुम्बक- जैसा आकर्षण होता था कि सभी लोग उन्हें सुनने के लिए खींचे चले आते थे। उनके दिमाग में ५,००० से भी अधिक वर्षो का ज्ञान समाहित था। उन्हें चलता फिरता “एनसाइक्लोपेडिया” कहा जाता है।
* श्री राजीव जी के हृदय में अत्यंत तीव्र ज्वाला थी, इस भ्रष्ट तंत्र, भ्रष्ट व्यवस्था के प्रति। इस देश कि गरीबी को देखकर उनकी आखो से आंसु निकल पड़ते थे।
* बिना मीडिया की सहायता के उन्होंने पूरे देश को जगाया।
* राजीव दीक्षित जी के अन्दर एक महान वैज्ञानिक, एक महान विचारक, एक महान इतिहासकार, एक महान वैद्य, एक महान वक्ता, एक महान शोधकर्ता, एक महापुरुष के सभी गुण विद्यमान थे। उन्होंने बिना दवाईयों के पूरा जीवन स्वस्थ रहने के अत्यंत सरल सिद्धांत बताये, जिनसे आज लाखो लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
* राजीव भाई ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की 150वीं जयंती की शाम को कोलकाता में आयोजित किये गए कार्यक्रम का नेतृत्व किया, जो कि विभिन्न संगठनों व प्रख्यात व्यक्तियों द्वारा प्रोत्साहित व प्रचारित किया गया था और पूरे देश में मनाया गया था। उन्होंने नयी दिल्ली में स्वदेशी जागरण मंच के नेतृत्व में 50,000 लोगों को संबोधित किया।
* हमारे देश का धन विदेशी बेंको में काले धन के रूप में जमा पड़ा है, इस बात की जानकारी सबसे पहले पूरे देश की जनता को भाई राजीव दीक्षित जी ने ही बताई थी न की बाबा रामदेव ने।
* जनलोकपाल जेसे कानूनों के बारे में सर्वप्रथम इस देश को श्री राजीव दीक्षित जी ने ही बताया। राइट टू रिजेक्ट और राइट तो रिकॉल जैसे कई मजबूत कानूनों के बारे में पूरे देश को जानकारी दी न की अण्णा हज़ारे या काइजरिवाल ने ।
* भारत को पुनः विश्वगुरु कैसे बनाया जाये, इसका बहुत ही सरल और प्रमाणिक उपाय श्री राजीव दीक्षित जी ने ही बताये। हमारे देश के हजारों- लाखों साल पुराने स्वर्णिम अतीत को कई वर्षो तक अध्ययन कर पूरे देश को इस बारे में बताया और हमारे गौरव से अवगत करवाया। अंग्रेजी भाषा की सच्चाई के बारे में पूरे देश को बताया। संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता के बारे में गहन अध्ययन कर देश को बताया। देश में पहली बार विदेशी कंपनियों के षड्यन्त्र के बारे में बहुत बड़े स्तर लोगो पर बताया। स्वदेशी के स्वीकार और विदेशी के बहिष्कार की बात देश को पूरी प्रमाणिकता के साथ बताया।
* भारत की विश्व को क्या क्या देन रही, इस बारे में अति महत्वपूर्ण जानकारियां बताई। श्री राजीव दीक्षित जी ने ही हमें बताया की सबसे पहले प्लेन का आविष्कार भारत के श्री बापू जी तलपडे ने किया था वो भी राइट बंधुओ से सात साल पहले। जन-गन-मन और वन्दे मातरम की सच्चाई के बारे में पहली बार पूरे देश को उन्होंने ही बताया। पहली बार इस देश में श्री राम कथा को एक नए देशभक्ति सन्दर्भ में प्रस्तुत करने वाले भी श्री राजीव दीक्षित जी ही है।
* उदारीकरण और वैश्वीकरण की सच्चाई को पूरे देश के सामने रखा और इसके कई दुष्प्रभावों से देश को बचाने के लिए अपनी अंतिम स्वांस तक प्रयास करते रहे।
* हमारे देश के गाँव-गाँव में जाकर इस देश की हर एक समस्या को देखा, समझा तथा उसके निवारण के लिए प्रभावशाली उपाय बताये और किये। वो होमियोपेथी और आयुर्वेद के महान विद्वान रहे है। महर्षि वाघभट्ट जी के “अष्टांग हृदयं” नामक ग्रन्थ को कई वर्षी तक अध्ययन कर उसे आज की जलवायु एवं परिस्थितियों के हिसाब से पुनर्रचित किया तथा बहुत ही सरल तरीकों से उसे आम जनता के बीच बताया जिससे हम बिना किसी दवाई के, बस खाने-पीने आदि के समय और सही तरीके मात्र से स्वस्थ रहने के उपाय बताये।
* श्री राजीव दीक्षित ने लाखोँ लोगो के दिलो-दिमाग में प्रत्यक्ष रूप से देशभक्ति की ज्वाला नहीं अपितु धधकता लावा प्रज्वलित किया। इस देश को कैसे महाशक्ति बनाया जा सकता है, इसके लिए बहुत ही सरल उपाय बताये जिन उपायों पर आज बहुत से लोग कार्य कर रहे हैं।
* ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए बहुत ही जबरदस्त उपाय बताये। ग्लोबल वार्मिंग एवं वैश्विक भुखमरी को एक साथ ख़त्म करने के लिए पूरे प्रमाणों के साथ सिद्ध किया की अगर मांसाहारी खाना खाना बंद कर दिया जाये तो दोनों समस्याओं से एक साथ छुटकारा पाया जा सकता है। विदेशी षणयंत्रों से पहली बार पूरे देश को अवगत करवाया। उनके पास हर एक समस्या का समाधान बहुत ही सरलता और प्रमाणिकता के साथ उपलब्ध रहता था।
* पेट्रोल, डीजल आदि की समस्या का छुटकारा पाने के लिए कुछ साथियों के साथ मिलकर उन्होंने गोबर गैस से व्हिकल चलाने के सफल प्रयोग किये जिसमें नाम मात्र का खर्चा आता है।
* श्री राजीव दीक्षित जी ने ही पेप्सी और कोका-कोला जैसे खतरनाक जहर के बारे में पहली बार पूरे देश को बताया तथा लोगो को बहुत बड़े स्तर पर जागृत किया।
* हमारे देश की बिजली उत्पादन से सम्बंधित समस्या के प्रमाणिक उपाय बताये।
* उनके द्वारा बताये गए सभी उपाय इतने असरदार, दमदार और सरल है की उन्हें जिस दिन लागू किया जाये उसी दिन उस समस्या का समाधान हो जाये।
* उनके ह्रदय में स्वदेश के प्रति इतनी तड़प थी की वो रात दिन अपने अंतिम स्वांस तक बस स्वदेश और स्वदेशी के लिए ही कार्य करते रहे। उन्होंने पूरे देश में १५,००० से अधिक प्रत्यक्ष व्याख्यान दिए और अगर उनके अप्रत्यक्ष व्याख्यानों (T.V., CD, DVD, Internet etc) को शामिल किया जाये तो गिनती करना असंभव हो जायेगा।
* श्री राजीव दीक्षित जी ने विभिन्न विषयों पर अनेकों लेख व पुस्तकें लिखी हैं – बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का मकड़जाल, अष्टांग ह्रदयम् (स्वदेशी चिकित्सा), हिस्ट्री ऑफ द एमेन्सिस, भारत और यूरोपीय संस्कृति, स्वदेशी : एक नया दर्शन, हिन्दुस्तान लिवर के कारनामे आदि आदि। पर अफसोस हमारे पास एक-दो प्रति बची हैं जिनको छपवाकर हमें मद्द करने वाला कोई आज तक नहीं मिला !
* श्री राजीव दीक्षित ने पिछले ३० वर्षो तक हमारे देश के लिए कई घातक कानूनों को बनने से रोका तथा कई अच्छे कानून बनवाने में उनका योगदान रहा। भारतीय और पश्चिमी संस्कृति, सभ्यता आदि पर गहन अध्ययन कर पूरे देश के सामने रखा। श्री धर्मपाल जी के साथ मिलकर हमारे पुराने गौरवशाली इतिहास को पुनः एकत्रित किया और पूरे देश में प्रचारित किया।
* उन्होंने कई बार अपनी जान पर खेलकर कई घातक कानूनों और खतरनाक विदेशी कम्पनियों को हमारे देश में आने से रोका। देश की रक्षा करते हुए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन श्री राजीव दीक्षित जी पीछे नहीं हटे।
* देश हित के कई कार्यो में कई बार उन्हें और उनके साथियों को लाठियां-गोलियां खानी पड़ी लेकिन उन्होंने कभी अपने कदम पीछे नहीं बढ़ाये। श्री राजीव दीक्षित ने भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने के लिए एक बहुत ही मजबूत आधार बनाकर हमें दिया है जिस पर इस देश को बहुत जल्द महाशक्ति बनाया जा सकता है।
* श्री राजीव दीक्षित जी बिना मीडिया की सहायता के ही पूरे देश के कोने कोने में जाकर रात-दिन व्याख्यान देते रहे। उनकी आवाज जैसे भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ आग उगलने वाली आवाज हो।
* उनके सीने में देश के प्रति इतना प्रेम एवं तड़प थी की जेसे वो एक पल में ही इस देश को पुनः विश्वगुरु बना दे और अगर आज ही उनके बताये गए उपायों को हमारे देश में लागू कर दिया जाये तो सच में एक ही पल में ये देश पुनः विश्वगुरु बन सकता है।
* हमारे देश की गरीबी, भूखमरी आदि विकट समस्याओं को देखकर उनका दिल भर आता था। श्री राजीव दीक्षित ने हमें हमारे स्वर्णिम अतीत के बारे में बताकर हमारा स्वाभिमान जगाया। बाबा रामदेव वाला ट्रस्ट ‘भारत स्वाभिमान आन्दोलन’ उनके दिमाग की ही देन है।
* बाबा रामदेव जी के संपर्क में आने के बाद ९ जनवरी २००९ को श्री राजीव दीक्षित जी दिशा निर्देश से “भारत स्वाभिमान ट्रस्ट” शुरू किया और इसका पूर्ण दायित्व अपने कंधो पर संभाला और पूरे देश के गांव-गांव, शहर-शहर में घूम कर स्वदेशी कि अलख जगाई। श्री राजीव दीक्षित जी ने पूर्ण निर्भीकता के साथ विदेशी कंपनियों की पोल खोली तथा बहुत सारी विदेशी कंपनियों को हमारे देश से खदेड़ा जो कि हमारे देश को बहुत बुरी तरह लूट रही थी/लुटने वाली थी।
* श्री राजीव दीक्षित जी ने ही डंकल प्रस्ताव के खिलाफ पूरे देश में गाँव-गाँव जाकर जागृति फैलाई वरना आज हम अन्न के दाने दाने के लिए विवश हो जाते।
* श्री राजीव दीक्षित जी लाखों युवाओ को देशभक्ति की राह पर लाये और उनके जीवन को दिव्य बना दिया जो की पश्चिमी सभ्यता एवं मानसिक गुलामी में पूर्ण रूप से डूब चुके थे। श्री राजीव दीक्षित जी अपनी हर एक बात प्रामाणिकता के साथ कहते थे उनके पास हर एक बात के तथ्य,सबूत होता था। उनके दिमाग में कम्पूटर से भी तेज गणनाएँ कर पाने की अद्भुत क्षमता थी। श्री राजीव दीक्षित जी के पास बहुत बार विदेशी कंपनियों और आसुरी ताकतों की धमकियां एवं ऑफर भी आते थे परन्तु श्री राजीव दीक्षित ना तो कभी बिके और न ही कभी रुके।
