Monday, June 30, 2014

Quran & Muslims (भाग 2)

Quran & Muslims (भाग 2)

कुरान में विज्ञान को ढूँढ़ना उसी तरह असंभव है, जैसे गधे के सिर पर सींग ढूँढ़ना. क्योंकि कुरान और विज्ञान परस्पर एक दूसरे के विरोधी हैं. कुरान केवल ईमान रखने पर जोर देता है. कुरान पर प्रश्न करना अथवा उस पर तर्क वितर्क करना पाप है. जो कुरान में लिखा है वही सत्य है.

यदि कोई मुसलमान उस पर शंका करता है तो वह काफ़िर है. यदि कुरान कहे कि बिना पिता और माता के संतान हुई तो मान लो, यदि कुरान कहे कि मुहम्मद ने चाँद के दो टुकड़े कर दिए थे तो ईमान रखो.

कुरान का एक भाग अल्लाह ने लिखकर एक फ़रिश्ते जिब्राइल के हाथों मुहम्मद को दिया था, तो भी मान लो यदि किसी ने इस पर संदेह किया तो उसकी गर्दन कलम कर दी जायेगी. प्रश्न करना, पूछना इस्लाम में सबसे बड़ा पाप है.

परन्तु विज्ञान प्रत्येक तथ्य के बारे में जांच करने, परखने, प्रयोग करने और प्रश्न करने
की अनुमति देता है. इसी सिद्धांत से विज्ञान की इतनी प्रगति हुई है. बिना जांचे परखे विज्ञान किसी भी बात को स्वीकार नहीं करता. विज्ञान का न तो कोई
मुहम्मद जैसा अनपढ़
रसूल है जो तलवार की जोर पर अपनी बात मनवा सके न कोई कुरान जैसी कोई"पवित्र??? पुस्तक"है जिस पर सारे वैज्ञानिक ईमान रखने पर विवश हों.

यही कारण है कि मुसलमानों में कोई बड़ा वैज्ञानिक अथवा आविष्कर्ता नहीं हुआ (डॉ कलाम जी के अलावा). कुरान ने केवल आतंकी, अपराधी, स्मगलर तथा लुटेरों को ही जन्म दिया है.

जो थोड़ी अरबी, उर्दू सीख लेते हैं वे किसी मस्जिद के इमाम, मुल्ले, मुफ्ती बन जाते हैं. अथवा मुअज्जिन बन कर रेंकते रहते है. फिर भी बेशर्मी से सरकारी पैसों से वेतन लेते है.

जो रुपया देश के हिन्दू टैक्स के रूप में देते है. अचानक इन अक्ल के शत्रुओं को यह सनक लगी कि कुरान को विज्ञान सम्मत सिद्ध करके पश्चिम के लोगों पर अपनी ठग विद्या चलायें.... परन्तु हर स्थान और हर मंच पर इनको मात खानी पड़ी. वहां कुरान को किसी ने रद्दी के भाव भी नहीं पूछा.

हम आपको कुरान के विज्ञान अर्थात अल्लाह के अज्ञान के नमूने दे रहे हैं :-

१) - सूरज दलदल में ड़ूब जाता है.
"
यहाँ तक कि वह सूर्यास्त की जगह पहुँच गया, उसने देखा कि सूरज एक काले कीचड़ (Muddy Spring) में ड़ूब रहा था. सूरा अल कहफ़ 18 : 86
http://quranhindi.com/p421.htm

२) - अल्लाह ने प्रथ्वी को ठहरा रखा है.
"
वह कौन है, जिसने पृथ्वी को एक स्थान पर ठहरा दिया है. (Made the Earth
Fixed)
सूरा-अन नमल 27 : 61
http://quranhindi.com/p532.htm

३) - धरती झूलती रहती है.
"
वही है जिसने तुम्हारे लिए धरती को पालना बनाया (Restling
झूला)सूरा - अज जुखुरुफ़ 43 : 10
http://quranhindi.com/p677.htm

४) - धरती फैलायी जा सकती है. "और धरती को जैसा चाहा फैलाया (Spread
the Earth)
सूर -अस शम्श 91 : 6
http://quranhindi.com/p840.htm

५) रात और दिन लपेटे जा सकते है.
"
और वह रात को दिन पर लपेटता है एवं दिन को रात पर लपेटता है. सूरा - अज जुमुर 39 : 5
http://quranhindi.com/p635.htm

६) - सूरज अल्लाह से निकलने की आज्ञा लेता है.
"
सूरज रात को गंदे कीचड़ में डूबा रहता है, और अजान से पहले अल्लाह से निकलने की अनुमति लेता है. सही बुखारी - जिल्द 4 किताब 54
हदीस 441

7)
वही है जिसने तुम्हारे लिए जमीन को फर्श और आसमान को छत बनाया, और आकाश से पानी उतारा। कुरान 2 : 22
http://quranhindi.com/p005.htm

8)
अल्लाह ने आकाश को धरती पर गिरने से रोक रखा है. कुरान 22 : 65
http://quranhindi.com/p473.htm

भाई आकाश क्या है ???? कोई छत या दिवार है क्या ????

