Tuesday, January 20, 2015

भारत मे कोई सोयाबीन नहीं खाता था

मित्रो आज से 35 -40 पहले भारत मे कोई सोयाबीन नहीं खाता था !
फिर इसकी खेती भारत मे कैसे होनी शुरू हुई ??
ये जानने से पहलों आपको मनमोहन सिंह द्वारा किए गए एक समझोते
के बारे मे जानना पड़ेगा !
मित्रो इस देश मे globalization के नाम पर ऐसे-ऐसे समझोते हुये कि आप चोंक जाये गये !एक समझोते के कहानी सुने बाकि विडियो में है ! एक देश उसका नाम है होललैंड वहां के सुअरों का गोबर (टट्टी) वो भी 1 करोड़ टन भारत लाया जायेगा ! और डंप किया जायेगा !
ऐसा समझोता मनमोहन सिंह ने एक बार किया था !
जब मनमोहन सिंह को पूछ गया के यह समझोता क्यूँ किया ????
तब मनमोहन सिंह ने कहा होललैंड के सुअरों का गोबर (टट्टी) quality में बहुत बढ़िया है !
फिर पूछा गया कि अच्छा ये बताये की quality में कैसे बढ़िया है ???
तो मनमोहन सिंह ने कहा कि होललैंड के सूअर सोयाबीन खाते है इस लिए बढ़िया है !!
मित्रो जैसे भारत में हम लोग गाय को पालते है ऐसे ही हालेंड के लोग सूअर पालते
है वहां बड़े बड़े रेंच होते है सुअरों कि लिए ! लेकिन वहाँ सूअर मांस के लिए पाला जाता है !
तो फिर मनमोहन सिंह से पूछा गया की ये हालेंड जैसे देशो मे सोयाबीन जाता कहाँ से है ???
तो पता चला भारत से जाता है !! और मध्यपरदेश मे से सबसे जाता है !!!
मित्रो पूरी दुनिया के वैज्ञानिक कहते अगर किसी खेत में आपने 10 साल सोयाबीन उगाया तो 11 वे साल आप वहां कुछ नहीं उगा सकते ! जमीन इतनी बंजर हो जाती है !
अब दिखिए इस मनमोहन सिंह ने क्या किया !???
होललैंड के सुअरों को सोयाबीन खिलाने के लिए पहले मध्यप्रदेश में सोयाबीन कि खेती करवाई !
खेती कैसे करवाई ??
किसानो को बोला गया आपको सोयाबीन की फसल का दाम का ज्यादा दिया जाएगा !
तो किसान बेचारा लालच के चक्कर मे सोयाबीन उगाना शुरू कर दिया !
और कुछ डाक्टरों ने रिश्वत लेकर बोलना शुरू कर दिया की ये सेहत के लिए बहुत अच्छी है
आदि आदि !
तो इस प्रकार भारत से सोयाबीन होलेंड जाने लगी ! ताकि उनके सूअर खाये उनकी चर्बी बढ़े और मांस का उत्पादन ज्यादा हो !
और बाद मे होललैंड के सूअर सोयाबीन खाकर जो गोबर (टट्टी) करेगे वो भारत में लाई जाएगी ! वो भी एक करोड़ टन सुअरों का गोबर(टट्टी ) ऐसा समझोता मनमोहन सिंह ने लिया !
और ये समझोता एक ऐसा आदमी करता है जिसको इस देश में best finance minster का आवार्ड दिया जाता है ! tongue emoticon tongue emoticon
और लोग उसे बहुत भारी अर्थशास्त्री मानते है !! शायद मनमोहन सिंह के दिमाग में भी यही गोबर होगा !
मित्रो दरअसल सोयाबीन मे जो प्रोटीन है वो एक अलग किस्म का प्रोटीन है उस प्रोटीन को शरीर का एसक्रिटा system बाहर नहीं निकाल पाता और वो प्रोटीन अंदर इकठ्ठा होता जाता है !
जो की बाद मे आगे जाकर बहुत परेशान करता है ! प्रोटीन के और भी विकल्प हमारे पास है ! जैसे उरद की दाल मे बहुत प्रोटीन है आप वो खा सकते है ! इसके अतिरिक्त और अन्य डालें है !!
और अंत मे एक और बात मित्रो आपके घर मे अगर दादी - नानी हो तो आप उन्हे पूछे की क्या उनकी माता जी ने उनको कभी सोयाबीन बनाकर खिलाया था ??
आपको सच सामने आ जाएगा !!
ये सारा सोयाबीन का खेल इस लिए खेला गया है !
अधिक जानकारी के लिए देखें !
अधिक से अधिक share कर लोगो को जागरूक करें !
राजीव भाई को शत शत नमन !

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