* श्री राजीव दीक्षित जी पुरे जीवन ब्रह्मचारी रहे तथा पूरा का पूरा जीवन देश हित के कार्यो में लगा दिया। श्री राजीव दीक्षित जी ने ही हमें “पूर्ण स्वराज” की परिभाषा समझाई और इसे प्राप्त करने के बहुत ही असरदार तरीके बताये।
* राजीव भाई जिनका निष्कलंक जीवन सादगी, स्वदेशी, पवित्रता, भक्ति, श्रद्धा, विश्वास से भरा हुआ था। चाहे लोगों ने उन्हें कितना भी कष्ट दिया हो उन्होंने उफ नहीं की।
* बाबा रामदेव जी का राजीव भाई से पहला संवाद कनखल के आश्रम में हुआ था। राजीव भाई लगभग दो ढाई दशक से अपना संपूर्ण जीवन लोगों के लिये जी रहे थे। राजीव भाई भगवान के भेजे हुए एक श्रेष्ठतम रचना थे, धरती पर एक ऐसी सौगात जिसे हम चाह कर भी पुन: निर्मित नहीं कर सकते।
* राजीव भाई के ह्रदय में एक ऐसी आग थी, जिससे प्रतीत होता था कि वे अभी ही भ्रष्टतंत्र को, भ्रष्टाचार को खत्म कर देंगे। ‘भारत स्वाभिमान आंदोलन’ ट्रस्ट को छोड़कर बाकी आज पूरा देश उनके न होते हुये भी साथ खडा हुआ है।
“व्यक्ति जब समिष्ट के संकल्प के साथ जीने लगता है तो वो सबका प्रिय हो जाता है। वे अपने माता-पिता के लाल नही थे, बल्कि करोडों-करोडों लोगों के दुलारे और प्यारे थे। वे भारत माता के लाल थे। एक मां की कोख धन्य होती है जब ऐसे लाल पैदा होते है। राजीव भाई हमारे भाई ही नहीं बल्कि देश के करोडों-करोडों लोगों के भाई थे। प्रतिभावान, विनम्र, निष्कलंक जीवन था राजीव भाई का। राजीव भाई को ‘इन्साइक्लोपीडिया’ कहा जाता था। वे चलते-फिरते अथाह ज्ञान के सागर थे। 5000 वर्षों का ज्ञान, असीम स्मृति वाले, अपरिमित क्षमता वाले थे राजीव भाई। आर्थिक मामलों पर उनका स्वदेशी विचार सामान्य जन से लेकर बुद्धिजीवियों तक को आज भी प्रभावित करता है। उनकी जिव्हा पर स्वयं माँ सरस्वती जी विराजमान रहते थे। उनकी आवाज में इतना ओज है की जो भी उनको आज भी एक बार सुन ले वो उनका भक्त हो जाये।
>>>> मीडिया ने कभी भी श्री राजीव दीक्षित को एवं उनके व्याख्यानों को नहीं दिखाया नहीं तो आज हमारा देश महाशक्ति बन चुका होता लेकिन फिर भी उनके पुरुषार्थ की वजह से आज देश जाग रहा है तथा उनके सपनों के भारत को बनाने के लिए उनके ही एक लुधियाना (पंजाब) के समर्थक #ध्रुव_साहनी ने पिछले 4 सालों से दिन-रात की कड़ी मेहनत लाखों करोडों लोग तैयार कर चुके है, तथा दिन-रात कार्य कर रहे है। अब इस देश को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता क्योकि इसकी नीव श्री राजीव दीक्षित के हाथो से स्थापित की गई है। श्री राजीव दीक्षित के समर्थक उनके कार्यो को पूरा करने के लिए अपनी जान तक देने को तैयार रहते है। बहुत ही जल्द एक नए “#राजीव_दीक्षित_न्यूज़_मैगजि” के माध्यम से सभी समर्थक वापस एक बार फिर से एक मंच एक सोच के साथ खड़े होने वाले हैं अब भारत का उदय आप देखेंगे।
>>>>> देश के गद्दारों से मिलकर उनकी हत्या करके श्री राजीव दीक्षित जी के शरीर को तो मिटा दिया गया है पर अब इस देश में लाखो-करोडो राजीव भाई पैदा हो गए है उन्हें मिटाना मुश्किल ही नहीं वरन असंभव भी है, हम सब मिलकर स्वर्णिम भारत का निर्माण अवश्य करेंगे चाहे कुछ भी हो जाये। श्री राजीव दीक्षित जी कोई व्यक्ति नहीं थे, अपितु वो एक “दिव्य-आत्मा”, एक विचार, एक क्रांति का आगाज, एक स्वदेशी अलख थे। वो भारत मां के अनमोल रत्न थे। जब वह बोलते थे तो घण्टों मन्त्र-मुग्ध होकर लोग उनको सुनते रहा करते थे। राजीव भाई का मानना था कि उदारीकरण, निजीकरण, तथा वैश्वीकरण, ये तीन ऐसी बुराइयां है, जो हमारे समाज को तथा देश की संस्कृति व विरासत को तोड़ रही है।
>>>> भारतीय न्यायपालिका तथा क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि भारत अभी भी उन कानूनों तथा अधिनियमों में जकड़ा हुआ है जिनका निर्माण ब्रिटिश राज में किया गया था और इससे देश लगातार गर्त में जाता जा रहा है। राजीव दीक्षित जी स्वदेशी जनरल स्टोर्स कि एक श्रृंखला बनाने का समर्थन करते थे, जहाँ पर सिर्फ भारत में बने उत्पाद ही बेंचे जाते हैं। इसके पीछे के अवधारणा यह थी, कि उपभोक्ता सस्ते दामों पर उत्पाद तथा सेवाएं ले सकता है और इससे निर्माता से लेकर उपभोक्ता, सभी को सामान फायदा मिलता है, अन्यथा ज्यादातर धन निर्माता व आपूर्तिकर्ता कि झोली में चला जाता है।
>>>> राजीव भाई ने टैक्स व्यवस्था के विकेन्द्रीकरण की मांग की और कहा कि वर्तमान व्यवस्था दफ्तरशाही में भ्रष्टाचार का मूल कारण है। उनका दावा था कि कि टैक्स का 80 प्रतिशत भाग राजनेताओं व अधिकारी वर्ग को भुगतान करने में ही चला जाता है, और सिर्फ 20 प्रतिशत विकास कार्यों में लगता है। उन्होंने वर्तमान बजट व्यवस्था की पहले कि ब्रिटिश बजट व्यवस्था से तुलना की और इन दोनों व्यवस्थाओं को सामान बताते हुए आंकड़े पेश किये। राजीव भाई का स्पष्ठ मत था कि आधुनिक विचारकों ने कृषि क्षेत्र को उपेक्षित कर दिया है। किसान का अत्यधिक शोषण हो रहा है तथा वे आत्महत्या की कगार पर पहुँच चुके हैं। वो हर बात तथ्यों, सबूतों, आकडो एवं दस्तावेजों के साथ कहते थे. जब वो भारत के स्वर्णिम अतीत का गुण-गान करते अथवा विदेशियों के द्वारा की गई आर्थिक लूट के आँकडे गिनवाना शुरू होते थे तो प्रतीत होता था जेसे उनका दिमाग कम्प्यूटर से भी तेज चलता हो। उस “दिव्य-आत्मा” के दिमाग में ५,००० से भी ज्यादा वर्षों का ज्ञान समाहित था। उन्हें चलता-फिरता सुपर कम्पुटर कहा जाता था।
>>>> श्री राजीव दीक्षित जी को अगर ज्ञात-अज्ञात इतिहास के सबसे महान स्वदेशी महापुरुष कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। श्री राजीव भाई जी का जीवन सादगी, पवित्रता, समर्पण, उत्साह, जोश, स्वदेशी भाव से पूर्ण था। उन्होंने पहले “आज़ादी बचाओ आंदोलन” और फिर “भारत स्वाभिमान” के तहत पुरे देश को संगठित और आंदोलित किया। बारम्बार प्रणाम है ऐसे माता-पिता के चरणों में जिन्होंने इस “दिव्य-आत्मा” को जन्म दिया। वो अपने माता-पिता के ही नहीं अपितु सम्पूर्ण देश के प्यारे-दुलारे है. वो माँ भारती के लाल है।
उपरोक्त लिखी गयी इन सभी बातो के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए श्री राजीव दीक्षित के व्याख्यान सुने। click करेhttp://on.fb.me/1m7WUl3 , एक बार विकिपीडिया पर भी उनके बारे में अवश्य पढ़े।
________________________________________
**********************************************************
_________________________________________
भाई को जानने/सुनने से पहले और बाद लोगों के विचार कुछ इस तरह के होते हैँ…..!!!!
मित्रोँ, मेरी अभी की हालत यहीं है, कल तक जिन गानों पे सीटी बजाते थे आज उनहीँ गानों पर टीवी फोड़ने को दिल करता है।
कल तक जिस क्रिकेट के हर पल को टीवी से चिपक कर देखते थे आज उसके बारे में एक शब्द सुनने को जी नहीं करता।
कल तक जिन शहीदों की शहादत को अखबार में भी नहीं पढते थे आज उस शहादत को सुनकर खून में उबाल आ जाता है।
कल तक जिन क्रांतिकारियों के बारें में पढाये जाने पर क्लास बंद कर देते थे आज उन क्रांतिकारियों के बारे में हर पल सोचते हैं।
कल तक जो हर खूबसूरत लड़की को देख कर सपने सजाते थे, आज हर क्रांतिकारी अपना भाई सा लगता है।
कल तक जिस तिरंगे को देख कर मुँह मोड़ लेते थे आज उस तिरंगे पे जान देने को जी चाहता है!
कल तक जिस विदेशी डियो से खुश्बू आती थी आज उसी डियो को सामने देखकर भी दुर्गन्ध आती है!
कल जिस डॉक्टर को भगवान समझते थे आज वोही डॉक्टर कसाई व विदेशी कम्पनी का दलाल लगता है!
कल जिसे स्कुल मे पढते थे उसे दुनिया का श्रेष्ठ ज्ञान समझते थे आज वही रद्दी और बेकार है!
कल जिसे ठंडा समझ कर पिया करते थे आज ऐसा लगता है जैसे शहीदो का खुन पिया हो!
कल जिसे गोरेपन के लिये चेहरे और पूरी बॉडी पर रगड़ते थे आज समझ मे आया सबसे ज्यादा सूतिया तो बब्ब के बनाया!
कल जिन क्रिकेटरोँ को देश का मान और सम्मान समझते थे वो देश के दुश्मन और गद्दार निकले!
कल तक जिसे हम आजादी समझ ते थे वो तो सबसे बडा झुठ निकला!
कल तक जिसे भारत का संविधान मानते थे वो तो अग्रेजो का (Copy Paste) निकला!
इससे बडा झूठ कोई हो ही नही सकता कि हम आजाद है और हमारा देश 1947 आजाद हुआ था (दुनिया का सबसे बडा झुठ) !
आज ही जानिए श्री राजीव दीक्षित जी को और समझिए उनके अमूल्य विचारोँ को नही तो आपकी आने वाली पीढी आपको कभी माफ नही करेगी !!
___________________________________________
**************************************************************