9) Quran 79 : 30
http://quranhindi.com/p821.htm

यहाँ इस आयत में क़ुरान का अल्लाह का इल्म न जाने कौन से ज्ञान से प्राप्त किया की धरती को फैला दिया -

क्या धरती चपटी है या चटाई है जो फैला दिया - किसी को समझ आये तो बताना !!

10)
निश्चय ही इसके लिए (चंद्रमा पर जाने के लिए) तुम्हें एक के बाद एक सीढी चढ़ना पड़ेगीं. "सूरा -इन शिकाक 84 :19
http://quranhindi.com/p831.htm

11)
अल्लाह ने कहा कि, हे मनुष्य और जिन्नों के समूहों यदि तुम में सामर्थ्य हो तो, इस धरती की परिधि से निकल कर आकाश की सीमा में प्रवेश करके अन्दर घुस कर आगे निकल जाओ "सूरा -रहमान 55 : 33

न तो तुम धरती की सीमा से बाहर निकल सकते हो,और न आकाश की सीमा में प्रवेश कर सकते हो "सूरा-अनकबूत 29 : 22
http://quranhindi.com/p554.htm

8
से 10 साल के अन्दर इंसान भी जा सकते है मंगल पर. लेकिन मुसलमान इस सत्य को स्वीकार नहीं करते, और किसी के द्वारा अंतरिक्ष में प्रवेश करने को असंभव बताते है. क्योंकि उनके अल्लाह ने कुरान में ऐसी ही डींग मारने वाली बात कही है. अल्लाह ने चुनौती दे कर कहा, "हे मनुष्यों और जिन्नों के गिरोह,यदि तुममें इतनी सामर्थ्य हो तो तुम धरती से आकाश सीमाओं से बाहर निकलो, और निकल कर बताओ. तुम निकल ही नहीं सकते ""
ﻳَﺎ
ﻣَﻌْﺸَﺮَ ﺍﻟْﺠِﻦِّ ﻭَﺍﻟْﺈِﻧْﺲِ ﺇِﻥِ ﺍﺳْﺘَﻄَﻌْﺘُﻢْﺃَﻥْ
ﺗَﻨْﻔُﺬُﻭﺍ ﻣِﻦْﺃَﻗْﻄَﺎﺭِ ﺍﻟﺴَّﻤَﺎﻭَﺍﺕِ ﻭَﺍﻟْﺄَﺭْﺽِ
ﻓَﺎﻧْﻔُﺬُﻭﺍ ﻟَﺎﺗَﻨْﻔُﺬُﻭﻥَ ﺇِﻟَّﺎﺑِﺴُﻠْﻄَﺎﻥٍ "
Quran, Sura Rahman 55 : 33
http://quranhindi.com/p741.htm

इस आयत से सिद्ध
होता है कि मुसलमानों का अल्लाह सर्वज्ञानी नहीं. जबकि वेदों में ईश्वर ने स्पष्ट शब्दों में अंतरक्ष में जाने को संभव
बताया है, वेद में कहा है -

"
यो अन्तरिक्षे
रजसो विमानः कस्मै
देवायहविषा विधेम". यजुर्वेद, अध्याय 32 मन्त्र 6 अर्थ -

जो ईश्वर हमें विशेष विज्ञानं युक्तविमान से अंतरिक्ष का भ्रमण कराता है, हमें उसी ईश्वर की उपासना करना चाहिए. अर्थात अल्लाह की इबादत करने वाले उसी की तर हजाहिल और मुर्ख बने रहेंगे, ऐसे लोग सिर्फ आतंकवादी ही बन सकते हैं.

""
अब हम कैसे मानें कि कुरान में विज्ञान होगा, जब अल्लाह को स्वयं ही प्राथमिक ज्ञान नहीं है. मुसलमानों के कट्टर होने का यही कारण है !!


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