Saturday, July 12, 2014

गुरु पूर्णिमा

आज गुरु पूर्णिमा का दिन है । यह दिन हिन्दुओं में,
विशेषकर सनातन धर्मियों में बड़े महत्व का है आध्यात्मिक उन्नति के लिए जो सबसे आवश्यक चीज है
वह है - निष्कामता , जिसका अर्थ है -
सकामता का त्याग , अहंकार का न होना । यह
अंहकार चाहे सूक्ष्म हो, कारण हो या महाकारण
किसी भी प्रकार का अंहकार ईश्वर प्राप्ति के
जिज्ञासु को न होना चाहिए । अहंकार एक
ऐसी चीज है, माया का ऐसा आवरण है जो अनेक रूप में
हमारे सामने आता है । कभी वह धन का , बल का ,कुटुंब
का और विद्या का होता है ; यह सब सांसारिक है
और कभी इनसे भी परे आध्यात्मिक क्षेत्र में जप का , तप
का ,भक्ति का तथा ज्ञान का होता है । बस अहंकार
को तोडना और आगे न पैदा होने देना ही जिज्ञासु
का मुख्य कर्त्तव्य है और यही काम वास्तव में गुरु
का भी है ।
शिष्य वर्ग जब अपने कर्मों का फल गुरु के अर्पण करता है
तो गुरु उसे प्रभु तक पहुंचा देते हैं । वास्तव में गुरु मध्यस्त है
-- सन्देश पहुँचाने वाला । शिष्य जो उसे देते हैं उसे वह
भगवान को अर्पण कर देता है । व्यास जी ने इस रहस्य
को भली प्रकार समझा और यह कहा कि अपने
कर्मों का फल रोज ही गुरु के अर्पण
करो यदि ऐसा नहीं कर सकते तो वर्ष में कम से कम एक
दिन तो अवश्य अपने वर्ष भर के कर्मों का फल दे
डालो । इस प्रकार यह भेंट गुरु के द्वारा भगवान तक
पहुँच जाएगी और तुम्हें किसी प्रकार का अहंकार
नहीं होगा । इस तरह यह व्यास पूनों या गुरु
पूर्णिमा का चलन हुआ ।

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