Wednesday, September 23, 2015

प्रश्नोत्तरी ( लव जिहाद विषय )

(1) प्रश्न :- लव जिहाद किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जब कोई मुसलमान पुरुष किसी गैर मुसलमान युवती को बहला फुसला कर उसके शील को भंग करके उससे शादी करके उसको ईस्लाम में दीक्षित कर लेता है । इसी को लव जिहाद कहा जाता है ।


(2) प्रश्न :- लव जिहाद क्यों किया जाता है ?
उत्तर :- ताकि गैर मुसलमानों का शीघ्रता से ईस्लामीकरण हो । क्योंकिं जैसे किसी भी जाती को समाप्त करना हो तो उनकी स्त्रीयों को दूषित किया जाता है । जिससे कि वो अपने समाज में आत्म सम्मान खो दें और दूसरे समाज में जाने को बाध्य हो सकें । जिससे कि मुसलमान उस लड़की की सम्पत्ति का मालिक बने और उस लड़की के घर वाले सिर उठा कर नहीं जी सकें। लव जिहाद का मुख्य उद्देश्य है अल 
तकियाह, ( गज़्वा ए हिन्द ) यानी कि भारत का ईस्लामीकरण ।


(3) प्रश्न :- लव जिहाद से ईस्लामीकरण कैसे होता है ?
उत्तर :- क्योंकि लव जिहाद की शिकार युवती को उसका हिन्दू समाज अपनाने को तैय्यार नहीं होता है । और जिसके कारण उसके पास और कोई मार्ग शेष नहीं रहता तो वह मुसलमानी नर्क में जीने को विवष हो जाती है । तो इसी प्रकार जो उस लड़की के बच्चे होते हैं वो भी मुसलमान ही होते हैं । तो ऐसे मुसलमानों की संख्या वृद्धि होने से राष्ट्र शीघ्रता से ईस्लामीकरण की ओर बढ़ता है ।


(4) प्रश्न :- लव जिहाद की शिकार युवतियों की स्थिती कैसी होती है ?
उत्तर :- लव जिहाद की शिकार युवतियों की स्थिती नर्क से बदतर होती है । जैसा कि कई लड़कियों के मुसलमानों के साथ विवाह के बाद वो तलाक दे दी जाती हैं । और बाद में उनकों वैश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया जाता है । या फिर उनको भारत की यात्रा पर आये अरब के शेखों को बेच दिया जाता है । जो उनको अपने साथ अरब देशों में ले जाते हैं । वहाँ उनको 'नमकीन बेगम' के नाम से सम्बोधित किया जाता है, उन्हें गुलाम बनाकर इनके साथ शोषण किया जाता है । कई बार उनको नेपाल के माध्यम से पाकिस्तान भेजा जाता है , या फिर असम, त्रिपुरा या बंगाल से उनको बांग्लादेश भेजा जाता है ( बंगाल की कांग्रेस सांसद रूमी नाथ इसकी ताज़ा उदाहरण है जिसे एक जिहादी ने फेसबुक के ज़रिये शिकार बनाया और बंग्लादेश भेज दिया ) । ऐसी कई और उदाहरण हैं ।


(5) प्रश्न :- राष्ट्र के ईस्लामीकरण होने से क्या हानी होगी ?
उत्तर :- किसी भी राष्ट्र का ईस्लामीकरण होने से वहाँ कुरान का शरिया कानून लागू होता है, लोकतन्त्र समाप्त हो जाता है और विचारों को रखने की स्वतन्त्रता समाप्त हो जाती है । देश ईस्लाम की अत्यन्त संकुचित और नीच विचारधारा में जकड़ा जाता है । जिसमें स्त्रीयों का शोषण होता है । उनको पुरुषों की खेती समझा जाता है । जहाँ स्त्रीयों का सम्मान नहीं वहाँ पुरुष निर्दयी हो जाते हैं । पुरुषों के निर्दयी होने से समाज में भारी क्षोभ और वासनामय वातावरण होता है । जहाँ सत्ता ईसलाम के हाथ है वो देश एक बूचड़खाना होता है, जिसमें मानवों की कटती हुई लाशें, पशुओं की कटती हुई लाशें दिखाई देती हैं । स्त्रीयों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है । मुसलमान पुरुष जब चाहे उसे तीन बार "तलाक तलाक तलाक" कह कर उससे पीछा छुड़ा लेता है । खून के रिश्तों में या सगे रिश्तों में ही शादियाँ होने से नये जन्मे बच्चों का मान्सिक विकास नहीं होता है । और उस ईस्लामी देश में गैर मुसलमानों को अपने अपने धार्मिक कार्य करने की आज़ादी नहीं होती । उनकी स्त्रीयों को बंदूकों या तलवारों की नोक पर उठा लिया जाता है ( जैसा कि पैगम्बर मुहम्मद किया करता था यहूदी या ईसाई औरतों के साथ ) । उनके धार्मिक उत्सवों पर हमले किये जाते हैं , ( जैसे कि मुस्लिम बाहुल्य काशमीर में अमरनाथ यात्रियों के साथ होता है ) । स्त्रीयों की आँखें नोच ली जाची हैं । िकसी स्त्री के साथ कोई पुरुष जब बलात्कार करता है तो दंड पुरुष को नहीं स्त्री को ही दिया जाता है । स्त्रीयों को ज़मीन में आधा गाड़ कर उन पर संगसार ( पत्थरों की बारिश ) किया जाता है । चारों ओर मस्जिदों से मौलवीयों की मनहूस आज़ानें सुनाई देती हैं, ज़रा ज़रा सी बातों पर मुसलमानी मौहल्लों में लड़ाईयाँ और खून खराबा होता है, सड़कों पर लोगों के रास्ते रोक कर नमाजें पढ़ी जाती हैं । तो ऐसी अनेकों हानियाँ मानव समाज को उठानी पड़ती हैं । जो की देश के ईसलामीकरण का परिणाम है ।


(6) प्रश्न :- भारत में लव जिहाद संचालित कैसे होता है ?
उत्तर :- इसको संचालित करने के लिये पाकिस्तान, या अरब देशों से इनको वहाँ के शेखों द्वारा भारी पैसा आता है जो कि तेल के कुओं के मालिक होते हैं । ये पैसा उनको All India Muslim Scholarship Fund के रूप में दिया जाता है । प्रती माह इन मुस्लिम गुंडों को तैयार किया जाता है और हिन्दू लड़कियों को फंसाने के लिये इनको ₹ 8000 से ₹10000 मासिक वेतन दिया जाता है । तो मस्जिदों में किसी मुहल्ले के सभी मुसलमानों की मीटिंग रखी जाती है । जिसमें भाग लेने वाले अमीर से लेकर गरीब तबके के लोग आते हैं, जिसमें रेड़ीवाला, शॉल बेचने वाले कशमीरी पठान, घरों में काम करने वाले, नाई, चमार आदि । इनको हिन्दू या सिक्ख ईलाकों में घूम घूम कर ये पता लगाने को कहा जाता है कि किस घर की लड़की जवान हो गई है । तो शाल बेचने वाले पठान ये नज़र रखते हैं । और फिर ये लड़कियों की लिस्ट बनाई जाती है और जिहादी गुंडे जो कि दिखने में हट्टे कट्टे हों उनको तैयार किया जाता है, मोटर साईकलें खरीद कर दी जाती हैं । जिनको मस्जिदों में रखा जाता है । तो ये युवक अपनी कलाईयों पर मौलीयाँ बाँध कर निकल अपने नाम बदल कर हिन्दू नाम रख लेते हैं और इन लड़कियों के पीछे पड़ जाते हैं । और अगर कोई लड़की दो सप्ताह के भीतर नहीं फंसती तो फिर ये उसे छोड़ कर लिस्ट की दूसरी लड़की पर अपने जिहाद को आज़माने के लिये निकल पड़ते हैं । तो ऐसे ही पूरे मोहल्ले में से कोई न कोई लड़की लव जिहाद का शिकार हो ही जाती है ।
दूसरा तरीका ये है कि social networking sites जैसे कि faceook आदि पर ये लोग नकली Id या फिर अपनी असली Id से ही हिन्दू लड़कियों को request भेजते हैं । और जैसे कि इनकी training होती है वैसे ही ये लोग इन लड़कियों को फाँसने के लिये तरह तरह के message भेजते हैं । और वे लड़कियाँ इनके मोह जाल कसं फँसकर अपना सब कुछ गंवा देती हैं ।


(7) प्रश्न :- क्या इसके सिवा और भी तरीके हैं लव जिहाद करने के या यही हैं ?
उत्तर :- बहुत से हैं सभी के बारे में जान पाना तो बेहद कठिन है पर कुछ और बताते हैं । ये मुस्लिम जिहादी गुंडे
स्कूलों कालेजों के चक्कर लगाते रहते हैं । और लड़कियों के पीछे पड़ जाते हैं । या फिर स्कूलों में पढ़ने वाले मुस्लिम युवक अपनी मुस्लिम सहेलीयों की सहायता से उनकी हिन्दू सहेलियों से दोस्ती करते हैं और धीरे धीरे अपनी कारवाईयाँ शुरू कर देते हैं । या फिर कालेजों और स्कूलों के आगे मोबाईल की दुकानें मुसलमानों के द्वारा खोली जाती हैं । जिसमें जब हिन्दू, बौद्ध या जैन आदि लड़कियाँ फोन रिचार्ज करवाने जाती हैं, तो उनके नम्बरों को ये गलत इस्तेमाल करके आगे जिहादीयों को बाँट देते हैं । जिससे कि वे लोग गंदे गंदे अश्लील मैसेज भेजते हैं । पहले तो ये लड़तियाँ उसकी उपेक्षा करती हैं पर लगातार आने वाले मैसेजों को वे ज्यादा समय तक टाल नहीं पातीं । जिससे कि वो कामुक बातों में फँस कर अपना आपा खो देती हैं और अपना सर्वस्व जिहादीयों को सौंप देती हैं । और ये सब यूँ ही नहीं होता है । इन जिहादियों को ये सब करने की training दी जाती है कि किस प्रकार से लड़की कि मानसिक्ता को समझ कर उसे कैसे फाँसना है । तो ऐसे ही छोटे मोटो और भी तरीके हैं, परन्तु मुख्य यही हैं ।


(8) प्रश्न :- ये लव जिहाद की कुछ उदाहरणें दीजीये ।
उत्तर :- बड़ी बड़ी उदाहरणें आपके सम्मुख हैं :- Bollywood मायानगरी में मुसलमान अभिनेताओं की केवल हिन्दू पत्नियाँ ही क्यों होती हैं ? शाहरुख खान, आमीर खान, फरदीन खान, सुहैल खान, अरबाज़ खान, सैफ अली खान, साजिद खान आदि कितने ही नाम हैं जिनकी शादियाँ हिन्दू लड़कियों से ही हुई हैं । इनमें से किसी को भी मुसलमान लड़कियाँ क्यों नहीं पसंद आईं ? आमिर खान, और सैफ अली खान की शादी तो एक की बजाये दो दो हिन्दू लड़कियों से हुई । और इन्हीं को आदर्श मान कर हिन्दू लड़कियाँ मुसलमानों के चंगुल में फँस कर अपनी अस्मिता खो देती हैं । एक फिलम आई थी जिसमें अभिषेक बच्चन का नाम आफताब होता है और वो अजय देवगण की बहन का किरदार निभा रही प्राची देसाई से प्रेम करता है । तो अजय देवगण उसे रोकता है तो वो नीच लड़की सैफ और शाहरुख आदि का उदाहरण देती है और उनको अपना आदर्श स्विकार करती है । तो ये देख कर हिन्दू लड़कियों के मनों पर क्या प्रभाव पड़ता है ज़रा सोचिये । तो ऐसे ही इन लड़कियों को परिणाम की पर्वाह नहीं होती और इनको हर जिहादी सलमान या शाहरूख ही दिखता है । और अपना जीवन बर्बाद कर देती हैं ।


(9) प्रश्न :- ये सब करके इन मुसलमानों को मिलता क्या है ?
उत्तर :- इनको ये सब करने के लिये मासिक वेतन और भारी ईनाम मिलता है । दूसरा कारण है मज़हबी जुनून क्योंकि ईस्लाम की शिक्षा ही नफरत और कत्ल की बुनियाद पर टिकी है और मस्जिद के मौल्वीयों के द्वारा झूठी मुहम्मदी जन्नत का लालच दिया जाना । वो कहते हैं कि अगर कम से कम एक हिन्दू लड़की से शादी करो और बदले में सातवें आस्मान की जन्नत पाओ । तो चाहे वो जिहाद काफिरों की खेती को समाप्त करने का ही क्यों न हो इनके अरबी अल्लाह ने इनके लिये जन्नत तैय्यार रखी है । जिसमें फिर एक एक मुसलमान 72 पाक साफ औरतों का आनंद लेता है ।
ईस्लाम में वैसे बहुत प्रकार के जिहाद हैं पर सबसे मुख्य दो प्रकार के जिहाद हैं :-
जिहाद ए अकबर ( बड़ा जिहाद )
जिहाद ए असगर ( छोटा जिहाद )
ये लव जिहाद जो है, वो जिहाद ए अकबर का ही एक बड़ा स्वरूप है ।


(10) प्रश्न :- ये लव जिहादीयों को हिन्दू लड़की से शादी करने या नापाक करने का क्या ईनाम मिलता है ?
उत्तर :- ये निम्न लिखित ईनाम गैर मुसलमान लड़कियों को फँसाने के लिये घोषित किया है :-
सिक्ख लड़की = 9 लाख
पंजाबी हिन्दू लड़की = 8 लाख
हिन्दू ब्राह्मण लड़की = 7 लाख
हिन्दू क्षत्रीय लड़की = 6 लाख
हिन्दू वैश लड़की = 5 लाख
हिन्दू दलित लड़की = 2 लाख
हिन्दू जैन लड़की = 4 लाख
बौद्ध लड़की = 4.2 लाख
ईसाई कैथोलिक लड़की = 3.5 लाख
ईसाई प्रोटैस्टैंट लड़की = 3.2 लाख
शिया मुसलमान लड़की= 4 लाख
ईनाम इनसे थोड़ा कम या अधिक हो सकता है पर ज्यादा भेद नहीं है ।


(11) प्रश्न :- ये लव जिहाद के ईनाम की घोषणा और संचालन कहाँ से होता है ?
उत्तर :- केरल का मालाबार ही इसका मुख्य संचालन स्थान है । परन्तु अब उसकी शाखायें पूरे भारत में फैल गई हैं । क्योंकि केरल में ही लव जिहाद के 5000 से अधिक मामले कोर्ट के सामने आये हैं । तो पूरे भारत में कितने ही ऐसे मामले होंगे ?


(12) प्रश्न :- क्या लव जिहाद में केवल हिन्दू लड़कियों को ही लक्ष्य किया जाता है या अन्य को भी ?
उत्तर :- भारत में हिन्दू बहुसंख्यक हैं जिस कारण पहला लक्ष्य हिन्दू लड़कियाँ ही होती हैं । परन्तु इससे अतिरिक्त दूसरे मत ( बौद्ध, जैन, वाल्मिकी, सिक्ख, ईसाई ) की लड़कियाँ भी लक्ष्य की जाती हैं, क्योंकि ईस्लाम की विचारधार बहुत ही कुंठित और संकुचित है जिसमें कि दूसरे मत पंथों के विरुद्ध उग्र घृणा का भाव विद्यमान है, और स्त्रीयों को तो ईस्लाम जानवरों से भी बदतर समझता है ।


(13) प्रश्न :- हिन्दू लड़कियाँ लव जिहाद में ही क्यों फंस जाती हैं ? क्या इनमें दिमाग नहीं होता ?
उत्तर :-इसके ये मुख्य कारण हैं :-
(१) हिन्दू घरों में धार्मिक वातावरण नहीं रखता ।
(२) हिन्दू अपने बच्चों को वैिदक मत की श्रेष्ठता और अवैदिक मत की निकृष्टता नहीं बताता ।
(३) अपने इतिहास पुरुषों और स्त्रीयों की जीवनीयों और उनके बलिदानों को नहीं बताता।
(४) हिन्दू युवा अपने वीर योद्धायों से इतर बालिवुड के नायकों को अपना आदर्श मानता है ।
(५) घर में सास बहु के सीरियल चलने से वातावरण और दूषित हो जाता है ।
(६) हिन्दू अपने बच्चे को धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाता है और मुसलमान अपने बच्चे को दूसरों के प्रती नफरत सिखाता है । जिस कारण ये हिन्दू लड़कियाँ मुसलमान लड़कों से घुलने मिलने में झिझकती नहीं ।
(७) फेसबुक पर ज्यादातर हिन्दू लड़कियों की प्रोफाईल देखेंगे तो उन्होंने धार्मिक पेजों की बजाये, love, tv serials, pyar, ishq, bollywood masala, mickel jakson, shahrukh ,salman, hritik आदि के पेज लाईक किये होते हैं । और उनकी friend list में मुसलमान युवकों की संख्या बहुत ही पायी जाती है ।


(14) प्रश्न :- इन हिन्दू लड़कियों को कोई लव जिहाद के बारे में समझाता क्यों नहीं ?
उत्तर :- जब आप इनको समझाने लगते हैं तो ये लड़कियाँ नीचे लिखी बातें बोलती हैं :-
-------- आप तो नफरत फैलाते हो !!
-------- क्यूँ मुस्लिम भी तो ईंसान ही होते हैं ?
-------- तो इसमें क्या बुराई है ?
-------- हमको इससे क्या लेना देना ?
-------- हमें सोच बदलनी चाहिये, और इसी जातीवाद को खत्म करके development करनी चाहिये ।
-------- आपकी सोच पिछड़ी हुई है, देखो dude आगे बढ़ो इतनी hate speech मत फैलाओ !!
-------- मुस्लिम बनने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि profet mohammad भी तो god ही थे ।
-------- Hey you अपना काम करो mind your own buisness !!
-------- You know Dr. Abdul kalam भी मुस्लिम हैं ।
-------- U remember जोधा अकबर की great love story.
अभ आप स्वयं जान लीजिये इन हिन्दू लड़कियों की मान्सिक्ता कितनी नीच और घिरी हुई । जिस जाती की स्त्रीयों को अपने पराये का भेद ही नहीं पता, तो वो लव जिहादियों का शिकार न होंगी तो और क्या होगा ?


(15) प्रश्न :- इन हिन्दू लड़कियों को लव जिहाद के बारे में समझाया कैसे जाये ?
उत्तर :- ये कार्य आप अपने ही घर से शुरू करें । जैसा कि पहले भी कहा गया है कि जब भी आप अपने घर में अपनी सगी बहन या फिर रिशते की बहनों के सामने बैठे हों तो ये लव जिहाद की चर्चा अवश्य ही छेड़ें । चाहे उनको ये बात अच्छी लगे या न लगे । क्योंकि जब मरीज़ डाक्टर से ईलाज करवाता है तो उसको भी कड़वी दवाई अच्छी नहीं लगती । पर वही दवा उस मरीज के भले के लिये होती है । तो इसी प्रकार ये चर्चा आपकी बहनों के लिये हितकर है । उनके कानों में यह विषय अवश्य ही पहुँचना चाहिये । तो ऐसे में जब भी रेलगाड़ी या बस में बैठे हुए किसी अजनबी से बातचीत शुरू हो ही जाये तो उससे भी जानबूझ कर इस विषय में किसी न किसी बहाने से लव जिहाद की चर्चा छेड़ दें । ताकि वो अपने घर की स्त्रीयों की रक्षा के बारे में सचेत हो जाये । दूसरा मार्ग यह है कि मेरे इस लेख को कम facebook पर हिन्दू लड़कियों के message box में डाल दें । क्योंकि मान लो इस काम को एक राष्ट्रवादी एक दिन में कम से कम 100 लड़कियों के inbox में ये लव जिहाद वाली प्रश्नोत्तरी को copy paste करे तो फिर मान लो ऐसे 100 राष्ट्रवादी हों तो एक दिन में कम से कम 100 x 100 = 10000 अलग अलग हिन्दू लड़कियों के message box में भी ये जानकारी पहुँचेगी । तो अगर उसमें से 5000 लड़कियाँ आपको block कर देती हैं । तो बाकी 5000 में से 2500 इस लेख की उपेक्षा करती हैं । तो 2500 उसको पढ़ेंगी और इनमें से मान लो 1500 लड़कियाँ पढ़ कर भी सहमत नहीं होतीं तो बाकी 1000 उससे सहमत होंगी तो, ये 1000 हिन्दू लड़कियाँ ईस्लामी लव जिहाद से सतर्क हो जायेंगी । तो ऐसे ही 1000 प्रती दिन हिन्दू लड़कियाँ सचेत हों तो एक माह में कितनी होंगी ( 30 x 1000 = 30000 ) प्रतीमाह हिन्दू लड़कियाँ लव जिहाद के बारे में सतर्क रहेंगी और मुसलमान गुंडों से सावधान रहेंगी और अपनी सहेलियों को भी सावधान करेंगी । तो ये बहुत ही कारगर तरीका है और फिर इस लेख को अपनी अपनी profile पर डालें और हिन्दू लड़कियों को इसमें tag करें और कृप्या इसको अधिक से अधिक Share करें ।


(16) प्रश्न :- क्या कोई और भी तरीका है लव जिहाद को रोकने का ?
उत्तर :- वैसे तो बार बार कहा जा रहा है कि लव जिहाद की जानकारी ही सबसे बड़ी बात है जो कि हिन्दू जनता को नहीं है । जानकारी किसी भी माध्यम से पहुँचायें पर पहुँचायें अवश्य ही, क्योंकि शायद आपकी कोई हिन्दू बहन राक्षसों के चंगुल में फँसने से बच जाये ।


(17) प्रश्न :- क्या इस लव जिहाद की कोई एतिहासिक साक्षी भी रही है ?
उत्तर :- भारत के मध्य काल में मुगल सेनायें जिस भी हिन्दू घर में चाहें घुस जाते थे । और उनकी बेटीयों या औरतों को उठा ले जाते थे और उनका शील भंग करके फिर से छोड़ जाते थे । तो बहुत से बादशाहों ने तो सुन्दर सुन्दर हिन्दू लड़कियों को टके टके के भावों में भी कसूर, लाहौर या काबुल के बाज़ारों में बेचा था । तो
इसके उपरान्त मुहम्मद बिन कासिम जो कि पहला यवन आक्रमणकारी था उसने भी यहाँ भारत से 5 लाख हिन्दू औरतों को अरबी बाज़ारों में ले जा कर बेचा था । और अब वर्तमान की बात करें तो पाकिस्तान मुस्लिम बाहुल्य होने से वहाँ हिन्दू, सिक्ख, ईसाई लड़कियों को जबरन बंदूकों की नोक पर उठाया जाता है, जब इनकी लड़कियाँ जवान होती हैं तो वहाँ के पठान और पश्तून इनके पीछे हाथ धो कर पड़ जाते हैं और मौका पाते ही इनका अपहरण कर लेते हैं फिर बलात्कार के बाद इनको मुसलमान बना कर किसी भी अधेड़ उमर के आदमी से या किसी से भी शादी कर दी जाती है । पाकिस्तानी बच्चों की पाठ्य पुस्तकों में हिन्दुओं और गैर मुसलमानों के प्रती नफरत करने की शिक्षा दी जाती है ।

(18) प्रश्न :- लव जिहाद का विषय इतना ही महत्वपूर्ण है तो हिन्दू जनता इस ओर ध्यान क्यों नहीं देती ?
उत्तर :- जानकारी के अभाव के कारण, आलस्य के कारण, या थोथी सैक्युलरिज़म के कारण । हिन्दू की शिक्षा ने ही उसे अधकचरा और सैक्युलर बना दिया है । जिससे की कभी कभी समस्या के पता होने के बावजूद भी वो आँख मूंद कर रहता है । किसी हिन्दू की पहचान करनी हो तो उससे बात करना और वो दो ही शब्द बोलना जानता है, "तुझको क्या ?" या "मुझको क्या ?"। इसी सैक्युलरिज़म के कारण ही ये हिन्दू समाज इतना नपुंसक बन गया है । तो इसको ना अपने धर्म रक्षा की चिंता है, न संस्कृति की चिंता, न देश की चिंता, न अपनी संतानों की नैतिक शिक्षा की चिंता, न अपनी जाती रक्षा की चिंता । बस ये हिन्दू यही रट लगाता है :- " तुझे क्या ? मुझे क्या ? हमको क्या ? तुमको क्या ? हमें क्या लेना ? तुम्हें क्या लेना ? मुझे क्या करना ? तुझे क्या करना ? " इत्यादी ।


(19) प्रश्न :- अगर हमारी दृष्टि में कोई हिंदू लड़की लव जिहाद में फँस गई है, तो हमें क्या करना चाहिये ?
उत्तर :- अगर तो आप उसे समझा सकते हैं तो समझायें, निसंकोच होकर उसके घर जायें उसके माता पिता से इस बारे में बात चीत करें और उनको लव जिहाद के विषय में विस्तार से बतायें । अगर आप नहीं समझा सकते तो पास ही किसी क्रियाशील संगठन जैसे [ आर्य समाज, स्वयंसेवक संघ, शिव सेना, बजरंग दल ] आदि से सम्पर्क करें और उनको इसकी सूचना दें । अगर आपकी बेटी या बहन इस चक्कर में फँस रही है तो उसे गुस्से या ज़बरदस्ती से न समझायें । क्योंकि ऐसा करने से वो घर छोड़ कर भी भाग सकती है । ऐसी training लव जिहादीयों को मिली होती है कि वो पूरी तरह से इनको सम्मोहित कर लेते हैं कि ये हिन्दू लड़कियाँ घर तक छोड़ने को तैयार हो जाती हैं और भारत में कानून भी यह कहता है कि अगर लड़की बालिग हो तो वो जहाँ चाहे विवाह कर सकती है । तो इसी का लाभ ये मति भ्रष्ट लड़कियाँ उठाती हैं । अपने घरों में धार्मिक वातावरण बनाने के प्रयास करें । ऋषि दयानंद सरस्वति कृत अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश भी पढ़ायें जिसमें उन्होंने संसार के मुख्य मत पंथों की वैदिक धर्म से तुल्नात्मक समीक्षा की है । अवैदिक मतों का खण्डन किया है उसका प्रचार करें ।


(20) प्रश्न :- क्या लव जिहाद से किसी हिन्दू लड़कियों को बचाया भी गया है या नहीं ?
उत्तर :- हाँ निश्चित ही ऐसा हुआ है । हम महाराष्ट्र का उदाहरण देते हैं । सब जानते हैं कि वहाँ बाल ठाकरे के नेतृत्व में शिव सेना सक्रीय है । और वहाँ के रहने वाले मुसलमानों को दबा रखा है, उनके अल्लाह हो अकबर के जुनून को ठंडा किया हुआ है । वहाँ नासिक के किसी Resturant में एक मुसलमान किसी हिन्दू लड़की के साथ बैठा था इसकी भनक शिव सैनिकों को लगी तो वो वहाँ गये और जमकर उस मुसल्ले की धुनाई कर दी और ऐसे ही महाराष्ट्र में मौलवीयों ने फत्वा निकाला हुआ था कि हिन्दू लड़कियों को छेड़ो और जन्नत पाओ । तो शिव सेना ने स्कूलों कालेजों की घेरा बन्दी की हुई है और यदी कोई सरफिरा मजनू वहाँ घूमता हुआ या घात लगाता हुआ पकड़ा जाता तो उसकी पिटाई करके जन्नत के नज़ारे दिखा दिये जाते हैं । इस आन्दोलन का असर हुआ कि महाराष्ट्र में लव जिहाद की घटनाओं में भारी घिरावट आई । तो इसी कारण ये मुसलमान शिव सैनिकों या संघीयों को भगवा आतंकी कहते हैं । और बेचारे कहेंगे भी क्या ? क्योंकि इनके मनसूबों का नाकाम करके इनको आतंकित जो कर रखा है । केरल में संघ ने करीब 171 हिन्दू लड़कियों को बचाया गया है । ऐसे और भी कई मामले हैं । यही कारण है कि ये मुसल्ले सनातन धर्म की रक्षा करनेवाले संगठनो को आतंकवादी संगठन बताते हैं । अरे भाई !! सीधी सी बात है, "जिन्होंने ऐसे दहशतगर्दों को आतंकित कर रखा हो वो आतंकवादी नहीं तो और क्या हैं ?"

भारतीय और इंडियन...

यहाँ दो पात्र हैं : एक है भारतीय और एक है इंडियन !
आइए देखते हैं दोनों में क्या बात होती है !

इंडियन : ये शिव रात्रि पर जो तुम इतना दूध चढाते हो शिवलिंग पर, इस से
अच्छा तो ये हो कि ये दूध जो बहकर नालियों में बर्बाद हो जाता है,
उसकी बजाए गरीबों मे बाँट दिया जाना चाहिए !
तुम्हारे शिव जी से ज्यादा उस दूध की जरुरत देश
के गरीब लोगों को है. दूध बर्बाद करने की ये
कैसी आस्था है ?


भारतीय : सीता को ही हमेशा अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है, कभी रावण पर प्रश्नचिन्ह

क्यूँ नहीं लगाते तुम ?
 

 इंडियन : देखा ! अब अपने दाग दिखने लगे तो दूसरों पर
ऊँगली उठा रहे हो ! जब अपने बचाव मे कोई 

उत्तर
नहीं होता, तभी लोग दूसरों को दोष देते हैं.
सीधे-सीधे क्यूँ नहीं मान लेते कि ये
दूध चढाना और नालियों मे बहा देना एक बेवकूफी से ज्यादा कुछ
नहीं है !

भारतीय : अगर मैं आपको सिद्ध कर दूँ
की शिवरात्री पर दूध


चढाना बेवकूफी नहीं समझदारी है
तो ?
इंडियन : हाँ बताओ कैसे ? अब ये मत कह देना कि फलां वेद मे
ऐसा लिखा है इसलिए हम ऐसा ही करेंगे, मुझे वैज्ञानिक
तर्क चाहिएं.
भारतीय : ओ अच्छा, तो आप विज्ञान भी जानते
हैं ? कितना पढ़े हैं आप ?
इंडियन : जी, मैं ज्यादा तो नहीं लेकिन
काफी कुछ जानता हूँ, एम् टेक किया है,
नौकरी करता हूँ. और मैं अंध विशवास मे बिलकुल
भी विशवास नहीं करता, लेकिन भगवान
को मानता हूँ.
भारतीय : आप भगवान को मानते तो हैं लेकिन भगवान के बारे
में जानते नहीं कुछ भी. अगर जानते होते,
तो ऐसा प्रश्न ही न करते ! आप ये तो जानते
ही होंगे कि हम लोग त्रिदेवों को मुख्य रूप से मानते हैं :
ब्रह्मा जी, विष्णु जी और
शिवजी (ब्रह्मा विष्णु महेश) ?
इंडियन : हाँ बिलकुल मानता हूँ.
भारतीय : अपने भारत मे भगवान के
दो रूपों की विशेष पूजा होती है : विष्णु
जी की और शिव
जी की ! ये शिव जी जो हैं,
इनको हम क्या कहते हैं - भोलेनाथ, तो भगवान के एक रूप को हमने
भोला कहा है तो दूसरा रूप क्या हुआ ?
इंडियन (हँसते हुए) : चतुर्नाथ !
भारतीय : बिलकुल सही ! देखो, देवताओं के जब
प्राण संकट मे आए तो वो भागे विष्णु जी के पास, बोले "भगवान
बचाओ ! ये असुर मार देंगे हमें". तो विष्णु जी बोले अमृत
पियो. देवता बोले अमृत कहाँ मिलेगा ? विष्णु जी बोले इसके लिए
समुद्र मंथन करो !
तो समुद्र मंथन शुरू हुआ, अब इस समुद्र मंथन में
कितनी दिक्कतें आई ये तो तुमको पता ही होगा,
मंथन शुरू किया तो अमृत निकलना तो दूर विष निकल आया, और
वो भी सामान्य विष नहीं हलाहल विष ! भागे
विष्णु जी के पास सब के सब ! बोले बचाओ बचाओ !
तो चतुर्नाथ जी, मतलब विष्णु जी बोले, ये
अपना डिपार्टमेंट नहीं है, अपना तो अमृत का डिपार्टमेंट है
और भेज दिया भोलेनाथ के पास ! भोलेनाथ के पास गए तो उनसे
भक्तों का दुःख देखा नहीं गया, भोले तो वो हैं ही,
कलश उठाया और विष पीना शुरू कर दिया ! ये तो धन्यवाद
देना चाहिए पार्वती जी का कि वो पास में
बैठी थी, उनका गला दबाया तो ज़हर
नीचे नहीं गया और नीलकंठ बनके
रह गए.
इंडियन : क्यूँ पार्वती जी ने गला क्यूँ दबाया ?
भारतीय : पत्नी हैं ना, पत्नियों को तो अधिकार
होता है .. किसी गण की हिम्मत
होती क्या जो शिव जी का गला दबाए......अब
आगे सुनो फिर बाद मे अमृत निकला ! अब विष्णु
जी को किसी ने invite किया था ????
मोहिनी रूप धारण करके आए और अमृत लेकर चलते बने.
और सुनो - तुलसी स्वास्थ्य के लिए
अच्छी होती है, स्वादिष्ट भी,
तो चढाई जाती है कृष्ण जी को (विष्णु अवतार).
लेकिन बेलपत्र कड़वे होते हैं, तो चढाए जाते हैं भगवान भोलेनाथ को !
हमारे कृष्ण कन्हैया को 56 भोग लगते हैं,
कभी नहीं सुना कि 55 या 53 भोग लगे हों,
हमेशा 56 भोग ! और हमारे शिव जी को ? राख , धतुरा ये
सब चढाते हैं, तो भी भोलेनाथ प्रसन्न ! कोई
भी नई चीज़ बनी तो सबसे पहले
विष्णु जी को भोग ! दूसरी तरफ शिव रात्रि आने
पर हमारी बची हुई गाजरें शिव
जी को चढ़ा दी जाती हैं......
अब मुद्दे पर आते हैं........इन सबका मतलब क्या हुआ ???
विष्णु जी हमारे पालनकर्ता हैं, इसलिए जिन
चीज़ों से हमारे प्राणों का
रक्षण-पोषण होता है वो विष्णु जी को भोग लगाई
जाती हैं !
और शिव जी?
शिव जी संहारकर्ता हैं, इसलिए जिन चीज़ों से
हमारे प्राणों का नाश होता है,
मतलब जो विष है, वो सब कुछ शिव जी को भोग लगता है !
______________________________________________________
इंडियन : ओके ओके, समझा !
भारतीय : आयुर्वेद कहता है कि वात-पित्त-कफ इनके
असंतुलन से बीमारियाँ होती हैं और श्रावण के
महीने में वात की बीमारियाँ सबसे
ज्यादा होती हैं. श्रावण के महीने में ऋतू
परिवर्तन के कारण शरीर मे वात बढ़ता है. इस वात को कम
करने के लिए क्या करना पड़ता है ? ऐसी चीज़ें
नहीं खानी चाहिएं जिनसे वात बढे, इसलिए पत्ते
वाली सब्जियां नहीं खानी चाहिएं !
और उस समय पशु क्या खाते हैं ?
इंडियन : क्या ?
भारतीय : सब घास और पत्तियां ही तो खाते हैं.
इस कारण उनका दूध भी वात को बढाता है ! इसलिए आयुर्वेद
कहता है कि श्रावण के महीने में (जब
शिवरात्रि होती है !!) दूध
नहीं पीना चाहिए. इसलिए श्रावण मास में जब
हर जगह शिव रात्रि पर दूध चढ़ता था तो लोग समझ जाया करते थे कि इस
महीने मे दूध विष के सामान है, स्वास्थ्य के लिए
अच्छा नहीं है, इस समय दूध पिएंगे तो वाइरल इन्फेक्शन
से बरसात की बीमारियाँ फैलेंगी और
वो दूध नहीं पिया करते थे ! इस तरह हर जगह शिव
रात्रि मनाने से पूरा देश वाइरल की बीमारियों से बच
जाता था ! समझे कुछ ?
इंडियन : omgggggg !!!! यार फिर तो हर गाँव हर शहर मे शिव
रात्रि मनानी चाहिए, इसको तो राष्ट्रीय पर्व घोषित
होना चाहिए !
भारतीय : हम्म....लेकिन ऐसा नहीं होगा भाई
कुछ लोग साम्प्रदायिकता देखते हैं, विज्ञान नहीं ! और सुनो.
बरसात में भी बहुत सारी चीज़ें
होती हैं लेकिन हम
उनको दीवाली के बाद अन्नकूट में कृष्ण भोग
लगाने के बाद ही खाते थे (क्यूंकि तब वर्षा ऋतू समाप्त
हो चुकी होती थी). एलोपैथ
कहता है कि गाजर मे विटामिन ए होता है आयरन होता है लेकिन
आयुर्वेद कहता है कि शिव रात्रि के बाद गाजर
नहीं खाना चाहिए इस ऋतू में खाया गाजर पित्त को बढाता है !
तो बताओ अब तो मानोगे ना कि वो शिव रात्रि पर दूध
चढाना समझदारी है ?
इंडियन : बिलकुल भाई, निःसंदेह ! ऋतुओं के खाद्य पदार्थों पर पड़ने वाले
प्रभाव को ignore करना तो बेवकूफी होगी.
भारतीय : ज़रा गौर करो, हमारी परम्पराओं के
पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है ! ये इस देश
का दुर्भाग्य है कि हमारी परम्पराओं को समझने के लिए जिस
विज्ञान की आवश्यकता है वो हमें
पढ़ाया नहीं जाता और विज्ञान के नाम पर जो हमें
पढ़ाया जा रहा है उस से हम अपनी परम्पराओं को समझ
नहीं सकते !
जिस संस्कृति की कोख से मैंने जन्म लिया है वो सनातन
(=eternal) है, विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है
ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक
जीवन जीते रहें !

गुरुङ पुराण की बातें।..

गरुड़ पुराण में व्यावहारिक जीवन के ऐसे कई गलत काम या विचार बताए गए हैं, जिन्हें पाप माना जाता है। ये विचार और स्वभाव आदत में इस तरह समा जाते हैं कि उन्हें बार-बार दोहराने पर भी गलती का एहसास नहीं होता। वजह यह भी है कि धर्म के नजरिए से कोई भी व्यक्ति पाप से अछूता नहीं, क्योंकि जीवन में हर व्यक्ति से कोई न कोई पाप जरूर करता है।
कुछ लोग पाप जानकर करते हैं तो कुछ अनजाने में, लेकिन पाप के नतीजे हमेशा भोगने पड़ते हैंं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, स्त्री से जुड़ी कुछ ऐसी बातें, जिन्हें गरुड़ पुराण में पाप और इन्हें करने या सोचने वाले को पापी माना गया है..
लिखा गया है कि -
मातरं भगिनीं ये च विष्णुस्मरणवर्जिता:। अदृष्दोषां त्यजति स प्रेतो जायते ध्रुवम्।
भ्रातृधुग्ब्रह्महा गोघ्र: सुरापो गुरुतल्पग:। हेमक्षौमहरस्ताक्ष्र्य स वै
प्रेतत्वमाप्रुयात्।।
न्यासापहर्ता मित्रधु्रक् परदारतस्तथा। विश्वासघाती क्रूरस्तु स प्रेतो जायते ध्रुवम्।।
कुलमार्गांश्चसंत्यज्य परधर्मतस्तथा। विद्यावृत्तविहीनश्च स प्रेतो जायते ध्रुवम्।।
इन बातों को सरल शब्दों में समझे तो
प्रेत योनि में जाने के पीछे ऐसे बुरे काम हैं
- बेकसूर मां, बहन, पत्नी, बहू और कन्या को बेसहारा छोड़ने वाला या उन्हें ऐसे छोड़ने के बारे में विचार रखने वाला।
- गुरुपत्नी के प्रति बुरे भाव रखने वाला, भाई के साथ दगाबाजी, गाय को मारने वाला, नशा करने वाला, किसी भी मनुष्य या ब्राह्मण को मृत्यु तुल्य दु:ख देने वाला व चोर।
- पराई स्त्री के बारे में गलत सोचने वाला और संबंध रखने वाला, घर में रखी अमानत को चुराने वाला, मित्र के साथ धोखा करने वाला, विश्वासघाती और पापी।
- वह अज्ञानी व दुराचरण करने वाला, जो कुटुंब या परिवार की अच्छी परंपराओं को तोड़े।
गरुड़पुराण के अनुसार ये सभी काम करने या सोचने वाला पुरुष पापी होता है और वह मरने के बाद प्रेत बनता है
परान्नं च परस्वं च परशय्या: परस्त्रिय:।
परवेश्मनि वासश्र्च शकादपि हरेच्छ्रियम्।।
मतलब है दूसरों की स्त्री का सेवन, अन्न, धन, शय्या या पलंग का उपयोग और दूसरे के घर में रहना, ये इन्द्र का वैभव भी समाप्त कर देते हैं। सरल शब्दों में कहें तो परस्त्री से संबंध या उसका भोग दरिद्रता या धन हानि का कारण भी बनता है।
इसी तरह लिखा गया है
कुतो निद्रा दरिद्रस्य परप्रेष्यवरस्य च। परनारीप्रस्क्तस्य परद्रव्यहरस्य च।।
यानी पराई नारी पर आसक्त, दरिद्र व दूसरों का भेजा दूत और दूसरों का धन दबाने की मंशा रखने वाले की नींद उड़ जाती है। परस्त्रियों को लेकर बेचैन व आसक्त व्यक्ति चैन की नींद का सुख खोकर रोगी भी हो जाता है।
शास्त्रों के नजरिए से किसी भी स्त्री के साथ किया गया अपमानजनक व्यवहार पुरुष के पतन का कारण बन सकता है। कठोर व्यवहार से स्त्री को वश में करने की कोशिश को बड़ा पाप माना गया है। स्त्री से रिश्ता मां, बहन, पत्नी, बेटी किसी भी रूप में हो, प्रेम और स्नेह के साथ निभाने पर ही सुख देता है। कहा गया है स्त्री को कमतर मानकर, बुरी मानसिकता या भोग का साधन समझ बुरे व्यवहार से अधिकार या वश में करने की कोशिश अंतत: मान-प्रतिष्ठा को धूमिल ही नहीं करती, बल्कि जीवन को दु:खों से भर देती है।
शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि मित्र की स्त्री पर अप्रत्यक्ष दृष्टि या दर्शन से बचें। सरल शब्दों में कहें तो मित्र की स्त्री के प्रति गलत सोच, नजर, भाव या व्यवहार धार्मिक नजरिए से पाप कर्म ही है। यह व्यावहारिक तौर से भी विश्वास भंग करने वाला दोष हैं।ऐसा करना किसी भी व्यक्ति की दुर्गति का कारण बनता है।
जो पुरुष सोचते हैं स्त्री के लिए ऐसी बातें, उन्हें शास्त्रों में पापी माना गया है।
- हिन्दू धर्मग्रंथ शिव पुराण में जिन चार मानसिक या वैचारिक दोषों का जिक्र किया गया है। उनके मुताबिक पराई स्त्री को पाने का संकल्प या चाहत करना भी मानसिक पाप है। जो इंसान के लिए अपार दु:ख, मानसिक अशांति और कलह का कारण बनता है।
इस पुराण के मुताबिक ऐसी बुरी सोच से व्यक्ति को नरक यानी दु:ख भोगना पड़ता हैं।
महाभारत में भी कुछ ऐसे पाप बताए गए हैं, जिनको करने से व्यक्ति पाप का भागी बनता है। ऐसे पापों का बढऩा ही अंत का कारण बनता है।
- पराई स्त्री को बुरी नजर से देखना, बुरा व्यवहार या संबंध बनाना।
- गुरु की स्त्री से संबंध।
- गर्भ हत्या करने वाला।
- घर में आग लगाना या कलह करवाना।
- चुगली करना।
- मित्र के साथ विश्वासघात।
- ब्राह्मण होकर शराब पीना।
- क्रूर स्वभाव वाला।
- धर्म या ईश्वर का विरोध।
- वेद की बुराई करना।
- शराब बेचना।
-हथियार वनाना या बेचना।
- वाचालता या बकवास करना।
- जहर देना

संस्कृत के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य....

1. कंप्यूटर में इस्तेमाल के लिए सबसे अच्छी भाषा।
संदर्भ: फोर्ब्स पत्रिका 1987


2. सबसे अच्छे प्रकार का कैलेंडर जो इस्तेमाल
किया जा रहा है, हिंदू कैलेंडर है (जिसमें नया साल सौर
प्रणाली के भूवैज्ञानिक परिवर्तन के साथ शुरू होता है)
संदर्भ: जर्मन स्टेट यूनिवर्सिटी

3. दवा के लिए सबसे उपयोगी भाषा अर्थात संस्कृत में बात
करने से व्यक्ति स्वस्थ और बीपी, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल
आदि जैसे रोग से मुक्त हो जाएगा। संस्कृत में बात करने से
मानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है जिससे
कि व्यक्ति का शरीर सकारात्मक आवेश(Positive
Charges) के साथ सक्रिय हो जाता है। 
संदर्भ: अमेरीकन हिन्दू यूनिवर्सिटी (शोध के बाद)

4. संस्कृत वह भाषा है जो अपनी पुस्तकों वेद, उपनिषदों,
श्रुति, स्मृति, पुराणों, महाभारत, रामायण आदि में सबसे
उन्नत प्रौद्योगिकी(Technology) रखती है।
संदर्भ: रशियन स्टेट यूनिवर्सिटी, नासा आदि (नासा के पास 60,000 ताड़ के पत्ते की पांडुलिपियों है
जो वे अध्ययन का उपयोग कर रहे हैं)
(असत्यापित रिपोर्ट का कहना है कि रूसी, जर्मन,
जापानी, अमेरिकी सक्रिय रूप से हमारी पवित्र
पुस्तकों से नई चीजों पर शोध कर रहे हैं और उन्हें वापस
दुनिया के सामने अपने नाम से रख रहे हैं। दुनिया के 17 देशों में एक या अधिक संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत
के बारे में अध्ययन और नई प्रौद्योगिकी प्राप्तकरने के
लिए है, लेकिन संस्कृत को समर्पित उसके वास्तविक
अध्ययन के लिए एक भी संस्कृत विश्वविद्यालय
इंडिया (भारत) में नहीं है।

5. दुनिया की सभी भाषाओं की माँ संस्कृत है। सभी भाषाएँ
(97%) प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस भाषा से प्रभावित
है।
संदर्भ: यूएनओ

6. नासा वैज्ञानिक द्वारा एक रिपोर्ट है
कि अमेरिका 6 और 7 वीं पीढ़ी के सुपर कंप्यूटर संस्कृत
भाषा पर आधारित बना रहा है जिससे सुपर कंप्यूटर
अपनी अधिकतम सीमा तक उपयोग किया जा सके।
परियोजना की समय सीमा 2025 (6 पीढ़ी के लिए) और
2034 (7 वीं पीढ़ी के लिए) है, इसके बाद दुनिया भर में संस्कृत सीखने के लिए एक भाषा क्रांति होगी।

7. दुनिया में अनुवाद के उद्देश्य के लिए उपलब्ध सबसे
अच्छी भाषा संस्कृत है।
संदर्भ: फोर्ब्स पत्रिका 1985


8. संस्कृत भाषा वर्तमान में "उन्नत किर्लियन
फोटोग्राफी" तकनीक में इस्तेमाल की जा रही है।
(वर्तमान में, उन्नत किर्लियन फोटोग्राफी तकनीक
सिर्फ रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका में ही मौजूद हैं।
भारत के पास आज "सरल किर्लियन फोटोग्राफी"
भी नहीं है )

9. अमेरिका, रूस, स्वीडन, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस,
जापान और ऑस्ट्रिया वर्तमान में भरतनाट्यम और
नटराज के महत्व के बारे में शोध कर रहे हैं। (नटराज शिव
जी का कॉस्मिक नृत्य है। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र
कार्यालय के सामने शिव या नटराज की एक मूर्ति है )

10. ब्रिटेन वर्तमान में हमारे श्री चक्र पर आधारित
एक रक्षा प्रणाली पर शोध कर रहा है।